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Gold Hallmarking: 15 जून से सोने पर हॉलमार्किंग जरूरी, जानें इससे फायदा और नुकसान

एमपी में अब गोल्ड पर हॉलमार्क (Gold Hallmarking) अनिवार्य कर दिया है. 15 जून से हॉलमार्क प्रभाव में रहेगा. अब के बाद बिना हॉलमार्क के न तो दुकानदार गोल्ड बेच सकता है और न ही ग्राहक खरीद सकता है. सरकार के इस फैसले से सोने की चोरी पर रोक लगेगी.

hallmarking mandatory on gold
सोने पर हॉलमार्किंग जरूरी
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Published : Jun 15, 2021, 4:27 PM IST

भोपाल। यदि आप भी गोल्ड पहनने और रखने शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक अब गोल्ड पर हॉलमार्क (Gold Hallmarking) होना जरूरी है. इसके साथ ही अब कोई भी ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेक सकेगा. ऐसे में खरीदार को भी अब सोना हॉलमार्क देखकर ही खरीदना होगा.

15 जून से गोल्ड की हॉलमार्कंग अनिवार्य
बता दें कि उपभोक्ता मामले विभाग ने निर्णय लिया था कि सोने के गहनों व कलाकृतियों पर 15 जून से हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जायेगी. ऐसे में जौहरियों को सिर्फ 14,1822 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की इजाजत होगी. गोल्ड हॉलमार्किंग शुद्धता की गांरटी देता है.

सोने की चोरी पर लगेगी रोक
केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सोने के गहनों को लेकर भरोसा, ग्राहकों के संतोष को बढ़ाने के लिये शुद्धता, गुणवत्ता को लेकर आभूषणों व कलाकृतियों की हॉलमार्किंग जरूरी है. इससे दुनिया भर में भारत को एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में तब्दील करने में सहायता मिलेगी.

हॉलमार्क के लिये 35 रुपये लगेगा टैक्स
सोने पर हॉलमार्किंग होने से सोने की खरीद में ग्राहकों से धोखाधड़ी रुकेगी. चोरी के गहने न कोई बेच पायेगा न खरीद पायेगा. गहनों पर BIS, कैरेट-फाइनेंस, हॉलमार्किंग सेंटर का नंबर, ज्वेलर्स का आइडेंटिफिकेशन नंबर होगा. ज्वेलरी, गोल्ड आइटम पर हॉलमार्क के लिये 35 रुपये टैक्स अतिरिक्त है, लेकिन ज्यादा गहनों की शुद्धता के लिए न्यूनतम 200 रुपये और टैक्स लगेगा. इससे सोने की कीमत अधिक नहीं बढ़ेगी. इसमें केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ज्वेलरी एसोसिएशन हॉलमार्किंग निकायों के प्रतिनिधि रहेंगे.

BIS चला रहा है हॉलमार्किंग की योजना
बता दें कि पूरे देश भर में एक जून से हॉलमार्किंग के नियम लागू होने थे, लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए तारीख बढ़ा दी गयी है. हॉलमार्किंग की प्रक्रिया देश भर में हॉलमार्किंग केंद्रों पर की जाएगी. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) इसकी निगरानी करेगा. वर्तमान में 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की जाती है. वर्ष 2000 से ही सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की योजना BIS चला रहा है. अब 15 जून से देश में सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बिकेगी.

हॉलमार्किंग क्यों है जरूरी ?
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. केंद्र सरकार सोने की शुद्धता के लिए काफी दिनों से हॉलमार्किंग को बढ़ावा दे रही है. अब इसको अनिवार्य किया जा रहा है. हॉलमार्क का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (bureau of indian standards) करती है. सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ बीआईएस (BIS) का लोगो लगाना जरूरी है. ग्राहकों को नकली माल से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है. इसका फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी.

पढ़ें- 'आप भीख मांगें, उधार लें या चोरी करें, लेकिन भुगतान करें'

क्या होता है हॉलमार्क ?
बहुत से लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये हॉलमार्क होता क्या है. दरअसल, किसी भी गहने की शुद्धता को परखने के बाद हॉलमार्क सेंटर गहनों पर बीआईएस (BIS) के लोगो का निशान बना देता है. इसे खरीदने वाला ग्राहक निश्चिंत हो सकता है कि, वो जो सोना खरीद रहा है वो किस कैटेगरी का है और शुद्ध कितना है.

  • असली हॉलमार्क पर BIS बीआईएस का तिकोना निशान होता है.
  • उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है.
  • सोने की शुद्धता भी लिखी होती है.
  • ज्वेलरी कब बनाई गई है इसका वर्ष लिखा होता है.
  • ज्वेलर का लोगो भी होता है.

4 बड़े जिलों में ITI निर्माण घोटाला: NPCC को दी 11 करोड़ रुपये की जाली बैंक गारंटी

क्या हॉलमार्किंग से बढ़ जाएगा सोने का दाम ?
हॉलमार्क के लिए पीस के हिसाब से दाम लिया जाता है. वजन से इसका कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में हॉलमार्किंग ज्वेलरी के दाम पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. बल्कि इससे ग्राहक को शुद्धता की गारंटी मिलेगी.

घर में रखे सोने का क्या होगा ?
हॉलमार्क अनिवार्य करने के बाद कुछ लोगों के मन में ये सवाल उठ रह है कि, घरों में रखे पुराने सोने के जेवरों का क्या होगा?. जरूरत पड़ने पर क्या उसे दुकानदारों को बेचा जा सकेगा?. सराफा एसोसिएशन के मुताबिक पुराने गहनों के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन पर अंकित कैरेट के आधार पर जैसे पहले खरीदा जाता था. उसी तरह अभी भी उसे सराफ कारोबारी खरीद लेंगे. वहीं गोल्ड लोन भी पुराने गहनों पर भी मिल सकेगा.

भोपाल। यदि आप भी गोल्ड पहनने और रखने शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक अब गोल्ड पर हॉलमार्क (Gold Hallmarking) होना जरूरी है. इसके साथ ही अब कोई भी ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेक सकेगा. ऐसे में खरीदार को भी अब सोना हॉलमार्क देखकर ही खरीदना होगा.

15 जून से गोल्ड की हॉलमार्कंग अनिवार्य
बता दें कि उपभोक्ता मामले विभाग ने निर्णय लिया था कि सोने के गहनों व कलाकृतियों पर 15 जून से हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जायेगी. ऐसे में जौहरियों को सिर्फ 14,1822 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की इजाजत होगी. गोल्ड हॉलमार्किंग शुद्धता की गांरटी देता है.

सोने की चोरी पर लगेगी रोक
केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सोने के गहनों को लेकर भरोसा, ग्राहकों के संतोष को बढ़ाने के लिये शुद्धता, गुणवत्ता को लेकर आभूषणों व कलाकृतियों की हॉलमार्किंग जरूरी है. इससे दुनिया भर में भारत को एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में तब्दील करने में सहायता मिलेगी.

हॉलमार्क के लिये 35 रुपये लगेगा टैक्स
सोने पर हॉलमार्किंग होने से सोने की खरीद में ग्राहकों से धोखाधड़ी रुकेगी. चोरी के गहने न कोई बेच पायेगा न खरीद पायेगा. गहनों पर BIS, कैरेट-फाइनेंस, हॉलमार्किंग सेंटर का नंबर, ज्वेलर्स का आइडेंटिफिकेशन नंबर होगा. ज्वेलरी, गोल्ड आइटम पर हॉलमार्क के लिये 35 रुपये टैक्स अतिरिक्त है, लेकिन ज्यादा गहनों की शुद्धता के लिए न्यूनतम 200 रुपये और टैक्स लगेगा. इससे सोने की कीमत अधिक नहीं बढ़ेगी. इसमें केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ज्वेलरी एसोसिएशन हॉलमार्किंग निकायों के प्रतिनिधि रहेंगे.

BIS चला रहा है हॉलमार्किंग की योजना
बता दें कि पूरे देश भर में एक जून से हॉलमार्किंग के नियम लागू होने थे, लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए तारीख बढ़ा दी गयी है. हॉलमार्किंग की प्रक्रिया देश भर में हॉलमार्किंग केंद्रों पर की जाएगी. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) इसकी निगरानी करेगा. वर्तमान में 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की जाती है. वर्ष 2000 से ही सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की योजना BIS चला रहा है. अब 15 जून से देश में सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बिकेगी.

हॉलमार्किंग क्यों है जरूरी ?
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. केंद्र सरकार सोने की शुद्धता के लिए काफी दिनों से हॉलमार्किंग को बढ़ावा दे रही है. अब इसको अनिवार्य किया जा रहा है. हॉलमार्क का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (bureau of indian standards) करती है. सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ बीआईएस (BIS) का लोगो लगाना जरूरी है. ग्राहकों को नकली माल से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है. इसका फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी.

पढ़ें- 'आप भीख मांगें, उधार लें या चोरी करें, लेकिन भुगतान करें'

क्या होता है हॉलमार्क ?
बहुत से लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये हॉलमार्क होता क्या है. दरअसल, किसी भी गहने की शुद्धता को परखने के बाद हॉलमार्क सेंटर गहनों पर बीआईएस (BIS) के लोगो का निशान बना देता है. इसे खरीदने वाला ग्राहक निश्चिंत हो सकता है कि, वो जो सोना खरीद रहा है वो किस कैटेगरी का है और शुद्ध कितना है.

  • असली हॉलमार्क पर BIS बीआईएस का तिकोना निशान होता है.
  • उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है.
  • सोने की शुद्धता भी लिखी होती है.
  • ज्वेलरी कब बनाई गई है इसका वर्ष लिखा होता है.
  • ज्वेलर का लोगो भी होता है.

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क्या हॉलमार्किंग से बढ़ जाएगा सोने का दाम ?
हॉलमार्क के लिए पीस के हिसाब से दाम लिया जाता है. वजन से इसका कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में हॉलमार्किंग ज्वेलरी के दाम पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. बल्कि इससे ग्राहक को शुद्धता की गारंटी मिलेगी.

घर में रखे सोने का क्या होगा ?
हॉलमार्क अनिवार्य करने के बाद कुछ लोगों के मन में ये सवाल उठ रह है कि, घरों में रखे पुराने सोने के जेवरों का क्या होगा?. जरूरत पड़ने पर क्या उसे दुकानदारों को बेचा जा सकेगा?. सराफा एसोसिएशन के मुताबिक पुराने गहनों के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन पर अंकित कैरेट के आधार पर जैसे पहले खरीदा जाता था. उसी तरह अभी भी उसे सराफ कारोबारी खरीद लेंगे. वहीं गोल्ड लोन भी पुराने गहनों पर भी मिल सकेगा.

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