ETV Bharat / state

Conjunctivitis EYE FLU: लगातार बढ़ रहा आई फ्लू का खतरा, डॉक्टर्स के अनुसार ये हैं लक्षण व उपचार, क्या सावधानिया बरतें

मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में आई फ्लू का खतरा बढ़ता जा रहा है. लगातार हो रही बारिश के कारण बैक्टेरिया जन्म ले रहा है. इससे सर्दी, खांसी के साथ ही आंखों का लाल होना यानी कंजेक्टिवाइटिस की शिकायत सबसे ज्यादा सामने आने लगी हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी एडवाइजरी जारी की है. जानें डॉक्टर्स के अनुसार आई फ्लू के लक्षण, बचाव के तरीके और इलाज.

Conjunctivitis EYE FLU
लगातार बढ़ रहा आई फ्लू का खतरा
author img

By

Published : Jul 27, 2023, 9:57 AM IST

Updated : Jul 27, 2023, 11:49 AM IST

भोपाल। अस्पतालों में लगातार आई फ्लू के मरीज पहुंच रहे हैं. इस बारे में आई स्पेशलिस्ट डॉ.ललित श्रीवास्तव का कहना है कि कंजेक्टिवाइटिस के केस पिछले सालों के मुकाबले इस बार कुछ ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. लेकिन घबराने की स्थिति नहीं है. यह कोई महामारी का रूप नहीं है. आई फ्लू बैक्टीरिया और वायरस की एलर्जी से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी बारिश के दिनों में देखने को मिलती है. साथ ही धूल भरे मौसम में भी यह बीमारी होती है. लापरवाही बरतने पर आंखों में परेशानी बढ़ती है और वह लाल हो जाती है. ऐसे में आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी होता है. खासकर छोटे बच्चों में. क्योंकि छोटे बच्चे लगातार आंखों को मसल लेते हैं और उसके हाथ दूसरे बच्चों पर भी लगा देते हैं.

बच्चों में ज्यादा शिकायतें : डॉ. ललित श्रीवास्तव का कहना है कि कंजेक्टिवाइटिस एक सामान्य बीमारी है. संक्रमण बीमारी किसी एक व्यक्ति को हो जाती है तो पूरे परिवार इससे ग्रसित हो जाता है. ऐसे में सभी को सावधानी रखनी चाहिए. गले में दर्द के साथ खराश भी बच्चों को हो तो इसके मामले भी लगातार बढ़ जाते हैं. क्योंकि अधिकतर देखने में आ रहा है कि आंखों के लाल होने के साथ सर्दी, खांसी, बुखार की शिकायत भी बच्चों में लगातार आ रही हैं. आंखों में लालिमा के मामले सामने ज्यादा आ रहे हैं. जिसमें छोटे बच्चे इसके ज्यादा शिकार हैं. आंखों में कंजेक्टिवाइटिस होने से सूजन दर्द लालिमा एवं पानी आता है. जिसका मुख्य कारण बैक्टीरिया है. जो अक्सर शुरू के 2 से 3 दिन में बढ़ता है और फिर 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.

नेत्र संक्रमण (Conjunctivitis) की रोकथाम कैसे करें

  • अपनी आंखों को छूने से पहले हाथ आवश्यक रूप से धोएं.
  • संक्रमित व्यक्ति अपना टॉवल, तकिया, आई ड्रॉप आदि उपयोग की गई वस्तुऐं घर के अन्य सदस्यों से अलग रखें.
  • स्विमिंग पूल तालाबों के प्रयोग से बचें.
  • कांटेक्स लेंस पहनना बंद करें और अपने नेत्र चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही फिर इसे शुरू करें.
  • आंखों के सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग न करें.
  • साफ हाथों से अपनी आंखों के आस-पास किसी भी तरह के स्त्राव को दिन में कई बार साफ व गीले कपड़े से धोयें. उपयोग किये गये कपड़े को गर्म पानी से धोएं.
  • यदि आंख में लालिमा हो तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से परामर्श लें. डॉक्टर के सलाह के बिना कोई भी ड्रॉप का उपयोग न करें.

ये हैं लक्षण:

  • आंखों में लाली आना
  • लगातार खुजली, जलन होना
  • धुंधली दृष्टि एवं नम आंख से प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
  • सूजी हुईं पलकें
  • पलकों का पपड़ीदार होना. दृष्टि संबंधी समस्याएं

ये खबरें भी पढ़ें...

फैलने से कैसे रोकें ?

  • संक्रमित होने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोएं. बार-बार आंखों को हाथ न लगाएं. इससे स्थिति खराब हो सकती है, ये आपकी दूसरी आंख तक फैल सकती है.
  • अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं और छोटे बच्चों को ऐसा करने में मदद करें. गुलाबी आंख वाले किसी व्यक्ति या उनकी निजी वस्तुओं को छूने के बाद विशेष रूप से अच्छी तरह से हाथ धोएं.
  • निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, रूमाल, आई ड्रॉप, टिशू, बिस्तर, कॉन्टैक्ट लैंस, मेकअप को साझा करने से बचें.
  • अपने नेत्र चिकित्सक के निर्देशानुसार अपने कॉन्टैक्ट लैंस को साफ करें, स्टोर करें और बदलें.
  • गुलाबी आंख के लक्षणों वालो नवजात शिशुओं को तुरन्त डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
  • आंखों में तेज दर्द और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण किसी गंभीर बीमारी की चेतावनी हो सकते हैं, तुरन्त नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें.

भोपाल। अस्पतालों में लगातार आई फ्लू के मरीज पहुंच रहे हैं. इस बारे में आई स्पेशलिस्ट डॉ.ललित श्रीवास्तव का कहना है कि कंजेक्टिवाइटिस के केस पिछले सालों के मुकाबले इस बार कुछ ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. लेकिन घबराने की स्थिति नहीं है. यह कोई महामारी का रूप नहीं है. आई फ्लू बैक्टीरिया और वायरस की एलर्जी से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी बारिश के दिनों में देखने को मिलती है. साथ ही धूल भरे मौसम में भी यह बीमारी होती है. लापरवाही बरतने पर आंखों में परेशानी बढ़ती है और वह लाल हो जाती है. ऐसे में आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी होता है. खासकर छोटे बच्चों में. क्योंकि छोटे बच्चे लगातार आंखों को मसल लेते हैं और उसके हाथ दूसरे बच्चों पर भी लगा देते हैं.

बच्चों में ज्यादा शिकायतें : डॉ. ललित श्रीवास्तव का कहना है कि कंजेक्टिवाइटिस एक सामान्य बीमारी है. संक्रमण बीमारी किसी एक व्यक्ति को हो जाती है तो पूरे परिवार इससे ग्रसित हो जाता है. ऐसे में सभी को सावधानी रखनी चाहिए. गले में दर्द के साथ खराश भी बच्चों को हो तो इसके मामले भी लगातार बढ़ जाते हैं. क्योंकि अधिकतर देखने में आ रहा है कि आंखों के लाल होने के साथ सर्दी, खांसी, बुखार की शिकायत भी बच्चों में लगातार आ रही हैं. आंखों में लालिमा के मामले सामने ज्यादा आ रहे हैं. जिसमें छोटे बच्चे इसके ज्यादा शिकार हैं. आंखों में कंजेक्टिवाइटिस होने से सूजन दर्द लालिमा एवं पानी आता है. जिसका मुख्य कारण बैक्टीरिया है. जो अक्सर शुरू के 2 से 3 दिन में बढ़ता है और फिर 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.

नेत्र संक्रमण (Conjunctivitis) की रोकथाम कैसे करें

  • अपनी आंखों को छूने से पहले हाथ आवश्यक रूप से धोएं.
  • संक्रमित व्यक्ति अपना टॉवल, तकिया, आई ड्रॉप आदि उपयोग की गई वस्तुऐं घर के अन्य सदस्यों से अलग रखें.
  • स्विमिंग पूल तालाबों के प्रयोग से बचें.
  • कांटेक्स लेंस पहनना बंद करें और अपने नेत्र चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही फिर इसे शुरू करें.
  • आंखों के सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग न करें.
  • साफ हाथों से अपनी आंखों के आस-पास किसी भी तरह के स्त्राव को दिन में कई बार साफ व गीले कपड़े से धोयें. उपयोग किये गये कपड़े को गर्म पानी से धोएं.
  • यदि आंख में लालिमा हो तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से परामर्श लें. डॉक्टर के सलाह के बिना कोई भी ड्रॉप का उपयोग न करें.

ये हैं लक्षण:

  • आंखों में लाली आना
  • लगातार खुजली, जलन होना
  • धुंधली दृष्टि एवं नम आंख से प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
  • सूजी हुईं पलकें
  • पलकों का पपड़ीदार होना. दृष्टि संबंधी समस्याएं

ये खबरें भी पढ़ें...

फैलने से कैसे रोकें ?

  • संक्रमित होने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोएं. बार-बार आंखों को हाथ न लगाएं. इससे स्थिति खराब हो सकती है, ये आपकी दूसरी आंख तक फैल सकती है.
  • अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं और छोटे बच्चों को ऐसा करने में मदद करें. गुलाबी आंख वाले किसी व्यक्ति या उनकी निजी वस्तुओं को छूने के बाद विशेष रूप से अच्छी तरह से हाथ धोएं.
  • निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, रूमाल, आई ड्रॉप, टिशू, बिस्तर, कॉन्टैक्ट लैंस, मेकअप को साझा करने से बचें.
  • अपने नेत्र चिकित्सक के निर्देशानुसार अपने कॉन्टैक्ट लैंस को साफ करें, स्टोर करें और बदलें.
  • गुलाबी आंख के लक्षणों वालो नवजात शिशुओं को तुरन्त डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
  • आंखों में तेज दर्द और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण किसी गंभीर बीमारी की चेतावनी हो सकते हैं, तुरन्त नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें.
Last Updated : Jul 27, 2023, 11:49 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.