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श्रीलंका में संसदीय चुनाव की सभी तैयारियां पूरी, कल होगी वोटिंग

श्रीलंका में बृहस्पतिवार को संसदीय चुनाव है. देश में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान को लेकर व्यापक तैयारियां की गई है.

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श्रीलंका में संसदीय चुनाव की सभी तैयारियां पूरी (प्रतीकात्मक फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 13, 2024, 11:02 AM IST

कोलंबो: श्रीलंका में गुरुवार को संसदीय चुनाव होंगे और निष्पक्ष एवं पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रबंध कर लिए गए हैं. देशभर में 13,314 से अधिक मतदान केंद्रों पर गुरुवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा.

चुनाव आयोग के महानिदेशक समन रत्नायका ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मतदान केंद्रों पर आवश्यक सभी मतपेटियां और अन्य उपकरण बुधवार को भेज दिए जाएंगे. श्रीलंका की 21 मिलियन आबादी में से 17 मिलियन से अधिक मतदाता मतदान के पात्र हैं. 225 सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर मतदान से चुने जाएंगे.

पश्चिमी प्रांत के गम्पाहा जिले से सबसे अधिक 19 सांसद चुने जाएंगे, जबकि इसी प्रांत की राजधानी कोलंबो जिले से 18 सांसद चुने जाएंगे. पूर्वी प्रांत के त्रिंकोमाली जिले से सबसे कम 4 सांसद चुने जाएंगे. पुलिस प्रवक्ता निहाल थलदुवा ने बताया कि चुनाव में सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस और सेना के करीब 90,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा. इसके अलावा मोबाइल पुलिस गश्त भी होगी.

यह चुनाव राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर की लोकप्रियता का पहला बड़ा परीक्षण होगा. 21 सितम्बर के राष्ट्रपति चुनाव में 50 प्रतिशत वोट प्राप्त करने में असफल रहने के बाद दिसानायके अपने भ्रष्टाचार-विरोधी जवाबदेही सुधारवादी कार्यक्रम को लागू करने के लिए 113 सीटों के साधारण बहुमत से अधिक के साथ एक मजबूत संसद की मांग कर रहे थे.

पिछले महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव में दिसानायके से हारने वाले निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 1977 के बाद पहली बार संसदीय चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. राजपक्षे बंधु - महिंदा, गोटाबाया, चमाल और बासिल - दशकों के प्रतिनिधित्व के बाद संसदीय चुनाव नहीं लड़ेंगे.

पिछली सरकार के कई मंत्रियों और उप-मंत्रियों ने इस दौड़ से बाहर होने का विकल्प चुना है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर 22 जिलों से 196 सदस्यों का चुनाव किया जाना है, जबकि 29 सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय सूची के संचयी मतों से किया जाएगा. इससे 225 सदस्यीय संसद का कार्यकाल पांच वर्ष होगा.

राजनीतिक दल और स्वतंत्र समूह प्रत्येक जिले के लिए उम्मीदवारों की सूची दाखिल करते हैं. सीटों का आवंटन मतदान के अनुसार आनुपातिक रूप से किया जाता है. व्यक्तिगत सांसदों का चुनाव उनके पक्ष में डाले गए वरीयता वोटों के आधार पर होता है. प्रत्येक मतदाता को तीन व्यक्तिगत वरीयताएं चिह्नित करने का अधिकार है.

ये भी पढ़ें-भारत, श्रीलंका ने दिखाया कि शासन परिवर्तन के बावजूद कैसे संतुलित संबंध बनाए रखें

कोलंबो: श्रीलंका में गुरुवार को संसदीय चुनाव होंगे और निष्पक्ष एवं पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रबंध कर लिए गए हैं. देशभर में 13,314 से अधिक मतदान केंद्रों पर गुरुवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा.

चुनाव आयोग के महानिदेशक समन रत्नायका ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मतदान केंद्रों पर आवश्यक सभी मतपेटियां और अन्य उपकरण बुधवार को भेज दिए जाएंगे. श्रीलंका की 21 मिलियन आबादी में से 17 मिलियन से अधिक मतदाता मतदान के पात्र हैं. 225 सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर मतदान से चुने जाएंगे.

पश्चिमी प्रांत के गम्पाहा जिले से सबसे अधिक 19 सांसद चुने जाएंगे, जबकि इसी प्रांत की राजधानी कोलंबो जिले से 18 सांसद चुने जाएंगे. पूर्वी प्रांत के त्रिंकोमाली जिले से सबसे कम 4 सांसद चुने जाएंगे. पुलिस प्रवक्ता निहाल थलदुवा ने बताया कि चुनाव में सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस और सेना के करीब 90,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा. इसके अलावा मोबाइल पुलिस गश्त भी होगी.

यह चुनाव राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर की लोकप्रियता का पहला बड़ा परीक्षण होगा. 21 सितम्बर के राष्ट्रपति चुनाव में 50 प्रतिशत वोट प्राप्त करने में असफल रहने के बाद दिसानायके अपने भ्रष्टाचार-विरोधी जवाबदेही सुधारवादी कार्यक्रम को लागू करने के लिए 113 सीटों के साधारण बहुमत से अधिक के साथ एक मजबूत संसद की मांग कर रहे थे.

पिछले महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव में दिसानायके से हारने वाले निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 1977 के बाद पहली बार संसदीय चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. राजपक्षे बंधु - महिंदा, गोटाबाया, चमाल और बासिल - दशकों के प्रतिनिधित्व के बाद संसदीय चुनाव नहीं लड़ेंगे.

पिछली सरकार के कई मंत्रियों और उप-मंत्रियों ने इस दौड़ से बाहर होने का विकल्प चुना है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर 22 जिलों से 196 सदस्यों का चुनाव किया जाना है, जबकि 29 सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय सूची के संचयी मतों से किया जाएगा. इससे 225 सदस्यीय संसद का कार्यकाल पांच वर्ष होगा.

राजनीतिक दल और स्वतंत्र समूह प्रत्येक जिले के लिए उम्मीदवारों की सूची दाखिल करते हैं. सीटों का आवंटन मतदान के अनुसार आनुपातिक रूप से किया जाता है. व्यक्तिगत सांसदों का चुनाव उनके पक्ष में डाले गए वरीयता वोटों के आधार पर होता है. प्रत्येक मतदाता को तीन व्यक्तिगत वरीयताएं चिह्नित करने का अधिकार है.

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