भोपाल। इस वक्त स्वास्थ्य विभाग का पूरा ध्यान कोरोना वायरस के नियंत्रण और रोकथाम पर है. तो वहीं दूसरी ओर अब मौसम बदलने के साथ ही कई तरह की मौसमी बीमारियां भी दस्तक देने लगती है. जो कि कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इन मौसमी बीमारियों खासतौर पर स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया के एडवाइजरी तो जारी की है, लेकिन भारत सरकार के पोर्टल पर प्रदेश के जून से स्वाइन फ्लू(एच1एन1) के डाटा का कोई अता पता ही नहीं है.
जून से नहीं है कोई डेटा
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के पोर्टल पर स्टेट वाइज अपलोड हुए डाटा में प्रदेश की जानकारी केवल 10 जून 2020 तक की है. वहीं पिछले साल स्वाइन फ्लू के कारण मध्यप्रदेश में 720 बीमार मरीजों में से 165 मरीजों की मौत दर्ज की गई थी. साल 2020 में 10 जून तक 20 मामलों में से 1 की ही मौत का डेटा दर्ज है. इसका मतलब यह है या तो इस साल जून के बाद प्रदेश में स्वाइन फ्लू के एक भी मामले सामने नहीं आए है, या फिर स्वास्थ्य विभाग के इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम आईडीएसपी शाखा स्वाइन फ्लू के मामलों पर ध्यान नहीं दे रही है.
भोपाल की स्थिति
वहीं अगर राजधानी भोपाल की बात की जाए तो मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी का इस बारे में कहना है कि हमारे पास जिले का पूरा डेटा उपलब्ध है. हम उसे अपडेट करते रहते हैं. बारिश के मौसम से ही हम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. लार्वा का सर्वे करके उसे खत्म करने का काम भी किया जा रहा है. हालांकि शहर में अब तक कितने मामले रिपोर्ट हुए इसकी जानकारी यहां से भी नहीं मिल सकी है.
नई गाइड लाइन
बता दें कि स्वास्थय विभाग ने फिलहाल मौसमी बीमारियों को लेकर गाइड लाइन जारी की है. जिसके मुताबिक यह कहा गया है कि h1 n1 में भी ILI/SARI जैसे लक्षण होते हैं. ऐसे लक्षण युक्त रोगियों का परीक्षण और जांच कोविड-19 के साथ h1 n1 के लिए भी की जाए. साथ ही हाई रिस्क समूहों जिनमें छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति और ज्यादा उम्र के व्यक्ति शामिल है, उन्हें h1 n1 का टीका भी लगाया जाए. यह टीका स्वास्थ्य कर्मियों को भी लगाया जाए.