भोपाल। करीब ढाई महीने के लॉकडाउन में बंद रहे भोजनालय और रेस्टोरेंट अनलॉक तो हो गए हैं, क्योंकि रेस्टोरेंट में पहले जैसी रौनक नहीं रही. आलम ये है कि रेस्टोरेंट में ग्राहकों को इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन ग्राहक कोरोना वायरस के डर से बाहर खाना पसंद नहीं कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में रेस्टोरेंट संचालकों का धंधा तो मंदा हो गया है.
रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोग बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसे में लॉकडाउन के बाद भी रेस्टोरेंट लॉक हो गए हैं. जिससे रेस्टोरेंट संचालकों की चिंता बढ़ गई है, यही हाल रहा तो उनके रेस्टोरेंट में हमेशा के लिए ताला लग जाएगा.
भोजनालय और रेस्टोरेंट में धंधा हुआ मंदा
दरअसल कोरोना वायरस के कारण किए गए लॉकडाउन के बाद अब आम आदमी एहतियात बरतने लगा है. खासकर बाहर खाने पीने के मामले में लोगों की आदत में बदलाव आया है. करीब 3 महीने के लॉकडाउन में रेस्टोरेंट संचालक काफी परेशान थे, लेकिन जब 15 जून के बाद उन्हें खोलने की अनुमति मिली और तरह-तरह के सुरक्षा उपाय करने के निर्देश दिए गए, उसके बाद भी उनके भोजनालय और रेस्टोरेंट में पहले की तरह रौनक नहीं लौटी है.
बेरोजगारी की कगार पर वर्कर
संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन के पहले जो धंधा चलता था, लॉकडाउन के बाद उसका 10 फीसदी भी नहीं रह गया है. ऐसी स्थिति में उनके यहां काम करने वाले लोग भी बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए हैं. वहीं जहां 20 लोग काम करते थे, अब वहां सिर्फ 4 लोगों की जरूरत पड़ रही है, लेकिन इन 4 लोगों का भी खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है.
ग्राहकों की कमी
राजधानी भोपाल में भोजनालय चलाने वाले रंजीत राजोरिया ने बताया कि लॉकडाउन के बाद सरकार ने गाइडलाइन की पूरी व्यवस्था की है. सेनिटाइजर, मास्क अनिवार्य किया है. उसके बावजूद भी दुकान नहीं चल रही है. जिससे स्टाफ की तनख्वाह भी नहीं निकल पा रही है. उन्होंने कहा कि दिन भर में 5 ग्राहक आते हैं, उससे हमारा कुछ नहीं होने वाला है.
घर गृहस्थी चलाना मुश्किल
ऐसे ही हाल-चाय और नाश्ते की दुकान चलाने वाले लोगों की हैं. दुकान संचालक बिहारी बताते हैं कि धंधा बहुत मंदा चल रहा है, धंधे में कोई जान नहीं बची है. जिससे घर गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया है, वायरस की वजह से लोग खाने पीने से डर रहे हैं.
लोगों में कोरोना का डर
आमतौर पर बाहर ही खाना खाने वाले पुष्कर बताते हैं कि कोविड-19 के बाद देश में बड़ा बदलाव आया है. बड़ी बात ये है कि लोग अब बाहर खाने से डर रहे हैं. सबको कहीं ना कहीं वायरस का डर है, जब तक वायरस की दवा नहीं आ जाती तब तक डर बना रहेगा.
जीवन यापन में हो रही समस्या
भोजनालय पर काम करके अपना जीवन यापन करने वाले अनिल बताते हैं कि लॉकडाउन का बहुत ज्यादा असर पड़ा है. लॉकडाउन के पहले काम के कारण फ्री नहीं रहते थे, लेकिन अब समस्या बहुत बढ़ गई है. उन्हें कोई दूसरा काम भी नहीं मिल रहा है.
नौकरी चले जाने का सता रहा डर
चाय नाश्ते की दुकान पर काम करने वाले ओमप्रकाश विश्वकर्मा बताते हैं कि 2 महीने घर पर बैठे रहे, जैसे-तैसे लॉकडाउन खुला है. जिसमें सरकार ने हफ्ते में 2 दिन बंद की घोषणा कर दी है. जिससे नौकरी ही चले जाने का डर सता रहा है, क्योंकि धंधा बचा ही नहीं है.
कोरोना का कहर प्रदेश में लगातार बढ़ता ही जा रहा है, ऐसे में रेस्टोरेंट और भोजनालय संचालक काफी परेशान हैं. वहीं कोरोना के चलते लोग बाहर खाना खाने से भी डर रहे हैं. ऐसे में रेस्टोरेंट और भोजनालय में काम करने वालों के सामने भी रोजी रोटी का संकट गहरा गया है.