भोपाल। मध्य प्रदेश की सियासत में सियासी उठा-पटक जारी है. 16 मार्च को राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए निर्देश दिए थे लेकिन सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया. अब एक बार फिर से राज्यपाल ने 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो माना जाएगा की सरकार के पास बहुमत नहीं है.
मध्य प्रदेश की सियासत में इस वक्त राज्यपाल की भूमिका बेहद अहम हो गई है, ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि राज्यपाल के पास इन हालातों में क्या-क्या शक्तियां और अधिकार होते हैं.
राज्यपाल के अधिकार
- संविधान का अनुच्छेद 175 (2) कहता है कि राज्यपाल के पास सदन को संदेश भेजने का अधिकार होता है। ऐसा ही इस बार कर्नाटक के मामले में हुआ है।
- राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के निर्देश देने का भी अधिकार है। अगर मुख्यमंत्री इसके लिए सदन की बैठक बुलाने में आनाकानी करे तो राज्यपाल के पास कार्रवाई का अधिकार है।
- अगर मुख्यमंत्री बहुमत खो देता है तो वह खुद ही इस्तीफा दे देता है। अगर वह इस्तीफा न दे तो राज्यपाल के पास उसे पद से हटाने और दूसरे दल को सरकार बनाने का न्योता देने का अधिकार होता है।
- राज्यपाल के पास एक और अधिकार यह होता है कि वे राज्य में संवैधानिक व्यवस्था विफल हो जाने के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश कर सकते हैं।