भोपाल। भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से पिछले आठ महीने से जंग लड़ रही है, अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है, जिसके चलते कोरोना का खतरा बरकरार है. डॉक्टर्स का कहना है कि, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है. छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवति महिलाओं को कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है. राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में इस तरह के मामले सामने आए हैं, जहां गर्भवती महिलाएं कोरोना संक्रमित पाई गई हैं. महिलाओं से उनके नवजात बच्चों को भी संक्रमण पहुंचा है. गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं.
स्वास्थ्य विभाग से जारी आदेश में कहा गया है कि, अगर प्रसूति विभाग से कोई चिकित्सक, स्टॉफ नर्स कोरोना संक्रमित होते हैं, तो अन्य विभाग के डॉक्टर और स्टाफ नर्स की ड्यूटी प्रसूति विंग में लगाई जाए, ताकि गर्भवती महिला के प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद प्रसूता और नवजात की देखभाल अच्छे से की जा सके. सभी जिला चिकित्सालय और अन्य डिलीवरी पॉइंट्स में पर्याप्त संख्या में कोरोना वायरस से बचाव के लिए ग्लव्स, मास्क, सैनिटाइजर, डिलीवरी किट, पीपीई किट को उपलब्ध कराया जाए.
मैटरनिटी विंग के स्टॉफ की ड्यूटी इस तरह से लगाई जा सके कि, 25 प्रतिशत स्टॉफ बैकअप में रहे. प्रसूति विभाग में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस आरक्षक या सुरक्षाकर्मी की ड्यूटी लगाएं . परिसर में जो भी लोग उपस्थित हैं, उनसे कोरोना से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करवाया जाए और अगर व्यक्ति नियमों का पालन नहीं करता है, तो उससे जुर्माना वसूलने का अधिकार रोगी कल्याण समिति को दिया जाए. इसके साथ ही मरीजों और उनके परिजनों की समय-समय पर काउंसलिंग भी की जाए. ऑपरेशन थिएटर,लेबर टेबल, ओपीडी में मरीज के चेहरे और चिकित्सक,स्टाफ नर्स के बीच ट्रांसपरेंट पार्टीशन की व्यवस्था की जाए. प्रसव से पहले गर्भवती महिला की कोविड-19 की जांच RT-PCR से की जाए. अगर कोई गर्भवती महिला कोरोना संक्रमित या सस्पेक्टेड होती है, तो ऐसी गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था की जाए. यह सभी आदेश अपर संचालक स्वास्थ्य ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को दिए हैं.