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यूरिया की कालाबाजारी से अन्नदाता परेशान, 8 जिलों के कलेक्टर ने मांगा 19 हजार टन यूरिया

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Published : Aug 27, 2020, 10:38 PM IST

सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में यूरिया की किल्लत बनी हुई है. कई जिलों के किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं. करीब 8 जिलों के कलेक्टर ने 19 हजार टन से ज्यादा यूरिया की मांग की है. पढ़िए पूरी खबर...

Black marketing of urea
यूरिया की कालाबाजारी

भोपाल। मध्य प्रदेश के अन्नदाता के हक पर जमा खोर डाका डाल रहे हैं. हालात ये हैं कि सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में यूरिया की किल्लत बनी हुई है. कई जिलों के किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं. करीब 8 जिलों के कलेक्टर ने 19 हजार टन से ज्यादा यूरिया की मांग की है. हालांकि यूरिया को लेकर जो स्थिति बनी है उसके पीछे की वजह यूरिया की कालाबाजारी है. नरसिंहपुर जिले में ही 22 ऐसे लोगों को 919 मैट्रिक टन यूरिया का विक्रय कर दिया गया, जो किसान ही नहीं थे. हालांकि अब मुख्यमंत्री ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

यूरिया की कालाबाजारी से अन्नदाता परेशान

पिछले साल से ज्यादा बांटा, फिर भी कमी

मध्य प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले 1.34 लाख टन ज्यादा यूरिया बांटा जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में यूरिया की कमी बनी हुई है. प्रदेश के सतना, बालाघाट, विदिशा, बैतूल, जबलपुर, दमोह, नरसिंहपुर जिलों के कलेक्टरों ने 19000 टन और यूरिया मांगा है. देखा जाए तो इन जिलों में ही यूरिया की कालाबाजारी की खबरें सबसे ज्यादा सामने आई है. नरसिंहपुर जिले में यूरिया के नाम पर हुई धांधली ने सीएम के भी होश उड़ा दिए. यहां 900 मेट्रिक टन यूरिया के घालमेल ने प्रदेश के दूसरे जिलों में चल रही कालाबाजारी की हकीकत बयां कर दी.

जांच के घेरे में एक हजार से ज्यादा लोग

कालाबाजारी की खबरों के बाद जागे अधिकारियों ने 2,410 प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाओं के निरीक्षण किए, जिनमें कई गड़बड़ियां सामने आईं. इनमें 26 एफआईआर दर्ज की गई और 105 लाइसेंस निलंबित किए गए. वहीं 55 लाइसेंस निरस्त किए गए हैं. सरकार सभी जिलों में यूरिया के टॉप 20 खरीदारों की जांच करा रही है, जिन्होंने ज्यादा मात्रा में खाद्य उठाया है. इस तरह प्रदेश में 53 जिलों के 1000 से ज्यादा लोग जांच के घेरे में हैं.

अधिकारियों की लापरवाही सामने आई

यूरिया की कालाबाजारी के मामले में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. जिलों में पदस्थ अधिकारियों से लेकर मंत्रालय में पदस्थ अधिकारियों ने कालाबाजारी रोकने सख्ती नहीं दिखाई. यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आला अधिकारियों को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के लिए कानून की धाराएं तक याद दिलानी पड़ीं. अब यूरिया की कालाबाजारी को लेकर कांग्रेस हमलावर है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में राजनीतिक संरक्षण में यूरिया की कालाबाजारी हो रही है और अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं.

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दिया जबाव

पीसी शर्मा ने कहा कि यूरिया की कालाबाजारी को लेकर सरकार के मंत्री बचाओ की स्थिति में हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक सरकार कालाबाजारी को लेकर सख्त हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. शिकायत मिलने पर संबंधित थानों पर भी कार्रवाई होगी. कांग्रेस के आरोपों पर नगरीय आवास एवं प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक प्रदेश में कालाबाजारी को लेकर सरकार सख्ती से कार्रवाई कर रही है.

नहीं रुक रही यूरिया की कालाबाजारी

यूरिया कालाबाजारी की स्थिति कोई नई नहीं है. लगभग हर साल इसको लेकर खबरें आती हैं. 2017 में सरकार ने आधार नंबर के जरिए पॉइंट ऑफ सेल मशीन से यूरिया वितरण शुरू कराया था. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना मध्यप्रदेश के होशंगाबाद हरदा जिले में और बाद में सभी जिलों में शुरू की गई, लेकिन इसके बाद भी यूरिया की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही.

भोपाल। मध्य प्रदेश के अन्नदाता के हक पर जमा खोर डाका डाल रहे हैं. हालात ये हैं कि सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में यूरिया की किल्लत बनी हुई है. कई जिलों के किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं. करीब 8 जिलों के कलेक्टर ने 19 हजार टन से ज्यादा यूरिया की मांग की है. हालांकि यूरिया को लेकर जो स्थिति बनी है उसके पीछे की वजह यूरिया की कालाबाजारी है. नरसिंहपुर जिले में ही 22 ऐसे लोगों को 919 मैट्रिक टन यूरिया का विक्रय कर दिया गया, जो किसान ही नहीं थे. हालांकि अब मुख्यमंत्री ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

यूरिया की कालाबाजारी से अन्नदाता परेशान

पिछले साल से ज्यादा बांटा, फिर भी कमी

मध्य प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले 1.34 लाख टन ज्यादा यूरिया बांटा जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में यूरिया की कमी बनी हुई है. प्रदेश के सतना, बालाघाट, विदिशा, बैतूल, जबलपुर, दमोह, नरसिंहपुर जिलों के कलेक्टरों ने 19000 टन और यूरिया मांगा है. देखा जाए तो इन जिलों में ही यूरिया की कालाबाजारी की खबरें सबसे ज्यादा सामने आई है. नरसिंहपुर जिले में यूरिया के नाम पर हुई धांधली ने सीएम के भी होश उड़ा दिए. यहां 900 मेट्रिक टन यूरिया के घालमेल ने प्रदेश के दूसरे जिलों में चल रही कालाबाजारी की हकीकत बयां कर दी.

जांच के घेरे में एक हजार से ज्यादा लोग

कालाबाजारी की खबरों के बाद जागे अधिकारियों ने 2,410 प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाओं के निरीक्षण किए, जिनमें कई गड़बड़ियां सामने आईं. इनमें 26 एफआईआर दर्ज की गई और 105 लाइसेंस निलंबित किए गए. वहीं 55 लाइसेंस निरस्त किए गए हैं. सरकार सभी जिलों में यूरिया के टॉप 20 खरीदारों की जांच करा रही है, जिन्होंने ज्यादा मात्रा में खाद्य उठाया है. इस तरह प्रदेश में 53 जिलों के 1000 से ज्यादा लोग जांच के घेरे में हैं.

अधिकारियों की लापरवाही सामने आई

यूरिया की कालाबाजारी के मामले में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. जिलों में पदस्थ अधिकारियों से लेकर मंत्रालय में पदस्थ अधिकारियों ने कालाबाजारी रोकने सख्ती नहीं दिखाई. यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आला अधिकारियों को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के लिए कानून की धाराएं तक याद दिलानी पड़ीं. अब यूरिया की कालाबाजारी को लेकर कांग्रेस हमलावर है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में राजनीतिक संरक्षण में यूरिया की कालाबाजारी हो रही है और अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं.

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दिया जबाव

पीसी शर्मा ने कहा कि यूरिया की कालाबाजारी को लेकर सरकार के मंत्री बचाओ की स्थिति में हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक सरकार कालाबाजारी को लेकर सख्त हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. शिकायत मिलने पर संबंधित थानों पर भी कार्रवाई होगी. कांग्रेस के आरोपों पर नगरीय आवास एवं प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक प्रदेश में कालाबाजारी को लेकर सरकार सख्ती से कार्रवाई कर रही है.

नहीं रुक रही यूरिया की कालाबाजारी

यूरिया कालाबाजारी की स्थिति कोई नई नहीं है. लगभग हर साल इसको लेकर खबरें आती हैं. 2017 में सरकार ने आधार नंबर के जरिए पॉइंट ऑफ सेल मशीन से यूरिया वितरण शुरू कराया था. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना मध्यप्रदेश के होशंगाबाद हरदा जिले में और बाद में सभी जिलों में शुरू की गई, लेकिन इसके बाद भी यूरिया की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही.

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