भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र के जरिए पीएम मोदी से कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में प्रजातांत्रिक महामारी भी देखने को मिल रही है. जिन राज्यों में विपक्ष की सरकार है, उन्हें अनैतिक तरीकों से गिराया जा रहा है. मध्यप्रदेश में सरकार गिराने के बाद भी कांग्रेस के विधायकों को प्रलोभन देकर उनके इस्तीफे कराकर भाजपा में शामिल कराया जा रहा है और प्रदेश पर उप-चुनाव का बोझ डाला जा रहा है. इससे प्रजातांत्रिक व्यवस्था नष्ट हो रही है. पत्र के माध्यम से कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि उन अवसरवादी नेताओं को अपनी सरकार और दल में कोई स्थान नहीं देवें, जिन पर प्रजातांत्रिक मूल्यों का सौदा करने का आरोप है ताकि लोकतांत्रिक मूल्य जीवित रह सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कमलनाथ ने कहा, 'आज समूचे विश्व का मानव समाज एक भीषण महामारी का दृढ़ता से सामना कर रहा है. आजाद भारत में दशकों के अथक प्रयासों के बाद हमने भी इतनी वैज्ञानिक परिपक्वता अर्जित की है कि हम इस प्रकार की महामारियों का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकते हैं. लेकिन आज मैं आपका ध्यान भारत की प्रजातांत्रिक महामारी के संदर्भ में आकृष्ट कराना चाहता हूं.'
अनैतिकता से गिराई जा रही सरकार
कमलनाथ ने अपने पत्र में कहा, 'दशकों के अथक प्रयासों के बाद हम सबने मिलकर भारत को विश्व का सबसे परिपक्व प्रजातंत्र बनाया है. संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के अनुसार हमारे संविधान का सबसे खूबसूरत पहलू इसका संघीय स्वरूप है. बाबा साहब के प्रयास से इस राष्ट्र को एक संघीय संविधान मिला, जिसमें केंद्र और राज्यों को अलग-अलग स्वायत्तता प्रदान की गई है. भारत की संघीय व्यवस्था के कारण ही संपूर्ण विश्व में हमारे प्रजातंत्र की एक विशेष पहचान है. लेकिन बीते कुछ समय से बाबा साहब की भावनाओं को आहत करते हुए भारत की संघीय व्यवस्था पर निरंतर प्रहार किया जा रहा है. जिन प्रांतों में केंद्र सरकार से प्रतिपक्ष यह सरकारें हैं, उन्हें अनैतिक तरीके से गिराया जा रहा है.'
समय पर नहीं लगने दिया लॉकडाउन
उन्होंने अपने पत्र में कहा है, 'मध्यप्रदेश की निर्वाचित सरकार को गिराना भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास के सबसे घृणित कृत्यों में से एक है, यह सोचकर भी दिल दहल जाता है कि जब एक ओर पूरा मानव समाज अपने अस्तित्व की लड़ाई कोरोना महामारी से लड़ रहा था. तब भाजपा के वरिष्ठ नेता मध्य प्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सहित कई मंत्रियों और विधायकों को लेकर मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए बेंगलुरु चले गए और मध्यप्रदेश के नागरिकों को महामारी की आग में झोंक दिया. जन चर्चा भी है कि मध्यप्रदेश के कई मौकापरस्त मतलबी लोभी और प्रलोभी नेताओं ने कांग्रेस की सरकार गिराने तक देश में लॉकडाउन को 24 मार्च के पहले लागू नहीं होने दिया. अभी भी मध्यप्रदेश में भाजपा द्वारा प्रतिपक्षीय विधायकों को प्रलोभित करके उनके इस्तीफे कराकर भाजपा में शामिल कराया जा रहा है और ऐसे अनैतिक कृत्य का रूप चुनाव का बोझ प्रदेश के नागरिकों पर डाला जा रहा है.'
प्रजातांत्रिक व्यवस्था में आया भूचाल
कमलनाथ ने कहा 'मेरी चिंता सिर्फ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के गिरने तक सीमित नहीं है. बल्कि आज देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में एक भूचाल आया हुआ है और ऐसी शंका है कि इसका केंद्र बिंदु केंद्र में निहित है. लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी शंकाए निराधार साबित होंगी और आप भारत के लोकतंत्र की गिरती हुई साख को बचाने के लिए आगे आएंगे और ऐसे अवसरवादी नेताओं को अपनी सरकार और दल में कोई स्थान नहीं देंगे, जिन पर प्रजातांत्रिक मूल्यों का सौदा करने का आरोप है. ताकि हम भारत राष्ट्र की वैश्विक पटल पर स्थापित लोकतांत्रिक निष्पक्षता पारदर्शिता और परिपक्वता की पहचान को बरकरार रख पाएंगे.'