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Hanuman Jayanti 2022: हनुमान जयंती पर जानें उनसे जुड़े रहस्य, यहां हुआ था जन्म

16 अप्रैल 2022 को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर शुभ संयोग बन रहे हैं. मान्यता है कि हनुमान जी अमर हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही रहस्यों के बारे में हम लोग.

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Published : Apr 12, 2022, 9:13 PM IST

Hanuman Jayanti 2022
हनुमान जयंती

भोपाल। भगवान श्रीराम के परम भक्त, पवनपुत्र, संकटमोचन, चिरंजिवी हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जा रही है. इस बार की हनुमान जयंती 16 अप्रैल यानी शनिवार को पड़ रही है. हनुमान जी की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि हनुमान जी अमर हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही रहस्यों के बारे में हम लोग. (hanuman ji unkown facts)

यहां जन्में थे भगवान हनुमानः धार्मिक मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के पास एक गांव में हुआ था. मतंग ऋषि के आश्रम में ही वह जन्में थे. हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य श्री राम का सहयोग करना था. भगवान हनुमान को महादेव शंकर का 11वां अवतार भी माना जाता है. हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में किसी प्रकार का संकट नहीं आता है, इसलिए हनुमान जी को संकट मोचक भी कहा गया है. (mystery of lord hanuman ji)

हर युग में मिला है हुनमान जी का उल्लेखः हनुमान जी को भगवान इंद्र देव ने ये वरदान दिया था कि वे अपनी इच्छा से ही मृत्यु को प्राप्त हो सकते हैं. वहीं, भगवान श्री राम के वरदान के अनुसार युग का अंत होन पर ही हनुमान जी को मुक्ति प्राप्त होगी. वहीं, माता सीता के वरदान अनुसार वे चिरंजीवी रहेंगे. मां सीता के इसी वरदान के चलते द्वापर युग में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है. इसमें वे भीम और अर्जुन की परीक्षा लेते दिखते हैं. कलियुग में उन्होंने तुलसीदास जी को दर्शन दिए. श्रीमद् भागवत में बताया गया है कि कलियुग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं.

भगवान हनुमान के हैं 108 नामः हनुमान जी को पवनपुत्र, अंजनी पुत्र, मारुतिनंदन, बजरंगबली, केसरीनंदन, संकटमोचन कई नामों से जाना जाता है. बता दें कि संस्कृत में हनुमान जी 108 नाम है. इनके हर एक नाम में जीवन का एक साल छिपा है. इसलिए हनुमान जी के ये 108 नाम बहुत प्रभावशाली हैं. हनुमान जी का परिचय हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक आदि से मिलता है. लेकिन इन सबसे पहले हनुमान जी आराधना विभीषण ने उनकी शरण में आकर हनुमान स्तुति की थी.

हनुमान जन्मोत्सव पर बन रहे शुभ संयोग, राशि के अनुसार करें मंत्रों का जाप, मिलेगी संकटों से मुक्ति

प्रभु राम भक्त हनुमान जी को लेकर मान्यता है कि वे ब्रह्मचारी हैं. लेकिन ब्रह्मचारी होने के बाद भी वे एक पुत्र के पिता थे. पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता को खोजने लंका की ओर जाते समय उनका एक राक्षस से युद्ध हुआ था. उसे हराने के बाद वे थक गए और उनकी पसीने की बूंद को मगरमच्छ ने निगल लिया, जिसके बाद मकध्वज नाम का एक पुत्र उत्पन्न हुआ. धार्मिक मान्यता है राम भक्त हनुमान जी मां दुर्गा के भी सेवक हैं. माता के आगे-आगे हनुमान जी चलते हैं और पीछे-पीछे भैरव जी.

भोपाल। भगवान श्रीराम के परम भक्त, पवनपुत्र, संकटमोचन, चिरंजिवी हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जा रही है. इस बार की हनुमान जयंती 16 अप्रैल यानी शनिवार को पड़ रही है. हनुमान जी की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि हनुमान जी अमर हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही रहस्यों के बारे में हम लोग. (hanuman ji unkown facts)

यहां जन्में थे भगवान हनुमानः धार्मिक मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के पास एक गांव में हुआ था. मतंग ऋषि के आश्रम में ही वह जन्में थे. हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य श्री राम का सहयोग करना था. भगवान हनुमान को महादेव शंकर का 11वां अवतार भी माना जाता है. हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में किसी प्रकार का संकट नहीं आता है, इसलिए हनुमान जी को संकट मोचक भी कहा गया है. (mystery of lord hanuman ji)

हर युग में मिला है हुनमान जी का उल्लेखः हनुमान जी को भगवान इंद्र देव ने ये वरदान दिया था कि वे अपनी इच्छा से ही मृत्यु को प्राप्त हो सकते हैं. वहीं, भगवान श्री राम के वरदान के अनुसार युग का अंत होन पर ही हनुमान जी को मुक्ति प्राप्त होगी. वहीं, माता सीता के वरदान अनुसार वे चिरंजीवी रहेंगे. मां सीता के इसी वरदान के चलते द्वापर युग में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है. इसमें वे भीम और अर्जुन की परीक्षा लेते दिखते हैं. कलियुग में उन्होंने तुलसीदास जी को दर्शन दिए. श्रीमद् भागवत में बताया गया है कि कलियुग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं.

भगवान हनुमान के हैं 108 नामः हनुमान जी को पवनपुत्र, अंजनी पुत्र, मारुतिनंदन, बजरंगबली, केसरीनंदन, संकटमोचन कई नामों से जाना जाता है. बता दें कि संस्कृत में हनुमान जी 108 नाम है. इनके हर एक नाम में जीवन का एक साल छिपा है. इसलिए हनुमान जी के ये 108 नाम बहुत प्रभावशाली हैं. हनुमान जी का परिचय हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक आदि से मिलता है. लेकिन इन सबसे पहले हनुमान जी आराधना विभीषण ने उनकी शरण में आकर हनुमान स्तुति की थी.

हनुमान जन्मोत्सव पर बन रहे शुभ संयोग, राशि के अनुसार करें मंत्रों का जाप, मिलेगी संकटों से मुक्ति

प्रभु राम भक्त हनुमान जी को लेकर मान्यता है कि वे ब्रह्मचारी हैं. लेकिन ब्रह्मचारी होने के बाद भी वे एक पुत्र के पिता थे. पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता को खोजने लंका की ओर जाते समय उनका एक राक्षस से युद्ध हुआ था. उसे हराने के बाद वे थक गए और उनकी पसीने की बूंद को मगरमच्छ ने निगल लिया, जिसके बाद मकध्वज नाम का एक पुत्र उत्पन्न हुआ. धार्मिक मान्यता है राम भक्त हनुमान जी मां दुर्गा के भी सेवक हैं. माता के आगे-आगे हनुमान जी चलते हैं और पीछे-पीछे भैरव जी.

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