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मालवा में 'काले सोने' पर सफेद फूलों की चादर, हथियारों के साथ पहरेदारी शुरू - NEEMUCH OPIUM FARMING

अफीम की खेती करना आसान नहीं है. फसल पर फूल आते ही अफीम किसान हथियारों से लैस होकर खेत को ही ठिकाना बना लेते हैं.

NEEMUCH OPIUM FARMING
नीमच में अफीम की खेती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 4:18 PM IST

Updated : Feb 7, 2025, 4:33 PM IST

नीमच: मालवा-निमाड़ काले सोने के नाम से मशहूर अफीम की फसल इन दिनों पूरे यौवन पर है. अफीम के पौधों पर सफेद फूलों की चादर छा गई है. इन पर अब धीरे-धीरे डोडे आना शुरू हो गए हैं. फूलों के झड़ते ही डोडे पूरी तरीके से दिखाई देने लगेंगे. इसे देखते ही अफीम किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं उनकी चिंता भी बढ़ गई है.

हथियारों के साथ रखवाली

अफीम किसान अपनी फसलों को पशु-पक्षी सहित जंगली जानवरों और तस्करो से बचाने के लिए कई तरह के उपाय भी कर रहे हैं. किसानों ने पशु-पक्षियों से अफीम को बचाने के लिए खेत के चारों ओर नेट लगा दी है. रात में तस्कर खेत से चोरी नहीं कर सकें इसके लिए किसानों ने यहीं पर झोपड़ियां भी तैयार कर ली हैं. किसानों ने अब हथियारों के साथ अपने खेतों की रखवाली करना शुरू कर दिया है ताकि डोडे की चोरी नहीं हो सके.

अफीम की खेती के लिए जाना जाता है मालवा-निमाड़ (ETV Bharat)

अफीम की खेती करना आसान नहीं

नीमच, मंदसौर, रतलाम देश ही नहीं विदेशों में भी काले सोने के लिए मशहूर है. यहां एशिया की सबसे बड़ी अफीम फैक्ट्री भी मौजूद है. इसके साथ ही केंद्रीय नारकोटिक्स का कार्यालय भी नीमच जिले में स्थित है. अफीम की खेती किसानों के लिए ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए एक बेहतर विकल्प है लेकिन अफीम की खेती करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए कई तरह के नियम और शर्तों का पालन करना होता है. अफीम की खेती सिर्फ सरकारी लाइसेंस लेकर ही की जा सकती है. बिना लाइसेंस इसकी खेती कानूनी रूप से अपराध है. जिस पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.

नारकोटिक्स विभाग तय करता है अफीम पॉलिसी

अफीम की खेती का लाइसेंस देने से पहले नारकोटिक्स विभाग के द्वारा एक नीति बनाई जाती है. किसान कितनी जमीन पर अफीम की खेती कर सकता है, यह भी सरकार ही तय करती है. देशभर में सबसे ज्यादा अफीम की पैदावार मालवा और राजस्थान के मेवाड़ में होती है. मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर जावरा और राजस्थान के चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा जिलों के किसानों को अफीम की खेती के लिए पट्टे मिलते हैं. जितने एरिया के लिए किसानों को पट्टे मिले हैं सिर्फ उतने ही एरिया में अफीम की बोवनी की जा सकती है. इसके लिए नारकोटिक्स विभाग की टीम खेतों में पहुंचकर जांच भी करती है.

OPIUM FARMING IN MADHYA PRADESH
मध्य प्रदेश में अफीम की खेती कहां-कहां (ETV Bharat)

देना होता है एक-एक ग्राम अफीम का हिसाब

किसानों को अफीम का लाइसेंस केंद्र सरकार के द्वारा दिया जाता है. वही किसानों को एक-एक ग्राम अफीम का हिसाब नारकोटिक्स विभाग को देना होता है. इसलिए किसानों को चोर, लुटेरों और जंगली जानवरों से अफीम को बचाने के लिए कड़ी निगरानी करनी पड़ती है. समय-समय पर नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी फसल का निरीक्षण करते हैं.

White flowers on afeem plants in Neemuch
नीमच में अफीम के पौधों पर सफेद फूल (ETV Bharat)

कैसे तैयार होती है अफीम

अफीम की बुवाई के 100-120 दिन बाद इसके पौधों में फूल आने लगते हैं. इन फूलों के झड़ने के बाद उसमें डोडे लग जाते हैं. अफीम की हार्वेस्टिंग रोज थोड़ी-थोड़ी की जाती है. इसके लिए इन डोडों पर चीरा लगाकर रात भर के लिए छोड़ दिया जाता है और अगले दिन सुबह उसमें से निकले तरल पदार्थ को इकठ्ठा कर लिया जाता है. जब तरल निकलना बंद हो जाता है तो फिर उन्हें सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. फसल सूखने के बाद उसके डोडे तोड़कर उससे बीज निकाल लिए जाते हैं. इसके बीज को पोस्ता कहते हैं. हर साल अप्रैल के महीने में नारकोटिक्स विभाग किसानों से अफीम की फसल की खरीदारी करता है.

'पहले से अब अफीम की खेती में आई कमी'

अफीम किसान मनीष धाकड़ बताते हैं कि "यहां कई किसान अफीम की खेती कर रहे हैं. तस्करों से सांठगांठ करने वाले कई किसानों के अफीम के पट्टे नारकोटिक्स विभाग ने देना बंद कर दिए हैं. जिसके चलते अब अफीम की पैदावार करने वालों किसानों की संख्या पहले से कम हुई है. अब गांव में बहुत कम लोगों के पास अफीम की खेती का लाइसेंस है."

MALWA NIMAR OPIUM FARMERS
नीमच में अफीम की खेती (ETV Bharat)

'कहीं तस्कर अफीम को लूट नहीं ले जाएं'

अफीम किसान मनीष धाकड़ बताते हैं कि "हम लोगों को रखवाली करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. रातभर जागकर अफीम की खेती की रखवाली करनी पड़ती है. जब फसल से अफीम निकालने का समय आता है उस वक्त हमारी जान का भी खतरा बढ़ जाता है. जब तक अफीम नारकोटिक्स में जमा नहीं हो जाती हमारी जान को खतरा बना रहता है. डर रहता है कि कहीं तस्कर आकर अफीम को लूट नहीं ले जाएं. अफीम जमा करने की तारीख मिलने के बाद हमारी अफीम नारकोटिक्स कार्यालय ले जाकर जमा कर दी जाती है और निर्धारित किए गए मूल्य के अनुसार उसे खरीद लिया जाता है."

नीमच: मालवा-निमाड़ काले सोने के नाम से मशहूर अफीम की फसल इन दिनों पूरे यौवन पर है. अफीम के पौधों पर सफेद फूलों की चादर छा गई है. इन पर अब धीरे-धीरे डोडे आना शुरू हो गए हैं. फूलों के झड़ते ही डोडे पूरी तरीके से दिखाई देने लगेंगे. इसे देखते ही अफीम किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं उनकी चिंता भी बढ़ गई है.

हथियारों के साथ रखवाली

अफीम किसान अपनी फसलों को पशु-पक्षी सहित जंगली जानवरों और तस्करो से बचाने के लिए कई तरह के उपाय भी कर रहे हैं. किसानों ने पशु-पक्षियों से अफीम को बचाने के लिए खेत के चारों ओर नेट लगा दी है. रात में तस्कर खेत से चोरी नहीं कर सकें इसके लिए किसानों ने यहीं पर झोपड़ियां भी तैयार कर ली हैं. किसानों ने अब हथियारों के साथ अपने खेतों की रखवाली करना शुरू कर दिया है ताकि डोडे की चोरी नहीं हो सके.

अफीम की खेती के लिए जाना जाता है मालवा-निमाड़ (ETV Bharat)

अफीम की खेती करना आसान नहीं

नीमच, मंदसौर, रतलाम देश ही नहीं विदेशों में भी काले सोने के लिए मशहूर है. यहां एशिया की सबसे बड़ी अफीम फैक्ट्री भी मौजूद है. इसके साथ ही केंद्रीय नारकोटिक्स का कार्यालय भी नीमच जिले में स्थित है. अफीम की खेती किसानों के लिए ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए एक बेहतर विकल्प है लेकिन अफीम की खेती करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए कई तरह के नियम और शर्तों का पालन करना होता है. अफीम की खेती सिर्फ सरकारी लाइसेंस लेकर ही की जा सकती है. बिना लाइसेंस इसकी खेती कानूनी रूप से अपराध है. जिस पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.

नारकोटिक्स विभाग तय करता है अफीम पॉलिसी

अफीम की खेती का लाइसेंस देने से पहले नारकोटिक्स विभाग के द्वारा एक नीति बनाई जाती है. किसान कितनी जमीन पर अफीम की खेती कर सकता है, यह भी सरकार ही तय करती है. देशभर में सबसे ज्यादा अफीम की पैदावार मालवा और राजस्थान के मेवाड़ में होती है. मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर जावरा और राजस्थान के चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा जिलों के किसानों को अफीम की खेती के लिए पट्टे मिलते हैं. जितने एरिया के लिए किसानों को पट्टे मिले हैं सिर्फ उतने ही एरिया में अफीम की बोवनी की जा सकती है. इसके लिए नारकोटिक्स विभाग की टीम खेतों में पहुंचकर जांच भी करती है.

OPIUM FARMING IN MADHYA PRADESH
मध्य प्रदेश में अफीम की खेती कहां-कहां (ETV Bharat)

देना होता है एक-एक ग्राम अफीम का हिसाब

किसानों को अफीम का लाइसेंस केंद्र सरकार के द्वारा दिया जाता है. वही किसानों को एक-एक ग्राम अफीम का हिसाब नारकोटिक्स विभाग को देना होता है. इसलिए किसानों को चोर, लुटेरों और जंगली जानवरों से अफीम को बचाने के लिए कड़ी निगरानी करनी पड़ती है. समय-समय पर नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी फसल का निरीक्षण करते हैं.

White flowers on afeem plants in Neemuch
नीमच में अफीम के पौधों पर सफेद फूल (ETV Bharat)

कैसे तैयार होती है अफीम

अफीम की बुवाई के 100-120 दिन बाद इसके पौधों में फूल आने लगते हैं. इन फूलों के झड़ने के बाद उसमें डोडे लग जाते हैं. अफीम की हार्वेस्टिंग रोज थोड़ी-थोड़ी की जाती है. इसके लिए इन डोडों पर चीरा लगाकर रात भर के लिए छोड़ दिया जाता है और अगले दिन सुबह उसमें से निकले तरल पदार्थ को इकठ्ठा कर लिया जाता है. जब तरल निकलना बंद हो जाता है तो फिर उन्हें सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. फसल सूखने के बाद उसके डोडे तोड़कर उससे बीज निकाल लिए जाते हैं. इसके बीज को पोस्ता कहते हैं. हर साल अप्रैल के महीने में नारकोटिक्स विभाग किसानों से अफीम की फसल की खरीदारी करता है.

'पहले से अब अफीम की खेती में आई कमी'

अफीम किसान मनीष धाकड़ बताते हैं कि "यहां कई किसान अफीम की खेती कर रहे हैं. तस्करों से सांठगांठ करने वाले कई किसानों के अफीम के पट्टे नारकोटिक्स विभाग ने देना बंद कर दिए हैं. जिसके चलते अब अफीम की पैदावार करने वालों किसानों की संख्या पहले से कम हुई है. अब गांव में बहुत कम लोगों के पास अफीम की खेती का लाइसेंस है."

MALWA NIMAR OPIUM FARMERS
नीमच में अफीम की खेती (ETV Bharat)

'कहीं तस्कर अफीम को लूट नहीं ले जाएं'

अफीम किसान मनीष धाकड़ बताते हैं कि "हम लोगों को रखवाली करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. रातभर जागकर अफीम की खेती की रखवाली करनी पड़ती है. जब फसल से अफीम निकालने का समय आता है उस वक्त हमारी जान का भी खतरा बढ़ जाता है. जब तक अफीम नारकोटिक्स में जमा नहीं हो जाती हमारी जान को खतरा बना रहता है. डर रहता है कि कहीं तस्कर आकर अफीम को लूट नहीं ले जाएं. अफीम जमा करने की तारीख मिलने के बाद हमारी अफीम नारकोटिक्स कार्यालय ले जाकर जमा कर दी जाती है और निर्धारित किए गए मूल्य के अनुसार उसे खरीद लिया जाता है."

Last Updated : Feb 7, 2025, 4:33 PM IST
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