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मध्याह्न भोजन को लेकर सरकार सख्त, जल्द दूर करेगी विसंगतियांः मंत्री

प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को दिये जाने वाले मध्याह्न भोजन को लेकर प्रदेश सरकार सख्त हो गई है. पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले में विसंगतियों को दूर करने जा रही है.

मध्यान्ह भोजन में सुधार लाएगी सरकार
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Published : Aug 1, 2019, 3:43 PM IST

भोपाल। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को उपलब्ध कराए जाने वाले मध्याह्न भोजन के लिए आवंटित राशि का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है. ऐसा कोई एक-दो से नहीं हो रहा है, बल्कि 9 सालों ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले में विसंगतियों को दूर करने जा रही है.

मध्यान्ह भोजन के लिए सरकारी लाएगी नई नीति

पिछले साल सरकार ने मध्याह्न भोजन के लिए 1147 करोड़ की राशि आवंटित की थी, इसके बाद भी 20 लाख से ज्यादा छात्र भोजन से वंचित रहे, जबकि ये राशि सरकार ने 608 लाख छात्रों के हिसाब से जारी की थी. सिर्फ 48 लाख 65 हजार बच्चों ने ही मध्याह्न भोजन का उपयोग किया. ये स्थिति सिर्फ 2018-19 की ही नहीं है, बल्कि पिछले 9 सालों से सरकार मध्याह्न भोजन के लिए जो राशि आवंटित कर रही है, उसका पूरा उपयोग ही नहीं हो पा रहा है.

इसको लेकर जब ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि तीन सालों में इसको लेकर लापरवाही के मामले बढ़े हैं, लेकिन अब इसको लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है. प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में गैरहाजिर छात्रों का औसत साल दर साल बढ़ रहा है. 2018 में बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति 57 फीसदी रह गई है. हालांकि, मंत्री के मुताबिक सरकार इसको लेकर सुधार कर रही है.

ये स्थिति तब है जब प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है और जो बच्चे इन सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं, उनकी उपस्थिति के आंकड़े भी कम हुए हैं.

2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. गैरहाजिर रहने वाले छात्रों का औसत साल दर साल बढ़ रहा है, पिछले 8 सालों में छात्रों की उपस्थिति सबसे न्यूनतम स्तर पर है. 2010 में प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की हाजिरी 65% से ऊपर थी जो 2018 में 57 फीसदी रह गई है.

जानिए किस साल कितनी उपयोग हुई राशि-
2010-11 में 1081.99 राशि आवंटित की गई थी, जबकि राशि खर्च की गई 916.03 करोड़।
2011-12 में 1133.39 आवंटित राशि में से 1010.64 करोड़ ही खर्च किए जा सके।
2012 13 में 1171.99 करोड़ आवंटित किए गए जिसमें से खर्च हो पाए 1020.74 करोड़
2013-14 में 1176.24 करोड़ आवंटित किए गए, जबकि खर्च किए गए 999.66
2014 15 में 1076. 25 आवंटित राशि में से 986.65 करोड़ राशि खर्च की जा सकी.
2015 16 में 1108.03 आवंटित राशि में से 998.39 करोड़ की राशि ही खर्च की जा सकी.
2016 17 में 1239.43 आवंटित राशि में से 1154.95 करोड़ राशि खर्च की गई.
इसी तरह वर्ष 2017 18 में मध्यान भोजन के लिए 1030.95. करोड़ राशि में से 845.78 करोड़ राशि ही खर्च की जा सकी.

भोपाल। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को उपलब्ध कराए जाने वाले मध्याह्न भोजन के लिए आवंटित राशि का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है. ऐसा कोई एक-दो से नहीं हो रहा है, बल्कि 9 सालों ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले में विसंगतियों को दूर करने जा रही है.

मध्यान्ह भोजन के लिए सरकारी लाएगी नई नीति

पिछले साल सरकार ने मध्याह्न भोजन के लिए 1147 करोड़ की राशि आवंटित की थी, इसके बाद भी 20 लाख से ज्यादा छात्र भोजन से वंचित रहे, जबकि ये राशि सरकार ने 608 लाख छात्रों के हिसाब से जारी की थी. सिर्फ 48 लाख 65 हजार बच्चों ने ही मध्याह्न भोजन का उपयोग किया. ये स्थिति सिर्फ 2018-19 की ही नहीं है, बल्कि पिछले 9 सालों से सरकार मध्याह्न भोजन के लिए जो राशि आवंटित कर रही है, उसका पूरा उपयोग ही नहीं हो पा रहा है.

इसको लेकर जब ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि तीन सालों में इसको लेकर लापरवाही के मामले बढ़े हैं, लेकिन अब इसको लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है. प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में गैरहाजिर छात्रों का औसत साल दर साल बढ़ रहा है. 2018 में बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति 57 फीसदी रह गई है. हालांकि, मंत्री के मुताबिक सरकार इसको लेकर सुधार कर रही है.

ये स्थिति तब है जब प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है और जो बच्चे इन सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं, उनकी उपस्थिति के आंकड़े भी कम हुए हैं.

2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. गैरहाजिर रहने वाले छात्रों का औसत साल दर साल बढ़ रहा है, पिछले 8 सालों में छात्रों की उपस्थिति सबसे न्यूनतम स्तर पर है. 2010 में प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की हाजिरी 65% से ऊपर थी जो 2018 में 57 फीसदी रह गई है.

जानिए किस साल कितनी उपयोग हुई राशि-
2010-11 में 1081.99 राशि आवंटित की गई थी, जबकि राशि खर्च की गई 916.03 करोड़।
2011-12 में 1133.39 आवंटित राशि में से 1010.64 करोड़ ही खर्च किए जा सके।
2012 13 में 1171.99 करोड़ आवंटित किए गए जिसमें से खर्च हो पाए 1020.74 करोड़
2013-14 में 1176.24 करोड़ आवंटित किए गए, जबकि खर्च किए गए 999.66
2014 15 में 1076. 25 आवंटित राशि में से 986.65 करोड़ राशि खर्च की जा सकी.
2015 16 में 1108.03 आवंटित राशि में से 998.39 करोड़ की राशि ही खर्च की जा सकी.
2016 17 में 1239.43 आवंटित राशि में से 1154.95 करोड़ राशि खर्च की गई.
इसी तरह वर्ष 2017 18 में मध्यान भोजन के लिए 1030.95. करोड़ राशि में से 845.78 करोड़ राशि ही खर्च की जा सकी.

Intro:भोपाल. मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के छात्र छात्राओं को उपलब्ध कराए जाने वाले मध्यान्ह भोजन के लिए आवंटित राशि का पूरा उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। यही स्थिति पिछले 9 सालों से बनी हुई है। जबकि प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में गैरहाजिर छात्रों का औसत साल दर साल बढ़ रहा है। 2018 में बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति 57 फ़ीसदी रह गई है। हालांकि ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल के मुताबिक सरकार इसको लेकर सुधार कर रही है.


Body:पिछले साल सरकार ने मध्यान भोजन के लिए 1147 करोड़ की राशि आवंटित की थी इसके बाद भी 20 लाख से ज्यादा छात्र भोजन से वंचित रहे हैं। जबकि यह राशि सरकार ने 608 लाख छात्रों के हिसाब से जारी की थी लेकिन सिर्फ 48 लाख 65 हजार बच्चों ने ही मध्यान भोजन का उपयोग किया है। यह स्थिति सिर्फ 2018 19 की ही नहीं है बल्कि पिछले 9 सालों से सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन के लिए जो राशि आवंटित की जा रही है उसका पूरा उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। इसको लेकर जब ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल से सवाल किया गया तो उनका कहना है कि 3 सालों में इसको लेकर लापरवाही हुई है लेकिन अब इसको लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है.

किस साल कितनी उपयोग हो सकी राशि

वर्ष दो 2010-11 में 1081.99 राशि आवंटित की गई थी, जबकि राशि खर्च की गई 916.03 करोड़।
वर्ष 2011-12 में 1133.39 आवंटित राशि में से 1010.64 करोड़ ही खर्च किए जा सके।
2012 13 में 1171.99 करोड़ आवंटित किए गए जिसमें से खर्च हो पाए 1020.74 करोड़
2013-14 में 1176.24 करोड़ आवंटित किए गए, जबकि खर्च किए गए 999.66
वर्ष 2014 15 में 1076. 25 आवंटित राशि में से 986.65 करोड़ राशि खर्च की जा सकी.
2015 16 में 1108.03 आवंटित राशि में से 998.39 करोड़ की राशि ही खर्च की जा सकी.
वर्ष 2016 17 में 1239.43 आवंटित राशि में से 1154.95 करोड़ राशि खर्च की गई.
इसी तरह वर्ष 2017 18 में मध्यान भोजन के लिए 1030.95. करोड़ राशि में से 845.78 करोड़ राशि ही खर्च की जा सकी.

प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की गैर हाजिरी बड़ी चिंता

यह स्थिति तब है जब मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है . प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आई है और जो बच्चे इन सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं उनकी उपस्थिति के आंकड़े भी गिरे हैं. 2019 की असर की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अभी भी चिंता की वजह है. गैरहाजिर रहने वाले छात्रों का औसत साल दर साल बढ़ रहा है पिछले 8 सालों में छात्रों की उपस्थिति सबसे न्यूनतम स्तर पर है. 2010 में प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की हाजिरी 65% से ऊपर थी जो 2018 में 57 फ़ीसदी रह गई है.



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