भोपाल। सरकारी कॉलेजों से निकाले गए प्रदेश के अतिथि विद्वानों का धरना राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में पिछले 62 दिनों से लगातार जारी है, अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर पिछले दो महीने से कड़कड़ाती ठंड में परिवार के साथ डटे हैं, वे सरकार के खिलाफ धरना देने के अलावा सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. इसके बावजूद अब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं, जिसकी वजह से अतिथि विद्वान आक्रोषित हैं, इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने मानदेय की बकाया राशि के बारे में कॉलेजों से जानकारी मांगी है. जिसके बाद अतिथि विद्वानों को मानदेय दिया जाएगा.
वचन देने के बावजूद नहीं किया नियमित
अतिथि विद्वानों का आरोप है कि लोक सेवा आयोग से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदभार संभालने के बाद प्रदेश के करीब ढाई हजार से ज्यादा अतिथि विद्वानों को कॉलेज से निकाल दिया गया है. जिसकी वजह से अब अतिथि विद्वानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान ये वचन दिया था कि सत्ता में आने के बाद सभी अतिथि विद्वानों को नियमित करेंगे, लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी इनके इंतजार पर ब्रेक नहीं लगा. अब दोबारा नियुक्ति के नाम पर सिर्फ 680 अतिथि विद्वानों से चॉइस फिलिंग कराई गई है. इनका मानदेय भी 9 महीने का बकाया है, जसमें से तीन महीने का भुगतान कर दिया गया है.
उच्च शिक्षा विभाग ने मांगी जानकारी
उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी कॉलेजों को पत्र लिखकर अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में जानकारी मांगी है, विभाग के निर्देशों के मुताबिक पहले भी इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी, लेकिन कुछ कॉलेजों ने आधी-अधूरी जानकारी दी तो कुछ कॉलेजों ने गलत जानकारी दे दी थी. जिसकी वजह से अतिथि विद्वानों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाया है. अतिथि विद्वानों के बकाया मानदेय के बारे में उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के प्राचार्य से हर हाल में 12 फरवरी तक जानकारी मांगी है. इसके बाद विभाग कोई जानकारी स्वीकृत नहीं की जाएगी.
योग्यता पूरी होने के बावजूद कर रहे संघर्ष
पिछले 62 दिनों से धरने पर बैठी अतिथि विद्वान अनुपम सिंह बघेल ने बताया कि हम लोग यहां पर 62 दिनों से लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. सभी की हालत खराब हो चुकी है. हमारे साथ हमारे छोटे-छोटे बच्चे भी इस पंडाल में इतने ही दिनों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन मंत्री की आंखें अभी भी नहीं खुल रही हैं. वे कम से कम यहां आकर हमारी खबर तो ले सकते हैं. हम लोग उनसे केवल यही जानना चाहते हैं कि आखिर हम लोगों ने क्या गलती कर दी है, जो इतनी बड़ी सजा भुगतन रहे हैं. सरकार ने जो योग्यता मांगी गई थी, उसे हमने पूरा किया है, इसके बाद भी स्थिति ये है कि आज हम लोग भीख मांगने की कगार पर खड़े हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ आखिर क्या चाहते हैं क्योंकि अब तक तीन से चार जानें जा चुकी हैं, इसके बावजूद भी सरकार सो रही है.
मंत्रियों पर लगाए आरोप, दी चेतावनी
बघेल ने आगे कहा कि मंत्री सिनेमा हॉल में बैठकर एयर कंडिशनर रूम में पिक्चर देख रहे हैं. यहां हम लोग सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं. एक-एक रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं. हम लोगों को 9 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री और मंत्री जीतू पटवारी सो रहे हैं. लेकिन हम उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि अभी भी समय है वे जल्दी निर्णय लें, वरना 11 और 12 फरवरी को हम उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे.
चॉइस फिलिंग के नाम हो रहा खिलवाड़
चॉइस फिलिंग पर अतिथि शिक्षकों ने कहा कि चॉइस फिलिंग के नाम पर एक खिलवाड़ किया जा रहा है, सरकार कह रही कि 680 लोगों की जॉइनिंग हो चुकी है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. सच्चाई ये है कि हमारे तीन साथी इसी धरना स्थल पर बैठे हैं, जिन्हें चॉइस फिलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित किया गया था, बाद में उन्हें बाहर कर दिया गया और कहा कि अभी जगह नहीं है. चॉइस फिलिंग के नाम पर केवल अतिथि विद्वानों के साथ मजाक किया जा रहा है. हम उन्हें क्या मजाक के पात्र नजर आते हैं. ये सोचने का विषय है कुछ लोगों को व्यापमं टू के माध्यम से फर्जी परीक्षा दिलाकर ज्वॉइन कराने का काम किया गया है और जो लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं, सभी उच्च शिक्षित हैं उसके बावजूद सब बाहर हैं.