भोपाल। मध्य प्रदेश में साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन मामले में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है. इस मामले में चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज करने को लगभग दो महीने बीत चुके है. इसके बावजूद भी अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और न ही पुलिस अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है. जांच में हो रही लेटलतीफी के चलते ईओडब्ल्यू की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.
- आखिर कब दर्ज होगी एफआईआर ?
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन मामले में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर ब्रेक सा लग गया है. सीबीडीटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद माना जा रहा था कि इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव आयोग के प्रदेश के अधिकारियों को तलब करने से पहले इस मामले में ईओडब्ल्यू ने 3 आईपीएस अधिकारी और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज की थी, लेकिन इस बात को भी लगभग दो माह बीत गए हैय अब तक भी ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है. एफआईआर दर्ज करना तो दूर अब तक चारों पुलिस अधिकारियों को नोटिस तक नहीं भेजा गया है.
- राज्य शासन से नहीं मिली अनुमति
बताया जा रहा है कि, गृह विभाग ने 10 जनवरी को ही सीबीडीटी रिपोर्ट सचिवालय भेज कर आगे की कार्रवाई करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन दो माह से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी राज्य शासन से अब तक अनुमति नहीं मिल सकी है. यही कारण है कि इस मामले में अब तक भी विभागीय जांच शुरू नहीं हो सकी है, जबकि केंद्र सरकार ने 8 जनवरी को ही तीनों आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए अनुमति प्रदान की थी.
चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र देकर जवाब तलब करने की पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन इसके लिए अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हरी झंडी नहीं मिल सकी है.
- चारों अधिकारियों ने भेजा था सरकार को पत्र
पोल कैश मामले से जुड़े चारों पुलिस अधिकारियों ने प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद मध्य प्रदेश शासन को पत्र भेजे थे. इस पत्र में साफ तौर पर लिखा हुआ था कि किस आधार पर उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज की है. पत्र में यह भी लिखा गया था कि सीबीडीटी की रिपोर्ट में उनके अलावा लगभग 64 विधायकों, नेताओं और कारोबारियों के नाम शामिल है. इसके बावजूद भी सिर्फ उनके खिलाफ ही प्राथमिक जांच क्यों दर्ज की गई है ?. बताया जा रहा है कि, अब तक भी सरकार ने इन पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया है.
मध्य प्रदेश : पोल कैश मामले में ट्विस्ट, अधिकारियों ने भेजा सरकार को पत्र
चार पुलिस अधिकारियों पर यह है आरोप
आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी. मधुकुमार समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा ने मध्य प्रदेश में हुए साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहनों से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया. आयकर विभाग की जो रिपोर्ट सामने आई, उसमें साफ तौर पर आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपये की राशि लिखी हुई है. इसी तरह आईपीएस अधिकारी संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपए की राशि लिखी हुई है, तो वहीं आईपीएस अफसर वी. मधुकुमार के नाम के सामने 12.50 करोड़ और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के नाम के आगे 7.5 करोड़ रुपये की राशि लिखी हुई है. आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी अधिकारियों ने भोपाल से दिल्ली यह रुपए पहुंचाए है.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, मध्य प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने कमलनाथ के करीबी आर के मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी जब्त किए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की, तो काले धन के लेनदेन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे, जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी. इस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिकी जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.