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पूर्व मंत्री सचिन यादव का सरकार पर हमला, कहा- ड्रामेबाजी छोड़ किसानों के आंसू पोंछने का काम करें शिवराज

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Published : Sep 8, 2020, 9:29 PM IST

मध्य प्रदेश में आई बाढ़ से किसानों को काफी नुकसान हुआ है, वहीं अन्य मुद्दों को लेकर भी किसान परेशान हैं. किसानों की समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव से बात की.

Talk to former minister Sachin Yadav
पूर्व मंत्री सचिन यादव से बात

भोपाल। मध्यप्रदेश के किसान अपनी खरीफ की फसल को लेकर काफी परेशान हैं. पहले बारिश ना होने के कारण फसल कमजोर हो गई और फिर कई इलाकों में ऐसी बारिश हुई कि फसल बर्बाद हो गई. प्रदेश का किसान संकट की इस घड़ी में सरकार की तरफ उम्मीद से देख रहा है. लेकिन ना तो उसकी फसल का सर्वे हो रहा है और ना उसे मुआवजा मिल रहा है. वहीं किसान यूरिया खाद के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं, लेकिन उसे यूरिया नहीं मिल पा रही है. इन सब सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव से बात की.

पूर्व मंत्री सचिन यादव से बात

ईटीवी भारत से खास बातचीत में सचिन यादव का कहना है कि निश्चित रूप से आज हमारा मध्यप्रदेश का किसान काफी परेशानी और संकट में है. जब हमारी कांग्रेस की सरकार थी, तो कमलनाथ के नेतृत्व में जब-जब इस तरह की प्राकृतिक आपदा आई. तो किसानों का दर्द और आंसू पोंछने का काम हमारी सरकार ने किया. हमारी सरकार ने वृहद स्तर पर सर्वे कराए और किसानों को उनकी मर्जी के हिसाब से उचित मुआवजा दिलाने का काम किया.

उन्होंने कहा कि सरकार बदलने के बाद प्राथमिकताएं बदली और आज हमारे किसान साथी की फसलें खराब हो रही हैं. लेकिन कोई उनके खेतों में नहीं पहुंच रहा है, उनका सर्वे भी नहीं हो रहा है. उनके नुकसान का मूल्यांकन नहीं हो पाया है. किसान का दर्द और उनके आंसू पहुंचने के लिए भाजपा की सरकार उनके साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है.

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सरकार को संकट की घड़ी में किसान के आंसू पहुंचने का काम करना चाहिए. वृहद स्तर पर सर्वे करना चाहिए. जो किसानों की फसल का नुकसान हुआ है, उसका मुआवजा किसान साथियों को देना चाहिए.

दूसरी तरफ से यूरिया के संकट को लेकर सचिन यादव का कहना है कि यूरिया के लिए निश्चित रूप से आज हमारा मध्य प्रदेश का किसान दर-दर भटक रहा है. आज उसको यूरिया की दरकार है, लेकिन उसको यूरिया नहीं मिल रहा है. पिछले 15 साल में बीजेपी की सरकार थी, तो वह तमाम माफिया सरकार के परिवर्तन से फिर सक्रिय हो गए हैं.

किसानों की सहकारी समितियों में यूरिया और खाद उपलब्ध नहीं है. लेकिन माफिया के पास खाद उपलब्ध है और 2 गुने 3 गुने दामों पर हमारे किसानों के लिए यूरिया बेचा जा रहा है. अभी पिछले दिनों बड़े घोटाले का अंदेशा हमें लग रहा है. इसकी जांच की जाए, तो बड़ा घोटाला सामने आएगा. नरसिंहपुर में 9 सौ मीट्रिक टन से अधिक यूरिया मात्र 22 किसानों के नाम से निकाल दिया गया. अशोक नगर में लगभग 302 मीटर का यूरिया निकाल लिया गया. झाबुआ में भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं. अगर इसकी जांच की जाए तो बड़ा घोटाला सामने आएगा.

शिवराज सिंह सरकार द्वारा कमलनाथ सरकार के समय पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपए मुआवजा देने की बात करने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर सचिन यादव का कहना है कि यह ड्रामेबाजी करने से कुछ नहीं होता है. अगर किसानों को लेकर वाकई आप संवेदनशील हैं, किसान का दुख और परेशानी समझते हैं, तो जब किसान के ऊपर संकट और परेशानी आती है, तो आपको आगे बढ़ कर उसके आंसू पहुंचना चाहिए और फिलहाल सर्वे कराकर किसानों को राहत पहुंचे और ऐसी योजना आए, जिससे किसानों की परेशानी कम हो, ऐसा काम करना चाहिए.

भोपाल। मध्यप्रदेश के किसान अपनी खरीफ की फसल को लेकर काफी परेशान हैं. पहले बारिश ना होने के कारण फसल कमजोर हो गई और फिर कई इलाकों में ऐसी बारिश हुई कि फसल बर्बाद हो गई. प्रदेश का किसान संकट की इस घड़ी में सरकार की तरफ उम्मीद से देख रहा है. लेकिन ना तो उसकी फसल का सर्वे हो रहा है और ना उसे मुआवजा मिल रहा है. वहीं किसान यूरिया खाद के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं, लेकिन उसे यूरिया नहीं मिल पा रही है. इन सब सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव से बात की.

पूर्व मंत्री सचिन यादव से बात

ईटीवी भारत से खास बातचीत में सचिन यादव का कहना है कि निश्चित रूप से आज हमारा मध्यप्रदेश का किसान काफी परेशानी और संकट में है. जब हमारी कांग्रेस की सरकार थी, तो कमलनाथ के नेतृत्व में जब-जब इस तरह की प्राकृतिक आपदा आई. तो किसानों का दर्द और आंसू पोंछने का काम हमारी सरकार ने किया. हमारी सरकार ने वृहद स्तर पर सर्वे कराए और किसानों को उनकी मर्जी के हिसाब से उचित मुआवजा दिलाने का काम किया.

उन्होंने कहा कि सरकार बदलने के बाद प्राथमिकताएं बदली और आज हमारे किसान साथी की फसलें खराब हो रही हैं. लेकिन कोई उनके खेतों में नहीं पहुंच रहा है, उनका सर्वे भी नहीं हो रहा है. उनके नुकसान का मूल्यांकन नहीं हो पाया है. किसान का दर्द और उनके आंसू पहुंचने के लिए भाजपा की सरकार उनके साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है.

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सरकार को संकट की घड़ी में किसान के आंसू पहुंचने का काम करना चाहिए. वृहद स्तर पर सर्वे करना चाहिए. जो किसानों की फसल का नुकसान हुआ है, उसका मुआवजा किसान साथियों को देना चाहिए.

दूसरी तरफ से यूरिया के संकट को लेकर सचिन यादव का कहना है कि यूरिया के लिए निश्चित रूप से आज हमारा मध्य प्रदेश का किसान दर-दर भटक रहा है. आज उसको यूरिया की दरकार है, लेकिन उसको यूरिया नहीं मिल रहा है. पिछले 15 साल में बीजेपी की सरकार थी, तो वह तमाम माफिया सरकार के परिवर्तन से फिर सक्रिय हो गए हैं.

किसानों की सहकारी समितियों में यूरिया और खाद उपलब्ध नहीं है. लेकिन माफिया के पास खाद उपलब्ध है और 2 गुने 3 गुने दामों पर हमारे किसानों के लिए यूरिया बेचा जा रहा है. अभी पिछले दिनों बड़े घोटाले का अंदेशा हमें लग रहा है. इसकी जांच की जाए, तो बड़ा घोटाला सामने आएगा. नरसिंहपुर में 9 सौ मीट्रिक टन से अधिक यूरिया मात्र 22 किसानों के नाम से निकाल दिया गया. अशोक नगर में लगभग 302 मीटर का यूरिया निकाल लिया गया. झाबुआ में भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं. अगर इसकी जांच की जाए तो बड़ा घोटाला सामने आएगा.

शिवराज सिंह सरकार द्वारा कमलनाथ सरकार के समय पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपए मुआवजा देने की बात करने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर सचिन यादव का कहना है कि यह ड्रामेबाजी करने से कुछ नहीं होता है. अगर किसानों को लेकर वाकई आप संवेदनशील हैं, किसान का दुख और परेशानी समझते हैं, तो जब किसान के ऊपर संकट और परेशानी आती है, तो आपको आगे बढ़ कर उसके आंसू पहुंचना चाहिए और फिलहाल सर्वे कराकर किसानों को राहत पहुंचे और ऐसी योजना आए, जिससे किसानों की परेशानी कम हो, ऐसा काम करना चाहिए.

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