भोपाल। पति की लम्बी आयु और सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाने वाला हरतालिका व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है. कुंवारी लड़कियां और विवाहिताएं इस व्रत को पूरे भक्तिभाव से करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा कर उनसे अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं. हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है. महिलाओं में इस व्रत को लेकर काफी उत्साह रहता है और इसके लिए काफी पहले से तैयारियां की जाती हैं. हरतालिका तीज के चलते बाजारों की रौनक भी बढ़ गई है. मान्यता ये है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था.
दया तिथि के अनुसार 2 सितम्बर को ही तीज व्रत रखा जाएगा. 2 सितम्बर सोमवार को सूर्योदय 5 बजकर 45 मिनट पर है. सुबह 9 बजकर 2 मिनट के बाद चतुर्थी तिथि लग जायेगी. भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका का व्रत किया जाता है. इसमें अगर तृतीया तिथि का मुहूर्त मात्र भी हो तो भी यही तिथि ग्राह्य है. गौरी और गणेश के तिथियों का सम्मिलन उत्तम माना गया है. इसलिए 2 सितम्बर को निर्विवाद रूप से पवित्र व्रत हरतालिका तीज रखा जाएगा.
इस विधि से पूजा कर भगवान शिव-पार्वती को करें प्रसन्न
पहले पूर्व या उत्तर मुख होकर हाथ में जल, चावल, सुपाड़ी, पैसे और पुष्प लेकर तीज व्रत का संकल्प लें. धूप, दीप, गन्ध, चन्दन, चावल, बेलपत्र, पुष्प, शहद, यज्ञोपवीत, धतूरा, कमलगट्टा, आक का फल या फूल से भोलेनाथ की पूजा करें. पूजन के दौरान सुहागिन स्त्रियों को श्रृंगार का सामान और पीले रंग की चुनरी चढ़ानी चाहिए.
पुराणों के अनुसार इस दिन घर या मन्दिर को मण्डपादि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें. इसके बाद कलश स्थापना कर गौरी की स्थापना करके ऊँ उमायै नमः, पार्वत्यै नमः, जगद्धात्रयै नमः, जगत्प्रतिष्ठायै नमः, शान्तिस्वरूपिण्यै नमः, शिवायै नमः और ब्रह्मरूपिण्यै नमः से भगवती उमा की पूजा करें.
इस मंत्र का करें उच्चारण
गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला।
सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।।