भोपाल। कोरोना संक्रमण में प्रदेश वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को उनकी कुशलता और दक्षता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराने की सरकार के दावे फेल हो गए हैं. रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से एक लाख मजदूरों को भी रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा सका, जबकि विभाग ने प्रतिदिन एक हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था. पांच माह में सिर्फ 44 हजार को नौकरी और 46 हजार को आश्वासन मिला है. हालात यह है कि प्रवासी मजदूरों के साथ लौटे 60 हजार बच्चों का सरकारी स्कूल में प्रवेश नहीं हो सका.
लॉकडाउन के समय लौटे थे श्रमिक
लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में काम करने वाले करीब 14 लाख प्रवासी मजदूर मध्य वापस लौटे थे. इनमें से 7 लाख 40 हजार 434 श्रमिकों का उनके कौशल के हिसाब से पंजीयन कराया गया था. इनमें से छह लाख पुरुष प्रवासी श्रमिक और एक लाख 34 हजार 960 महिला प्रवासी श्रमिक थी. इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए 34 हजार 960 एमएसएमई, कारखाने, संस्थाओं और ठेकेदारों का रजिस्ट्रेशन कराया गया. इसके बाद भी 44 हजार 643 मजदूरों को ही रोजगार के लिए नियुक्ति पत्र जारी हो सके. बाकी 46 हजार 488 को नौकरी दिए जाने की प्रक्रिया जारी है. मनरेगा के कार्यों में एक लाख 94 हजार 75 प्रवासी श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया गया है. मध्यप्रदेश लौटे प्रवासी श्रमिकों की संख्या में रोजगार पाने वालों का आंकड़ा काफी कम है.
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प्रवासी मजदूरों के 60,000 बच्चे स्कूल नहीं जा सके
लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे मजदूरों के साथ उनके एक लाख 14000 बच्चे भी वापस लौटे. सरकार ने दावा किया था कि इन बच्चों को स्कूलों में एडमिशन कराया जाएगा, लेकिन इन बच्चों में से सिर्फ 64000 बच्चों का ही स्कूल में एडमिशन हो सका.
पहले दिन मिला था 79 मजदूरों को रोजगार
10 जून को इस योजना के शुरू होने के दिन इस पोर्टल के माध्यम से 79 मजदूरों को ही रोजगार मिला था. इसके बाद पोर्टल के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने का आंकड़ा बिगड़ता गया. अब इस पोर्टल से माध्यम से प्रतिदिन औसतन 600 लोगों को रोजगार मिल रहा है.
पोर्टल का किया जाएगा विस्तार- श्रम मंत्री
उधर श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक इस ऐप पर प्रवासी मजदूरों ने अप्लाई किया था और उन्हें रोजगार मिला है. लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं. इसको देखते हुए केंद्र सरकार भी एक पोर्टल बना रहा है. हमारी कोशिश है कि ऐसा पोर्टल बन जाए, ताकि प्रदेश के मजदूर बाहर जाते हैं तो उन्हें बाहर भी सुविधाएं मिल सकें, और उनका शोषण भी न हो.