भोपाल। 2007 से लगातार अपने बहादुर बेटे की याद में पूरे साल जो कलाकृतियां बनाती हैं. फ्लैग डे के मौके पर इन कृतियों की बिक्री के मकसद से प्रदर्शनी लगाती हैं. ताकि इस धनराशि को वो सैनिक कल्याण कोष में जमा करा सकें, सैनिक परिवारों की मदद कर सकें. 16 साल से जारी ये सिलसिला इस बार एक बहादुर मां को अफसोस दे गया. अफसोस इसलिए कि कलाकृतियां खरीदने तो दूर देखने भी लोग नहीं पहुंचे. देश पर कुर्बान हुए जाबांज की मां शिल्पकार निर्मला शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा ऐसे में एक मां का ही नहीं एक कलाकार का भी दिल टूटता है.
आकार सुकुमार... मिट्टी में बेटे की यादों को गढ़ती है मां: आकार सुकुमार नाम की इस पोटरी एक्जीबिशन की खासियत है कि इसमें कैप्टन देबाशीष शर्मा की मां निर्मला शर्मा अपने शिल्प को तो प्रस्तुत करती ही हैं, इस एक्जिबिशन का एक कोना मिट्टी में अपने बेटे की यादों को तलाशते हुए होता है. बेटे पर लिखी उनके पति की कविताओं को भी उन्होंने बड़ी बारीकी से अलग-अलग पॉट्स पर उतारा है. इन कविताओं में बेटे का साथ छूट जाने का अफसोस भी है. आखिर में अकेले रह गए दो बुजुर्गों का दर्द भी. बेटे की शहादत और पति की मौत के बाद निर्मला शर्मा ने मिट्टी से दोस्ती कर ली और कोशिश की कि इनका ये शिल्प केवल उनकी अकेली जिंदगी का खालीपन भरने का जरिया भर ना रहे. इसके जरिए उनकी ही जैसी दूसरी फौजी जवानो की मांओं और पत्नियों की कुछ मदद हो सके.
![mother unique art exhibition in memory of son](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bpl-motherofsoldier_10122022162641_1012f_1670669801_342.jpeg)
![mother unique art exhibition in memory of son](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bpl-motherofsoldier_10122022162641_1012f_1670669801_466.jpeg)
अब तक 12 लाख रुपये दान कर चुकी हैं: निर्मला कहती हैं, कर्नल दीक्षित के साथ चर्चा में ये तय हुआ कि ऐसा करना चाहिए तब से लगातार ये काम कर रही हूं. लेकिन निर्मला शर्मा ये अफसोस भी करती हैं कि उनकी इस पहल को समाज का साथ उस ढंग से नहीं मिला. वे कहती हैं, लोग खरीदते नहीं ठीक है, देखने तो आएं. हर साल अपनी पॉटरी बेचकर मिली राशि सब इकट्ठा कर निर्मला शर्मा फ्लैग डे फंड में राशि जमा करती है. इस बार 3 लाख रुपए दान किये और अब तक 12 लाख रुप दान कर चुकी है.
![mother unique art exhibition in memory of son](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bpl-motherofsoldier_10122022162641_1012f_1670669801_766.jpeg)
समाज का रवैया निराश करने वाला-ब्रिगेडियर विनायक: विशिष्ट सेवा मैडल से नवाजे गए ब्रिगेडियर विनायक कहते हैं समाज का ये रवैया निराश करने वाला है. फ्लैग डे जैसे दिन और वीरमाता की ये एक्जीबिशन ये सारे प्रयास फौजी परिवारों की मदद के लिए ही तो हैं. लेकिन हैरत की बात है कि फौजियों के इस खास दिन समाज उस तरह से सामने नहीं आता. वे भावुक होकर कहते हैं, जब वीरमाता निर्मला शर्मा मुझे फोन करती हैं कि विनायक जी कोई पॉटरी नहीं बिकी, देखने तक लोग नहीं आए, तो मेरे पास उन्हे ढांढस बंधाने शब्द नहीं होते.
कारगिल में शहीद हुए थे कैप्टन देवाशीष: कैप्टन देवाशीष शर्मा दस दिसम्बर 1994 को ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होकर शहीद हुए थे. मरणोपरांत उन्हें कीर्ति चक्र और वीर चक्र से नवाज़ा गया.