भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव में बुरी हार के बाद आज कांग्रेस समीक्षा बैठक करने जा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तमाम विधायकों के साथ ही जिन क्षेत्रों में उपचुनाव हुए हैं, वहां के जिलाध्यक्षों और विधानसभा प्रभारियों को भी बुलाया है.
सरकार और धनबल के खिलाफ लड़ा चुनाव
ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट के प्रभारी और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहना है कि, हमें उम्मीद थी कि 18 से 19 सीटें जीतकर आएंगे, लेकिन 9 सीटें हीं आईं. पीसी शर्मा ने कहा कि, हमने ये चुनाव सरकार और धनबल के सामने लड़ा है. फिर भी कांग्रेस ग्वालियर पूर्व सीट से चुनाव जीती है. इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, माया सिंह के बूथ से भी चुनाव जीतकर कर आए हैं. पूर्व मंत्री ने कहा कि, ग्वालियर में परिणाम हमारे लिए संतोषजनक हैं, लेकिन बाकी के परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आए हैं. जिसको लेकर समीक्षा की जाएगी, पता किया जाएगा कहां चूक हुई है.
बीजेपी ने बसपा को किया मैनेज
पीसी शर्मा ने आरोप लगाया है कि, बीजेपी ने बसपा को मैनेज किया है, जिसके चलते करीब आधा दर्जन सीट पर कांग्रेस को हार मिली है. बसपा कभी भी उपचुनाव नहीं लड़ती है, लेकिन इस बार लोकल लेवल पर बसपा को मैनेज किया गया है.
पार्टी में बदलाव पर बड़े नेता लेंगे फैसला
उपचुनाव में हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पीसी शर्मा ने कहा कि, कांग्रेस के बड़े लीडर इसको लेकर फैसला लेंगे, जिसे कार्यकर्ता मानेंगे. खबर है कि, शाम को होने वाली समीक्षा बैठक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ सकती है, नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद कमलनाथ के पास है.
क्या रहा चुनावी नतीजा ?
बता दें, मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को मात दी है. बीजेपी 19 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें ही आईं हैं. वहीं सबसे रोचक मुकाबला भांडेर विधानसभा सीट पर रहा, जहां रीकाउंटिंग के बाद भी कांग्रेस उम्मीदवार की झोली में जीत नहीं आ सकी. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार रक्षा सिरोनिया सबसे कम 51 वोटों से विजयी रहीं. सबसे बड़े अंतर से सांची विधानसभा सीटों से बीजेपी उम्मीदवार डॉ. प्रभुराम चैधरी जीते. मुरैना विधानसभा सीट पर बसपा उम्मीदवार आखिर तक मुकाबले में रहे, लेकिन इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.
तीन मंत्रियों की हुई हार
कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आए और मंत्री बनाए गए 12 उम्मीदवारों में से 9 अपनी सांख बचाने में कामयाब रहे, तो वहीं तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा. जिनमें डबरा से मंत्री इमरती देवी, दिमनी से मंत्री गिर्राज दंडोतिया और सुमावली से मंत्री एदल सिंह कंसाना को हार का सामना करना पड़ा. दिमनी विधानसभा सीट पर बसपा ने बीजेपी उम्मीदवार गिर्राज दंडौतिया का गणित बिगाड़ दिया. दंडौतिया 26 हजार 178 वोटों से हारे. वहीं सुमावली विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मंत्री एदल सिंह कंसाना 10 हजार 746 वोटों से हार गए. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह ने पटखनी दी. सबसे चौकाने वाला नतीजा डबरा विधानसभा का रहा. जहां बीजेपी उम्मीदवार इमरती देवी 7,568 वोटों से चुनाव हार गईं. चौंकाने वाली बात ये है कि, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने 57,446 वोटों से जीत दर्ज की थी.
पार्टी बदलते ही बढ़ गया जीत का अंतर
कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में आए और चुनाव मैदान में उतरे अधिकांश उम्मीदवारों की जीत का अंतर बढ़ गया. सांची विधानसभा सीट से प्रभुराम चौधरी 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 हजार 813 वोटों से जीते थे, लेकिन उपचुनाव में 63 हजार 135 वोटों से सबसे बड़ी जीत दर्ज की. सुवासरा विधानसभा सीट से हरदीप सिंह डंग 2018 विधानसभा चुनाव में सिर्फ 350 वोटों से जीते थे, लेकिन उपचुनाव में 29 हजार 151 वोटों से जीते. बमोरी विधानसभा सीट से मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया 2018 विधानसभा चुनाव में 7 हजार 918 वोटों से जीते थे, लेकिन उपचुनाव में 52 हजार 747 वोटों से जीत दर्ज की. अनूपपुर विधानसभा सीट से बिसाहूलाल सिंह 2018 विधानसभा चुनाव में 11 हजार 561 वोटों से जीते थे. उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर बिसाहूलाल सिंह 34 हजार 271 वोटों से जीते