भोपाल/शाजापुर। दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है. देश मे कई जगहों पर लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म ग्रंथों में गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है. देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं. उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्यरूपी धन प्रदान करती हैं. गायों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की पूजा की जाती है.
गायत्री शक्तिपीठ में कार्यक्रम : गायत्री शक्तिपीठ भोपाल के गौशाला पर गौवर्धन एवं गौ माता की पूजा अर्चना कर उसके पर्व का महत्व बताते हुए गौ सेवकों जो बीमार, दुर्घटना में जख्मी गायों की मलम पट्टी तीमारदारी कर उनके भूख प्यास की व्यवस्था करते हैं. ऐसे बजरंग दल के गौसेवा प्रमुख सर्व विजय बाथम, वीरेंद्र सोनी, शैलेश प्रजापति एवं उनके समन्वयक महेश विजयवर्गी, प्रेमलाल कुशवाहा, अरुन प्रभा त्रिपाठी एवं गौरीशंकर चौरसिया का शाल श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया.
गौपालन पर विशेष जोर : गौशाला में रोजाना सेवा देने वाल गौसेवकों का वस्त्र एवं शॉल श्रीफल से सम्मान किया. इस अवसर पर प्रभाकांत तिवारी ने कहा गौपालन पर विशेष जोर देते हुए कहा कि गौ उत्पादन और उससे बनने वाली औषधियां 136 प्रकार की बीमारियों का इससे निदान होता है. रघुनाथ प्रसाद हजारी ने कहा कि गौ संवर्धन सिर्फ गौवंश ही नहीं अपितु गोवर्धन पर्वत के माध्यम से पूरी प्रकृति का महोत्सव है.
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शाजापुर में गवली समाज ने भी की गोवर्धन पूजा : हजारों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वाहन करते हुए बुधवार को गवली समाज ने गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर खीर पूरी एव अन्य पकवान का भीग चढ़ाकर गोवर्धन की पूजा की. नई सड़क स्थित गवली मोहल्ले में गवली समाज की महिलाओं द्वारा गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति का निर्माण किया गया, जिसके बाद समाज के सभी वरिष्ठजनों ने गोवर्धन की पूजा की. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्वाल वंश को भगवान इंद्रदेव के प्रकोप से बचने के लिए श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन को अपनी उंगली से उठाया था. इसके बाद से ही गोवर्धन महाराज की पूजा ग्वालवंशियों द्वारा की जाती है.