भोपाल। साइबर फिशिंग नई बात नहीं है. एक ऐसा क्राइम है जिसमें अपराधी किसी भी शख्स के आधिकारिक साइट पर हमला करता है और फिर उस स्थापित अकाउंट के जरिए शिकार तलाशता है, उसे फेक मेल भेजता है और फिर इनके चंगुल में फंसा शख्स अपने खातों से जुड़ी गुप्त जानकारी भी साझा कर देता है.
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सरकारी दफ्तर निशाने पर
साइबर अपराधी आधिकारिक ईमेल खातों को निशाना बना रहे हैं. सरकारी संस्थानों (पुलिस, शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य विभाग आदि) और निजी कंपनियाों को जालसाज मेल भेजते हैं. हाल ही में प्रदेश के कई बड़े अधिकारियों ने हैकिंग के साथ ही स्पूफिंग का जिक्र भी किया था.
फिशिंग ईमेल क्या है?
आमतौर पर फ़िशिंग ईमेल स्पूफिंग या त्वरित संदेश द्वारा किया जाता है. अक्सर उपयोगकर्ताओं को एक नकली वेबसाइट जिसका रूप और अनुभव बिल्कुल असली वेबसाइट (वैध वेबसाइट) जैसा होता है पर, अपने विवरण दर्ज करने के लिए निर्देशित किया जाता है. फ़िशिंग ईमेलों में मैलवेयर से संक्रमित वेबसाइटों की कड़ियां हो सकती हैं.
जालसाज इसका ही इस्तेमाल करते हैं. उपयोगकर्ता को मेल भेजते हैं कि आपकी सेवा समाप्त हो रही है, इसे चालू करने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करें. अमूमन इन ईमेल्स की भाषा जटिल होती है. लिखा जाता है-
ईमेल खाता समाप्त होने वाला है. अपना ईमेल सहेजने के लिए डी एक्टिवेशन से खाता और सेवा के साथ जारी रखें. इसमें लिंक शामिल हैं जिस पर जाकर आप अपना खाता अपडेट कर सकते हैं.
यहां तक पहुंचने के साथ ही उसका असल खेल शुरू हो जाता है. वो उपभोक्ता को अपना अकाउंट अपडेट करने के लिए एक पृष्ठ पर जाने के लिए प्रेरित करता है. और इस सिस्टम के बहाने डेटा चोरी कर पासवर्ड तक हासिल कर लेता है. इस तरह जालसाज उपयोगकर्ता के सभी आधिकारिक मेल और गोपनीय जानकारियों पर अपना दम दिखा देता है. साथ ही, अगर ईमेल आईडी बैंक से लिंक है तो पैसों का भारी नुकसान हो जाता है.
कैसे करें बचाव
अज्ञात प्रेषकों द्वारा भेजे गए स्पैम मेल या ई-मेल को न खोलें. अवांछित ई-मेल से भेजे गए लिंक खोलते समय सावधान रहें, भले ही वे किसी अपने ने भेजा हो. हो सकता है कि इसके जरिए आपकी संपर्क-सूची से छेड़छाड़ कर ली जाए और निकटजनों से उगाही के मंसूबों पर काम हो रहा हो.
अगर फिशिंग का अंदेशा हो तो अपने ईमेल सेवा प्रदाता से संपर्क करें और उन्हें रोकने के लिए खाते को अस्थायी रूप से ब्लॉक करने का अनुरोध करें. कहें कि आपके नाम से गए मेल पर रिस्पांड ना करें. सबसे अहम बात अगर कोई भी शक है तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में संपर्क करें.