Father's Day 2023: दांतों का इलाज करने के साथ ही गाना गाकर दातों का दर्द दूर करने वाले डॉ. प्रशांत त्रिपाठी को कौन नहीं जानता. उनकी ऐसे अंदाज के कारण को काफी मशहूर भी हो चुके हैं और देशभर में नाम भी कमा चुके हैं. भोपाल में प्रशांत त्रिपाठी अपने हॉस्पिटल में है पेशेंट से उसके पसंदीदा गाना पूछते हैं और जब तक इलाज चलता है उस गाने भी बीच-बीच में सुना देते हैं. प्रशांत डॉक्टर भी हैं साथ में एक अच्छे गायक और कलाकार भी. इन तमाम खूबियों के पीछे का कारण प्रशांत के पिता है. प्रशांत कहना है कि अगर उनके पिता पीके त्रिपाठी नहीं होते तो वह ना ही डॉक्टर बन पाते और हो सकता है अपनी कला को भी कुछ समय बाद खो देते.
शौक और परिस्थितियां: जिस तरह बेटा मां का दुलारा होता है वही उसके जीवन में उसको आगे तक ले जाने के लिए उसके पिता का भी संघर्ष कुछ कम नहीं होता. फादर्स डे पर हम प्रशांत त्रिपाठी के पिता के संघर्ष को आपके सामने बयान कर रहे हैं. प्रशांत के पिता पीके त्रिपाठी फाइनेंस विभाग में सरकारी कर्मचारी थे. पीके त्रिपाठी बताते हैं कि प्रशांत जब छोटा था तो उसे शुरू से ही कल्चरल एक्टिविटी का शौक था, गीत संगीत नाटक आदि में उसका रुझान ज्यादा जाता था लेकिन मैं उसे डॉक्टर बनाना चाहता था शुरू से ही मेरी ख्वाहिश थी कि मैं उसे डॉक्टर बनाऊ लेकिन कई बार परिस्थितियां आपका साथ नहीं देती.
सरकारी नौकरी के कारण प्रशांत के पिता पीके त्रिपाठी का कई बार ट्रांसफर हो जाता था, जिस वजह से प्रशांत की पढ़ाई में बार-बार अड़चनें भी आ रही थी ऐसे में उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने लेकिन बेटे का रुझान संगीत और कला जगत की ओर था. प्रशांत फिल्मों में जाकर अभिनय करना चाहते थे और हीरो बनना चाहते थे लेकिन पिता उन्हें एक समाज सेवक के रूप में डॉक्टर बनाना चाहते थे.
फिल्मी जगत की ओर रुझान: ऐसे में पिता ने अपना पूरा ध्यान बेटे पर लगाया पीके त्रिपाठी बताते हैं कि कई बार ऐसी परिस्थितियां भी है कि प्रशांत की पढ़ाई के लिए उन्होंने परिवार के ही कुछ लोगों से पैसे उधार लिए थे और प्रशांत की फीस भी जमा की. पीके त्रिपाठी बताते हैं कि प्रशांत को जब भी कोई व्यक्ति परिवार का मिलने आता था और कहता था कि इसको देख कर तो ऐसा लगता है यह डॉक्टर बनेगा ,तब उनका सीना फूल जाता था लेकिन प्रशांत का रुझान तो फिल्मी जगत की ओर था.
पीके त्रिपाठी बताते हैं कि जब उनकी पोस्टिंग मंदसौर में थी तब प्रशांत फिल्म देखने गए थे. उन्हें वह फिल्म पसंद थी, ऐसे में स्कूल के प्रिंसिपल ने प्रशांत को वहां पर देख लिया और मुझे बुलाकर खूब बातें सुनाई लेकिन गनीमत ये रही, उस दिन प्रशांत मुझसे ही पूछ कर फिल्म देखने गए थे जिसके बाद से प्रशांत ने अपने जीवन में परिवर्तन किया.
लाइफ का टर्निंग प्वाइंट: प्रशांत बताते हैं कि यह उनकी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट था क्योंकि तब तक प्रशांत को लगता था कि वह फिल्मी दुनिया में ही नाम कमा सकते हैं लेकिन प्रिंसिपल ने जब पिता को इस तरह बोला तो प्रशांत को भी लगा कि कुछ करके दिखाने का समय है और उन्होंने अपनी कला को साथ में रखते हुए डॉक्टर की पढ़ाई भी करी और आज प्रदेश के बेहतर डेंटिस्ट में उनका नाम शुमार है.
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प्रोफेशन से जोड़ा कला: प्रशांत बताते हैं कि उन्होंने अपनी कला को ना दबाते हुए इसको अपने प्रोफेशन के साथ ही जोड़ दिया. उनके पास जितने भी मरीज आते हैं वो ट्रीटमेंट के दौरान उनसे उनका पसंदीदा गाना भी पूछ लेते हैं और जब ब्रेक होता है या किसी पेशेंट को दांत सुन्न करने का इंजेक्शन दिया होता है, तब 2 से 5 मिनट वह उसका पसंदीदा गाना भी गाते हैं और उसे भी सुनाते हैं. जिससे पेशेंट को दर्द का एहसास ही नहीं होता. प्रशांत कहते हैं कि यह एक तरह से म्यूजिक थेरेपी का काम करता है.
प्रशांत का एक छोटा बेटा कृष्णा है, क्योंकि प्रशांत और उनका पूरा परिवार कृष्ण भक्त है इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम भी कृष्णा रखा है फिलहाल तो तीन पीढ़ियां एक ही जगह पर हमें इस दौरान नजर आई. प्रशांत के परिवार में उनकी माता जी के साथ पत्नी पूजा भी हैं ,जो खुद भी एक डेंटिस्ट है.
कर चुके हैं अभिनय: फिलहाल तो प्रशांत के पिता पीके त्रिपाठी के जज्बे को सलाम, जिन्होंने आर्थिक परेशानियों और बार-बार पोस्टिंग बदलने के बाद भी अपने बेटे को उस मुकाम तक पहुंचाया, कि वह डॉक्टर बनकर जन सेवा कर सके. वहीं बेटे ने भी अपने पिता की लाज रखते हुए अपने हुनर को कम नहीं किया और गीत-संगीत के साथ आज डॉक्टरी भी कर रहे हैं. प्रशांत त्रिपाठी अभी तक कई सीरियल्स में भी काम कर चुके हैं, इसके अलावा आश्रम 2, जैसी वेब सीरीज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वही प्रकाश झा की फिल्मों में भी प्रशांत अभिनय कर चुके हैं.