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जन अधिकार अधिनियम लागू करने की तैयारी में प्रदेश सरकार, इजराइल की जल नीती का हो रहा अध्ययन

कमलनाथ सरकार जनता को जन अधिकार अधिनियम के तहत पानी की सुविधा दिये जाने वाले ऐलान को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है. जिसके लिए जल संसाधन विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और नगरी प्रशासन एवं आवास विभाग के अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है. जो इजरायल-अमेरिका के पानी को लेकर बनाए गए नियमों का अध्ययन कर रही है.

कमलनाथ सरकार
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Published : Jun 18, 2019, 11:38 AM IST

भोपाल। जल संरक्षण के लिए कमलनाथ सरकार इजरायल की जल नीतियों की तर्ज पर प्रदेश में जन अधिकार अधिनियम लागू करने की तैयारी में है. जिसके लिए जल संसाधन विभाग इजरायल, अमेरिका के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में बनाई गई नीतियों का अध्ययन कर रहा है. साथ ही जल संरक्षण पर काम करने वाले देश के ख्यात पर्यावरणविद से भी संपर्क किया जा रहा है. इस अधिनियम के चलते पानी के दुरुपयोग पर रोक लगाई जाएगी.

कांग्रेस कर रही जन अधिकार अधिनियम लागू करने की तैयारी

कमलनाथ सरकार जनता को जन अधिकार अधिनियम के तहत पानी की सुविधा दिये जाने वाले ऐलान को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है. जिसके लिए जल संसाधन विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और नगरी प्रशासन एवं आवास विभाग के अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है. जो इजरायल-अमेरिका के पानी को लेकर बनाए गए नियमों का अध्ययन कर रही है.

अधिनियम के जरिए पानी के दुरुपयोग पर होगी सख्ती
⦁ प्रदेश में होने वाले बेतहाशा बोर पर लगाम लगाई जाएगी, इसके लिए नियमों को सख्त बनाया जाएगा. साथ ही निजी बोरो का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा.
⦁ प्रदेश में वॉटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू किया जाएगा. फिलहाल इसको लेकर नियम तो है, लेकिन अमल सख्ती से नहीं होता.
⦁ प्रदेश के छोटे-छोटे क्षेत्रों तक पानी के ट्रीटमेंट प्लान को अनिवार्य किया जाएगा.
⦁ वाटर रिचार्जिंग के लिए नियमों को सख्त बनाया जाएगा.

मध्यप्रदेश में 1986 में मध्यप्रदेश में पेयजल परिरक्षण अधिनियम लाया गया था. इसमें 2002 में संशोधन भी किया गया, लेकिन ये बहुत सीमित है. सरकार की कोशिश है की अगले 6 माह में इस अधिनियम को तैयार का लागू कर दिया जाए.

भोपाल। जल संरक्षण के लिए कमलनाथ सरकार इजरायल की जल नीतियों की तर्ज पर प्रदेश में जन अधिकार अधिनियम लागू करने की तैयारी में है. जिसके लिए जल संसाधन विभाग इजरायल, अमेरिका के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में बनाई गई नीतियों का अध्ययन कर रहा है. साथ ही जल संरक्षण पर काम करने वाले देश के ख्यात पर्यावरणविद से भी संपर्क किया जा रहा है. इस अधिनियम के चलते पानी के दुरुपयोग पर रोक लगाई जाएगी.

कांग्रेस कर रही जन अधिकार अधिनियम लागू करने की तैयारी

कमलनाथ सरकार जनता को जन अधिकार अधिनियम के तहत पानी की सुविधा दिये जाने वाले ऐलान को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है. जिसके लिए जल संसाधन विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और नगरी प्रशासन एवं आवास विभाग के अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है. जो इजरायल-अमेरिका के पानी को लेकर बनाए गए नियमों का अध्ययन कर रही है.

अधिनियम के जरिए पानी के दुरुपयोग पर होगी सख्ती
⦁ प्रदेश में होने वाले बेतहाशा बोर पर लगाम लगाई जाएगी, इसके लिए नियमों को सख्त बनाया जाएगा. साथ ही निजी बोरो का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा.
⦁ प्रदेश में वॉटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू किया जाएगा. फिलहाल इसको लेकर नियम तो है, लेकिन अमल सख्ती से नहीं होता.
⦁ प्रदेश के छोटे-छोटे क्षेत्रों तक पानी के ट्रीटमेंट प्लान को अनिवार्य किया जाएगा.
⦁ वाटर रिचार्जिंग के लिए नियमों को सख्त बनाया जाएगा.

मध्यप्रदेश में 1986 में मध्यप्रदेश में पेयजल परिरक्षण अधिनियम लाया गया था. इसमें 2002 में संशोधन भी किया गया, लेकिन ये बहुत सीमित है. सरकार की कोशिश है की अगले 6 माह में इस अधिनियम को तैयार का लागू कर दिया जाए.

Intro:प्रदेश की कमलनाथ सरकार इजरायल की नीतियों की तर्ज पर प्रदेश में जन अधिकार अधिनियम बनाने जा रही है इसके लिए जल संसाधन विभाग इजरायल अमेरिका के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में बनाई गई नीतियों का अध्ययन कर रहा है वही देश के ख्यात जल संरक्षण पर काम करने वाले पर्यावरणविद और से भी संपर्क साधा जा रहा है इनकी सुझावों पर मंथन के बाद जन अधिकार अधिनियम को अंतिम रूप दिया जाएगा. अधिनियम के जरिए सरकार पानी के दुरुपयोग पर शक्ति से रोक लगाने जा रही है.


Body:कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के लोगों को पानी का अधिकार दिए जाने का ऐलान किया है इसे अमलीजामा पहनाने के लिए शासन ने जन अधिकार अधिनियम को लेकर मशक्कत शुरू कर दी है इसके लिए जल संसाधन विभाग सिंचाई विभाग ग्रामीण विकास विभाग और नगरी प्रशासन एवं आवास विभाग के अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है कमेटी इजरायल अमेरिका द्वारा पानी को लेकर बनाए गए नियमों का अध्ययन कर रही है इसके अलावा देश के दूसरे राज्यों में पानी को लेकर बनाए गए नियमों और नीतियों को देखा जा रहा है. समिति जल संरक्षण को लेकर देश में काम करने वाले पर्यावरणविदों मसलन जल पुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह सुनीता नारायण माइक पांडे अन्ना हजारे से संपर्क साध रही है इन सभी को अगले माह होने वाली कार्यशाला में बुलाकर सुझाव लिए जाएंगे। इन सुझावों के आधार पर अधिनियम को अंतिम रूप दिया जाएगा।

अधिनियम के जरिए पानी के दुरुपयोग पर सख्ती करेगी सरकार

सरकार इस अधिनियम के जरिए प्रदेश में पीने के पानी के दुरुपयोग पर सख्ती से रोक लगाने जा रही है ताकि प्रदेश में प्रत्येक नागरिक को पीने का पानी मुहैया कराया जा सके। इसके तहत-
- प्रदेश में होने वाले बेतहाशा बोर पर लगाम लगाई जाएगी। इसके लिए नियमों को सख्त बनाया जाएगा निजी बोरो का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा।
- प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू किया जाएगा। फिलहाल इसको लेकर नियम तो है लेकिन अमल सख्ती से नहीं होता।
- प्रदेश के छोटे-छोटे नगरो तक पानी के ट्रीटमेंट प्लान को अनिवार्य किया जाएगा।
- वाटर रिचार्जिंग के लिए नियमों को सख्त बनाया जाएगा।

हालांकि मध्यप्रदेश में 1986 में मध्यप्रदेश में पेयजल परिरक्षण अधिनियम लाया गया था इसमें 2002 में संशोधन भी किया गया लेकिन यह बहुत सीमित है। सरकार की कोशिश है की अगले 6 माह में इस अधिनियम को तैयार का लागू कर दिया जाए।




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