भोपाल। उपचुनाव से पहले सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अतिथि विद्वानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर आचार संहिता लगने से पहले मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वह तमाम उपचुनाव वाली जगह पर बीजेपी का विरोध करेंगे.
प्रदेश के अतिथि विद्वानों ने आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश के दोनों सियासी प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी ने उनका राजनीतिक इस्तेमाल किया है. अतिथि विद्वानों ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के आंदोलन में शामिल होने पहुंचे थे, लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी बाहर किए गए करीब 900 अतिथि विद्वानों को बहाल नहीं किया गया है.
बता दें अतिथि विद्वान लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. बीजेपी और कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद भी इन्हें नियमित नहीं किया गया, जिसके बाद अब प्रदेश के अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सभी की मांग है कि जिन 900 अतिथि विद्वानों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, उन्हें फिर से बहाल किया जाए.
अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष देवराज सिंह ने कहा कि उनके आंदोलन पंडाल में आकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी अतिथि विद्वानों की मांगों को लेकर सहमति जताई थी. ऐसे में उन्होंने मांग की है कि जल्द ही निकाले गए अतिथि विद्वानों को अंदर व्यवस्था में की जाए. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया है कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले मांग पूरा करने का वादा करती है और सत्ता में आने के बाद वादा भूल जाती है.