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डीजल के दामों में बढ़ोतरी से भड़के किसान, दी आंदोलन की चेतावनी

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे डीजल के दामों को लेकर किसानों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि, किसान पहले से ही परेशान हैं, ऐसे में डीजल के दाम बढ़ाकर और परेशान न करें.

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Published : Jun 22, 2020, 2:53 PM IST

Updated : Jun 22, 2020, 2:59 PM IST

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प्रतीकात्मक चित्र

भोपाल। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद भी देश में पेट्रोल- डीजल के दामों में वृद्धि हो रही है. बीते 16 दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम काफी बढ़ गए हैं. खरीफ की बुवाई में बड़े पैमाने पर डीजल की खपत होती है. पेट्रोल- डीजल के दामों में वृद्धि ने किसान को परेशान कर दिया है. पहले से ही किसान अपनी फसल बेचने के लिए परेशान है.

खरीफ की तैयारी करने में भी किसानों को पसीना आ रहा है. पिछले 16 दिन से लगातार हो रही पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि को लेकर किसानों का गुस्सा बढ़ रहा है, ऐसे में भारतीय किसान यूनियन ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है. भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि, आज पूरे देश में सोयाबीन की बुवाई चल रही है. ऐसे में डीजल के दाम में 9 रुपए की वृद्धि कर देना, इसका मतलब है कि सरकार अपना खजाना भर रही है, लेकिन इसमें परेशान किसान हो रहा है.

'मूल्यवृद्धि किसानों की जेब पर डाका डालने जैसा'

फसल के सीजन के समय जब बुवाई का काम चल रहा हो, तब डीजल के मूल्य बढ़ाना बहुत ही दुखद है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए. एक तरफ किसान टिड्डी दल की मार झेल चुका है, उस समय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मूंग की फसल बर्बाद हुई है और सरकार ने रोकथाम के कोई नहीं उपाय नहीं किए. आगे क्या होगा यह भी कहना मुश्किल है. प्राकृतिक आपदा रोकना कठिन है.

'किसानों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर न करें'

अनिल यादव का कहना है कि, 'मैं सरकार को चेताना चाहता हूं, सरकार पहले भी किसानों के आंदोलन झेल चुकी है. अब सरकार ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे की किसानों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर होना पड़े. यह मूल्यवृद्धि वापस लेने की आवश्यकता है. किसान की बुवाई के बाद अगर सरकार को खजाना भरने की जरूरत है, तो और भी दूसरे तरीके हैं. इसके अलावा गेहूं और चना का किसानों का पैसा अभी तक सरकार पर बकाया है, सरकार किसानों के पैसे उनके खाते में डाले. ताकि वो अपनी बुवाई समय पर कर पाएं'.

एक तरफ डीजल के दामों में वृद्धि हो रही है, उसके बाद गेहूं का पैसा नहीं आया है. दूसरी तरफ बैंक किसानों को नोटिस थमा रहे हैं. कमलनाथ सरकार ने जो कर्जमाफी की थी, अभी तक नहीं हुई है. कर्ज माफी के कारण किसान डिफाल्टर हो गया है. हमारी मांग है कि, पूर्व की कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी का जो फैसला लिया था, उसको तत्काल लागू करते हुए किसानों की कर्ज माफी की जाए.


भोपाल। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद भी देश में पेट्रोल- डीजल के दामों में वृद्धि हो रही है. बीते 16 दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम काफी बढ़ गए हैं. खरीफ की बुवाई में बड़े पैमाने पर डीजल की खपत होती है. पेट्रोल- डीजल के दामों में वृद्धि ने किसान को परेशान कर दिया है. पहले से ही किसान अपनी फसल बेचने के लिए परेशान है.

खरीफ की तैयारी करने में भी किसानों को पसीना आ रहा है. पिछले 16 दिन से लगातार हो रही पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि को लेकर किसानों का गुस्सा बढ़ रहा है, ऐसे में भारतीय किसान यूनियन ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है. भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि, आज पूरे देश में सोयाबीन की बुवाई चल रही है. ऐसे में डीजल के दाम में 9 रुपए की वृद्धि कर देना, इसका मतलब है कि सरकार अपना खजाना भर रही है, लेकिन इसमें परेशान किसान हो रहा है.

'मूल्यवृद्धि किसानों की जेब पर डाका डालने जैसा'

फसल के सीजन के समय जब बुवाई का काम चल रहा हो, तब डीजल के मूल्य बढ़ाना बहुत ही दुखद है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए. एक तरफ किसान टिड्डी दल की मार झेल चुका है, उस समय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मूंग की फसल बर्बाद हुई है और सरकार ने रोकथाम के कोई नहीं उपाय नहीं किए. आगे क्या होगा यह भी कहना मुश्किल है. प्राकृतिक आपदा रोकना कठिन है.

'किसानों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर न करें'

अनिल यादव का कहना है कि, 'मैं सरकार को चेताना चाहता हूं, सरकार पहले भी किसानों के आंदोलन झेल चुकी है. अब सरकार ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे की किसानों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर होना पड़े. यह मूल्यवृद्धि वापस लेने की आवश्यकता है. किसान की बुवाई के बाद अगर सरकार को खजाना भरने की जरूरत है, तो और भी दूसरे तरीके हैं. इसके अलावा गेहूं और चना का किसानों का पैसा अभी तक सरकार पर बकाया है, सरकार किसानों के पैसे उनके खाते में डाले. ताकि वो अपनी बुवाई समय पर कर पाएं'.

एक तरफ डीजल के दामों में वृद्धि हो रही है, उसके बाद गेहूं का पैसा नहीं आया है. दूसरी तरफ बैंक किसानों को नोटिस थमा रहे हैं. कमलनाथ सरकार ने जो कर्जमाफी की थी, अभी तक नहीं हुई है. कर्ज माफी के कारण किसान डिफाल्टर हो गया है. हमारी मांग है कि, पूर्व की कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी का जो फैसला लिया था, उसको तत्काल लागू करते हुए किसानों की कर्ज माफी की जाए.


Last Updated : Jun 22, 2020, 2:59 PM IST
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