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अतिथि विद्वानों के धरने का 62वां दिन, सरकार को दी ये चेतावनी - भोपाल न्यूज

भोपाल में नियमितीकरण की मांग को लेकर 62 दिनों से धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो 11-12 फरवरी को हम सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे.

strike of guest faculty in madhya pradesh
62 दिनों से धरने पर अतिथि विद्वान
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Published : Feb 10, 2020, 8:03 AM IST

Updated : Feb 10, 2020, 8:18 AM IST

भोपाल। सरकारी कॉलेजों से निकाले गए प्रदेश के अतिथि विद्वानों का धरना राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में पिछले 62 दिनों से लगातार जारी है, अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर पिछले दो महीने से कड़कड़ाती ठंड में परिवार के साथ डटे हैं, वे सरकार के खिलाफ धरना देने के अलावा सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. इसके बावजूद अब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं, जिसकी वजह से अतिथि विद्वान आक्रोषित हैं, इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने मानदेय की बकाया राशि के बारे में कॉलेजों से जानकारी मांगी है. जिसके बाद अतिथि विद्वानों को मानदेय दिया जाएगा.

62 दिनों से धरने पर अतिथि विद्वान

वचन देने के बावजूद नहीं किया नियमित

अतिथि विद्वानों का आरोप है कि लोक सेवा आयोग से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदभार संभालने के बाद प्रदेश के करीब ढाई हजार से ज्यादा अतिथि विद्वानों को कॉलेज से निकाल दिया गया है. जिसकी वजह से अब अतिथि विद्वानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान ये वचन दिया था कि सत्ता में आने के बाद सभी अतिथि विद्वानों को नियमित करेंगे, लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी इनके इंतजार पर ब्रेक नहीं लगा. अब दोबारा नियुक्ति के नाम पर सिर्फ 680 अतिथि विद्वानों से चॉइस फिलिंग कराई गई है. इनका मानदेय भी 9 महीने का बकाया है, जसमें से तीन महीने का भुगतान कर दिया गया है.

उच्च शिक्षा विभाग ने मांगी जानकारी

उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी कॉलेजों को पत्र लिखकर अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में जानकारी मांगी है, विभाग के निर्देशों के मुताबिक पहले भी इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी, लेकिन कुछ कॉलेजों ने आधी-अधूरी जानकारी दी तो कुछ कॉलेजों ने गलत जानकारी दे दी थी. जिसकी वजह से अतिथि विद्वानों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाया है. अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के प्राचार्य से हर हाल में 12 फरवरी तक जानकारी मांगी है. इसके बाद विभाग कोई जानकारी स्वीकृत नहीं की जाएगी.
योग्यता पूरी होने के बावजूद कर रहे संघर्ष

पिछले 62 दिनों से धरने पर बैठी अतिथि विद्वान अनुपम सिंह बघेल ने बताया कि हम लोग यहां पर 62 दिनों से लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. सभी की हालत खराब हो चुकी है. हमारे साथ हमारे छोटे-छोटे बच्चे भी इस पंडाल में इतने ही दिनों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन मंत्री की आंखें अभी भी नहीं खुल रही हैं. वे कम से कम यहां आकर हमारी खबर तो ले सकते हैं. हम लोग उनसे केवल यही जानना चाहते हैं कि आखिर हम लोगों ने क्या गलती कर दी है, जो इतनी बड़ी सजा भुगतन रहे हैं. सरकार ने जो योग्यता मांगी गई थी, उसे हमने पूरा किया है, इसके बाद भी स्थिति ये है कि आज हम लोग भीख मांगने की कगार पर खड़े हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ आखिर क्या चाहते हैं क्योंकि अब तक तीन से चार जानें जा चुकी हैं, इसके बावजूद भी सरकार सो रही है.

मंत्रियों पर लगाए आरोप, दी चेतावनी

बघेल ने आगे कहा कि मंत्री सिनेमा हॉल में बैठकर एयर कंडिशनर रूम में पिक्चर देख रहे हैं. यहां हम लोग सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं. एक-एक रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं. हम लोगों को 9 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री और मंत्री जीतू पटवारी सो रहे हैं. लेकिन हम उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि अभी भी समय है वे जल्दी निर्णय लें, वरना 11 और 12 फरवरी को हम उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे.

चॉइस फिलिंग के नाम हो रहा खिलवाड़

चॉइस फिलिंग पर अतिथि शिक्षकों ने कहा कि चॉइस फिलिंग के नाम पर एक खिलवाड़ किया जा रहा है, सरकार कह रही कि 680 लोगों की जॉइनिंग हो चुकी है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. सच्चाई ये है कि हमारे तीन साथी इसी धरना स्थल पर बैठे हैं, जिन्हें चॉइस फिलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित किया गया था, बाद में उन्हें बाहर कर दिया गया और कहा कि अभी जगह नहीं है. चॉइस फिलिंग के नाम पर केवल अतिथि विद्वानों के साथ मजाक किया जा रहा है. हम उन्हें क्या मजाक के पात्र नजर आते हैं. ये सोचने का विषय है कुछ लोगों को व्यापमं टू के माध्यम से फर्जी परीक्षा दिलाकर ज्वॉइन कराने का काम किया गया है और जो लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं, सभी उच्च शिक्षित हैं उसके बावजूद सब बाहर हैं.

भोपाल। सरकारी कॉलेजों से निकाले गए प्रदेश के अतिथि विद्वानों का धरना राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में पिछले 62 दिनों से लगातार जारी है, अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर पिछले दो महीने से कड़कड़ाती ठंड में परिवार के साथ डटे हैं, वे सरकार के खिलाफ धरना देने के अलावा सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. इसके बावजूद अब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं, जिसकी वजह से अतिथि विद्वान आक्रोषित हैं, इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने मानदेय की बकाया राशि के बारे में कॉलेजों से जानकारी मांगी है. जिसके बाद अतिथि विद्वानों को मानदेय दिया जाएगा.

62 दिनों से धरने पर अतिथि विद्वान

वचन देने के बावजूद नहीं किया नियमित

अतिथि विद्वानों का आरोप है कि लोक सेवा आयोग से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदभार संभालने के बाद प्रदेश के करीब ढाई हजार से ज्यादा अतिथि विद्वानों को कॉलेज से निकाल दिया गया है. जिसकी वजह से अब अतिथि विद्वानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान ये वचन दिया था कि सत्ता में आने के बाद सभी अतिथि विद्वानों को नियमित करेंगे, लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी इनके इंतजार पर ब्रेक नहीं लगा. अब दोबारा नियुक्ति के नाम पर सिर्फ 680 अतिथि विद्वानों से चॉइस फिलिंग कराई गई है. इनका मानदेय भी 9 महीने का बकाया है, जसमें से तीन महीने का भुगतान कर दिया गया है.

उच्च शिक्षा विभाग ने मांगी जानकारी

उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी कॉलेजों को पत्र लिखकर अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में जानकारी मांगी है, विभाग के निर्देशों के मुताबिक पहले भी इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी, लेकिन कुछ कॉलेजों ने आधी-अधूरी जानकारी दी तो कुछ कॉलेजों ने गलत जानकारी दे दी थी. जिसकी वजह से अतिथि विद्वानों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाया है. अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के प्राचार्य से हर हाल में 12 फरवरी तक जानकारी मांगी है. इसके बाद विभाग कोई जानकारी स्वीकृत नहीं की जाएगी.
योग्यता पूरी होने के बावजूद कर रहे संघर्ष

पिछले 62 दिनों से धरने पर बैठी अतिथि विद्वान अनुपम सिंह बघेल ने बताया कि हम लोग यहां पर 62 दिनों से लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. सभी की हालत खराब हो चुकी है. हमारे साथ हमारे छोटे-छोटे बच्चे भी इस पंडाल में इतने ही दिनों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन मंत्री की आंखें अभी भी नहीं खुल रही हैं. वे कम से कम यहां आकर हमारी खबर तो ले सकते हैं. हम लोग उनसे केवल यही जानना चाहते हैं कि आखिर हम लोगों ने क्या गलती कर दी है, जो इतनी बड़ी सजा भुगतन रहे हैं. सरकार ने जो योग्यता मांगी गई थी, उसे हमने पूरा किया है, इसके बाद भी स्थिति ये है कि आज हम लोग भीख मांगने की कगार पर खड़े हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ आखिर क्या चाहते हैं क्योंकि अब तक तीन से चार जानें जा चुकी हैं, इसके बावजूद भी सरकार सो रही है.

मंत्रियों पर लगाए आरोप, दी चेतावनी

बघेल ने आगे कहा कि मंत्री सिनेमा हॉल में बैठकर एयर कंडिशनर रूम में पिक्चर देख रहे हैं. यहां हम लोग सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं. एक-एक रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं. हम लोगों को 9 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री और मंत्री जीतू पटवारी सो रहे हैं. लेकिन हम उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि अभी भी समय है वे जल्दी निर्णय लें, वरना 11 और 12 फरवरी को हम उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे.

चॉइस फिलिंग के नाम हो रहा खिलवाड़

चॉइस फिलिंग पर अतिथि शिक्षकों ने कहा कि चॉइस फिलिंग के नाम पर एक खिलवाड़ किया जा रहा है, सरकार कह रही कि 680 लोगों की जॉइनिंग हो चुकी है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. सच्चाई ये है कि हमारे तीन साथी इसी धरना स्थल पर बैठे हैं, जिन्हें चॉइस फिलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित किया गया था, बाद में उन्हें बाहर कर दिया गया और कहा कि अभी जगह नहीं है. चॉइस फिलिंग के नाम पर केवल अतिथि विद्वानों के साथ मजाक किया जा रहा है. हम उन्हें क्या मजाक के पात्र नजर आते हैं. ये सोचने का विषय है कुछ लोगों को व्यापमं टू के माध्यम से फर्जी परीक्षा दिलाकर ज्वॉइन कराने का काम किया गया है और जो लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं, सभी उच्च शिक्षित हैं उसके बावजूद सब बाहर हैं.

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Stinger Bhopal Manish pateria

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अपनी मांगों को लेकर डटे अतिथि विद्वानों को हुए 62 दिन पूरे , सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप



भोपाल | सरकारी कॉलेजों से निकाले गए प्रदेश भर के अतिथि विद्वानों का धरना राजधानी के शाहजहानी पार्क में पिछले 62 दिनों से लगातार जारी है अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर पिछले 2 महीने से कड़कड़ाती ठंड में परिवार के साथ डटे हुए हैं अतिथि विद्वानों के द्वारा पिछले 2 महीने से लगातार सरकार के खिलाफ धरना और प्रदर्शन किया जा रहा है इसके अलावा सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के जतन भी किए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी अब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो पाई है जिसकी वजह से अतिथि विद्वानों में काफी रोष व्याप्त है वहीं उच्च शिक्षा विभाग ने अब मानदेय की बकाया राशि के बारे में कॉलेजों से जानकारी मांगी है यह जानकारी आने के बाद अतिथि विद्वानों को मानदेय दिया जाएगा




Body:अतिथि विद्वानों के द्वारा पिछले 2 माह से निवृत्ति करण की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है अतिथि विद्वानों का आरोप है कि लोक सेवा आयोग से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदभार संभालने के बाद प्रदेश के करीब ढाई हजार से ज्यादा अतिथि विद्वानों को कॉलेजों से निकाल दिया गया है जिसकी वजह से अब अतिथि विद्वानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है प्रदेश सरकार के द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान यह वचन दिया गया था कि वे चुनाव जीतने के बाद सभी अतिथि विद्वानों को नियमितीकरण की सौगात देंगे लेकिन सरकार को बने 1 साल बीत जाने के बाद भी अतिथि विद्वान नियमितीकरण की राह देख रहे हैं राजधानी में 62 दिन पूरे हो जाने के बाद भी अब तक नियमितीकरण नहीं किया गया है लेकिन अब दोबारा नियुक्ति के नाम पर सिर्फ 680 अतिथि विद्वानों से चॉइस फिलिंग कराई गई है सरकार सिर्फ झूठा आश्वासन दे रही है मानदेय भी 8 महीने का बकाया था लेकिन सिर्फ 3 महीने का दिया गया है सरकार हर स्तर पर अतिथि विद्वानों के साथ अन्याय कर रही है


इधर उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी कॉलेजों को पत्र लिखकर उनके कॉलेजों में अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में जानकारी मांग की है विभाग के निर्देशों के मुताबिक पहले भी इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी लेकिन कुछ कॉलेजों ने आधी अधूरी जानकारी दी तो कुछ कॉलेजों ने गलत जानकारी दे दी थी इसी वजह से अतिथि विद्वानों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाया है अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के प्राचार्य से हर हाल में 12 फरवरी तक जानकारी मांगी है इसके बाद विभाग कोई जानकारी स्वीकृत नहीं करेगा विभाग की ओर से पत्र अपर संचालक घनश्याम सिंह ने लिखा है या जानकारी ऑनलाइन माध्यम से भेजने के निर्देश विभाग के द्वारा दिए गए हैं


Conclusion:पिछले 62 दिनों से संघर्ष कर रही अतिथि विद्वान अनुपम सिंह बघेल का कहना है कि हम लोग यहां पर 62 दिनों से लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं सभी की हालत खराब हो चुकी है हमारे साथ हमारे छोटे छोटे बच्चे भी इस पंडाल में इतने ही दिनों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन हमारे मंत्री की आंखें अभी भी नहीं खुल रही है कि कम से कम यहां आकर वे हमारी खबर तो ले सकते हैं हम लोग उनसे केवल यही जानना चाहते हैं कि आखिर हम लोगों ने क्या गलती कर दी है जो इतनी बड़ी सजा भुगतना पड़ रही है सरकार के द्वारा जो योग्यता मांगी गई थी उसे योगिता को हमने पूरा किया है लेकिन इसके बाद भी स्थिति यह है कि आज हम लोग भीख मांगने की कगार पर पहुंच गए हैं मुख्यमंत्री कमलनाथ आखिर क्या चाहते हैं क्योंकि अब तक तीन से चार जाने जा चुकी हैं इसके बावजूद भी सरकार के यह लोग सो रहे हैं सिनेमा हॉल में बैठकर एयर कंडीशनर रूम में पिक्चर देखी जा रही है और अय्याशी की जा रही है और हम लोग सड़कों पर बैठकर संघर्ष कर रहे हैं एक-एक रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं हम लोगों को 9 महीने से वेतन भी नहीं मिला है इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री और मंत्री जीतू पटवारी सो रहे हैं लेकिन हम उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि अभी भी समय है वे जल्दी निर्णय ले ले वरना 11 और 12 फरवरी को हम उनका जीना हराम कर देंगे जिस तरह से उन्होंने हमारा जीना हराम किया है तो हम भी उनका जीना हराम कर देंगे जब तक सरकार के द्वारा हम सभी का नियमितीकरण का लेटर ऑनलाइन नहीं दिया जाएगा तब तक हम इस पंडाल को छोड़ने वाले नहीं है

उन्होंने कहा कि चॉइस फिलिंग के नाम पर एक खिलवाड़ किया जा रहा है सरकार के द्वारा कहा जा रहा है कि 680 लोगों की जॉइनिंग हो चुकी है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है सच्चाई यह है कि हमारे 3 साथी इसी धरना स्थल पर बैठे हैं जिन्हें चॉइस फिलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित किया गया था लेकिन बाद में उन्हें खाकर बाहर कर दिया कि अभी जगह नहीं है चॉइस फिलिंग के नाम पर केवल अतिथि विद्वानों के साथ मजाक किया जा रहा है हम उन्हें क्या मजाक के पात्र नजर आते हैं यह सोचने का विषय है कुछ लोगों को व्यापम टू के माध्यम से फर्जी परीक्षा दिलवा कर ज्वाइन कराने का काम किया गया है और जो हम लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं सभी उच्च शिक्षित हैं उसके बावजूद भी हम बाहर हैं उन्होंने कहा कि जो लोग वास्तविक विकलांग हैं वह हमारे साथ संघर्ष कर रहे हैं और जो विकलांग नहीं है उन्हें व्यापम टू में फर्जीवाड़ा कर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाकर बिठाया गया है इस विषय पर भी जांच होनी चाहिए

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने हमें वचन दिया था कि चुनाव जीतने के बाद उस भजन को निभाएगी लेकिन अब वह अपना वचन निभाने में कतरा रही है हमने कांग्रेस को जिताने के लिए अपने घर में विद्रोह किया और हमने संघर्ष करके कांग्रेस को जिताया है लेकिन कांग्रेस ने हमें धोखा दिया है .
Last Updated : Feb 10, 2020, 8:18 AM IST
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