भोपाल। सोमवार रात कमला नेहरू अस्पताल की तीसरी मंजिल पर लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई. आग लगने के एक घंटे बाद मौके पर फायर ब्रिगेड के पहुंची. फायर ब्रिगेड को आग बुझाने में 2.30 से 3 घंटे का समय लगा. आग बुझाने में हुई देरी से मासूमों की जान चली गई. अस्पताल में लगे फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. जानकारी के मुकाबिक, 15 साल से अधिक समय से यहां पर फायर ऑडिट नहीं हो पाया है. अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण तो रखे है, लेकिन यह किसी शो पीस से कम नहीं है. क्योंकि यह उपकरण काम नहीं करते.
राजधानी के बड़े अस्पताल में लगी आग ने सीधे नगर निगम और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. फायर सिस्टम को चेक करने का जिम्मा नगर निगम का होता है. संभागायुक्त की देखरेख में यह पूरा विभाग आता है. संभागायुक्त हादसे के बाद यह तो कह रहे है कि जांच के लिए कमेटी गठित हो गई है, लेकिन फायर ऑडिट नहीं होने की जिम्मेदारी कौन लेगा? प्रशासन की लापरवाही के कारण आज कई बच्चे काल के गाल में समा गए.
रिपोर्ट आने के बाद लेंगे फैसला
इस मामले में जब संभाग आयुक्त गुलशन बामरा से पूछा गया तो उनका कहना था कि आग लगने के बाद जांच के लिए कमेटी बनाई गई है. कमेटी इस पर भी पूरी जानकारी एकत्रित करेगी कि आखिर क्या कारण है कि फायर सिस्टम यहां खराब पड़े हुए थे. इनका ऑडिट किसने किया है? लापरवाही किसकी है? लापरवाही को लेकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात पर गुलशन बामरा का कहना है कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जा सकेगा.
अस्पताल प्रबंधन ने नहीं माने नियम
कमला नेहरू अस्पताल की यह बिल्डिंग 6 मंजिला है. नियम के अनुसार 5 मंजिल से ऊंची हाईराइज बिल्डिंग पर बड़े-बड़े फायर सेफ्टी सिस्टम लगाए जाते हैं. उनकी हर साल मॉनिटरिंग होती है. इसके लिए एनओसी भी ली जाती है. लेकिन कमला नेहरू अस्पताल में पिछले 15 सालों से ही फायर ऑडिट नहीं हुआ है. ऐसे में अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठने लाजमी है.
कमला नेहरू अस्पताल में लगी आग में मरने वाले बच्चों की संख्या हुई 10
7 अक्टूबर को भी लगी थी आग, फिर भी नहीं संभला प्रशासन
7 अक्टूबर को भी हमीदिया अस्पताल की निर्माणाधीन बिल्डिंग में आग लग गई थी. इस समय भी 1 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया था. बिल्डिंग निर्माणाधीन थी इसलिए कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था.
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NCPCR recommends that fire safety audits should be undertaken in all hospitals/medical colleges/nursing homes having NICU, PICU, SNCU&other medical facilities for children.They should get NOC from Fire Dept & get renewal only after meeting given criteria: NCPCR to all Chief Secys pic.twitter.com/IOfiaFLGcq
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NCPCR आयोग ने मुख्य सचिवों को दिए निर्देश
भोपाल में हुए हादसे के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण (National Commission for Protection of Child Rights) ने सभी मुख्य सचिवों को फायर सेफ्टी सिस्टम ऑडिट करने के निर्देश दिए है. NCPCR ने कहा कि एनआईसीयू, पीआईसीयू, एसएनसीयू और बच्चों के लिए अन्य चिकित्सा सुविधाओं वाले सभी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और नर्सिंग होम में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए. उन्हें फायर विभाग से एनओसी प्राप्त करनी चाहिए. दिए गए मानदंडों को पूरा करने के बाद ही नवीनीकरण प्राप्त करना चाहिए.
प्रदेश के कई जिलों में ठीक नहीं फायर सेफ्टी सिस्टम
मध्य प्रदेश के कई जिलों के अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम पर प्रबंधन काम नहीं कर रहा है. फायर सेफ्टी सिस्टम के नाम पर केवल खानापूर्ती हो रही है. प्रदेश के ग्वालियर, सागर, छिंदवाड़ा और इंदौर के अलावा कई जिलों में यहीं हाल है. ईटीवी भारत बार-बार फायर सेफ्टी सिस्टम के बारे में खबर प्रकाशित करता आ रहा है, लेकिन फिर भी अस्पताल प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा. भोपाल में हुए हादसे के बाद शायद प्रशासन की आंख खुले. जानिए प्रदेश के बड़े जिलों के हाल...
Hamidia Hospital Fire: अस्पताल में बच्चों की पहचान का संकट, प्रबंधन ने कहा- गुम हो गए बच्चे
छिंदवाड़ा |
फायर सेफ्टी उपकरण ऑपरेट करने वाले गुम
छिंदवाड़ा जिला अस्पताल की 6 मंजिला बिल्डिंग में आगजनी की घटना से निपटने के लिए कई उपकरण तो लगाए गए हैं, लेकिन इन उपकरणों को ऑपरेट करने वाला कोई नहीं है,. जिसके चलते कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. ये सिर्फ यहीं सजावट का पीस बनकर रह गया है. अगर मामूली से फायर इक्विपमेंट्स को चलाने वाला कोई नहीं तो बाकि का हाल बताने की जरुरत नहीं. पढ़िए पूरी खबर...
ग्वालियर |
फायर एनओसी को लेकर कोई नहीं है गंभीर
आगजनी की घटना ना हो सके इसे लेकर फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर एक्ट प्रदेश भर में लागू किया गया है. इसके तहत पुरानी और नई मंजिलों के लिए फायर NOC लेना जरूरी होगा. एक्ट के बावजूद ग्वालियर में फायर एनओसी (NOC) को लेकर न तो भवन मालिक गंभीर है और न ही इसे जारी करने वाली नगर निगम ही सख्त है. यदि जिले में कोई आगजनी की घटना होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. पढ़े पूरी खबर...
सागर |
फर्जीवाड़ा कर एनओसी प्राप्त कर रहे लोग
सरकार ने आगजनी के सुरक्षा उपायों के जो नियम बनाए हैं, उनको लेकर आम जनता भी गंभीर नहीं है. भ्रष्टाचार या फर्जीवाड़ा करके व्यापारी और उद्योगपति फायर सेफ्टी एनओसी हासिल कर लेते हैं. प्रदेश के बड़े शहरों में अलग से फायर ब्रिगेड की व्यवस्था है, लेकिन मझोले और छोटे शहरों में पुलिस के माध्यम से नगर निगम या नगर पालिका अग्निशमन सेवाएं दे रही है. जिनमें पेशेवर फायर फाइटर और उपकरणों की भारी कमी देखने को मिलती है. देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट...
इंदौर |
खानापूर्ती के लिए लगाई फायर सेफ्टी की मशीनें
इंदौर के अस्पतालों में फायर सेफ्टी की मशीनें महज खानापूर्ति के लिए लगाई गई हैं, जबकि कुछ अस्पतालों में तो फायर सेफ्टी के नियमों को भी दरकिनार किया गया है. जिसे लेकर पुलिस की फायर ब्रिगेड सेवा ने राज्य सरकार और इंदौर जिला प्रशासन को अलर्ट किया था. पढ़िए ईटीवी भारत की खबर...
हमीदिया हादसाः 12 सालों बाद दिवाली के दिन रौशन हुआ घर का चिराग, 'लापरवाही' की आग में हुआ खाक
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8) मृतक शिशुओं के माता पिता एवं परिवार के प्रति मेरी अत्यधिक संवेदना एवं यद्यपि उनके दुःख की भरपाई नही हो सकती किंतु अपराधीयो के ख़िलाफ़ कठोरतम कारवाई से राजधर्म पालन होगा । @CMMadhyaPradesh @drnarottammisra @MoHFW_INDIA @healthminmp @DrPRChoudhary
— Uma Bharti (@umasribharti) November 9, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सरकार पर उठाए सवाल
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कमला नेहरू में नवजात बच्चों की मौत पर सरकार को घेरा है. उन्होंने 8 ट्वीट किए और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए. उमा भारती द्वारा किए गए ट्वीट...
- भोपाल के हमीदिया मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में जो हादसा हुआ है, जिसमें की नवजात शिशुओं की दर्दनाक मृत्यु हुई हैं.
- यह न भुलने वाला दुःखद अध्याय हैं तथा इसने अनेक सवाल खड़े कर दिए है. इसमें जिन्होंने भी लापरवाही की हैं उनको अतिशीघ्र कठोरतम दंड मिलना चाहिए.
- मेरी आज सवेरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से बात हुई हैं. वह भी इस घटना से बहुत दुखी हैं.
- कमला नेहरु अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड का fire audit कबसे नहीं हुआ?
- उसके Maintenance और Monitoring की ज़िम्मेदारी किसकी थी?
- तथा इसको कब और कितना Budget मिला है?
- सारे तथ्यों की जाँच करके अपराधियों को तुरंत कठोरतम दंड मिलना चाहिए.
- मृतक शिशुओं के माता पिता एवं परिवार के प्रति मेरी अत्यधिक संवेदना है. यद्यपि उनके दुःख की भरपाई नहीं हो सकती. किंतु अपराधीयों के खिलाफ कठोरतम कारवाई से राजधर्म पालन होगा.
संकट में है एमपी के मासूम बच्चों का भविष्य, कभी आग तो कभी डॉक्टरों की लापरवाही से हो रहीं मौतें
उज्जैन में प्रशासन ने देखी व्यवस्था
भोपाल में हुए हादसे के बाद उज्जैन जिला प्रशासन की नींद खुली है. पुलिस प्रशासन ने उज्जैन के सबसे बड़े सरकारी चरक अस्पताल में सुरक्षा का जायजा लिया. इसके लिए सर्कल की सीएसपी पल्लवी शुक्ला और कोतवाली थाने के टीआई सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने चरक अस्पताल में सेफ्टी फायर सिस्टम, पम्प लीकेज, फायर इस्टिंगशर सहित अन्य व्यवस्था देखी. प्रशासन ने फायर उपकरण का रख रखाव करने वाले एजेंट को साथ लेकर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड सहित अन्य वार्डों में लगे फायर सेफ्टी उपकरण देखे.