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श्रम कानून में बदलाव से मजदूरों को नहीं होगा नुकसान, ईटीवी भारत से बोले केंद्रीय मंत्री - स्टील उद्योग

केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने ईटीवी भारत से बातचीत की, जिसमें उन्होंने उद्योयोगिक क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर बात की

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Published : May 15, 2020, 6:58 PM IST

Updated : May 15, 2020, 8:32 PM IST

भोपाल/नई दिल्ली। पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज की घोषणा के तीन दिन बाद केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने ईटीवी भारत से बातचीत की, जिसमें उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर बात की, पेश है साक्षात्कार के कुछ अंश.

केंद्रीय मंत्री ने की ईटीवी भारत से बात

सवाल- आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद अब सबकी नजरें उद्योगों की तरफ है, आखिर कब खुलेंगे उद्योग धंधे?

जवाब- 12 मई को पीएम मोदी ने राहत पैकेज की घोषणा की है, विशेषकर पूरे देश और दुनिया में जो प्रयास किए जा सकते हैं, वो किए जा रहे हैं. ये पहला अनुभव है कि पीएम मोदी हमेशा देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते रहे हैं. आर्थिक क्षेत्र में उद्योग ऐसा क्षेत्र है, जोकि आर्थिक दृष्टि से देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान है. जिसमें स्टील क्षेत्र सबसे खास है. 2030-31 तक करीब 300 मिलियन टन का लक्ष्य था, उसे पूरा करने की हमारी मंत्रालय ने तैयारी की और हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे.

फरवरी और मार्च तक हमारी उद्योग की स्थिति बहुत अच्छी रही, लेकिन कोरोना से सारे उद्योग और पूरा देश प्रभावित हुआ है, एमएसएमई के सेक्टर भी प्रभावित हुए हैं, पीएम मोदी ने एमएसएमई के जरिए युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी, आज दुख इस बात का है कि कोरोना से पूरा उद्योग जगत, देश और उद्योग धंधे पूरी तरह प्रभावित हुए हैं. हमे अपने मैन पॉवर जो उद्योग धंधे थे, वो बंद करने पड़े.

हमारी जो स्टील क्षेत्र में सेल हैं, उनको हमने 50 प्रतिशत मैन पॉवर कम करने के बाद शुरु किया. 30 अप्रैल के बाद उनको शुरु किया है. आज हम अपनी अपेक्षाओं के हिसाब से उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन ये प्रक्रिया लगातार जारी है. दुनिया और देश में जो हालात हैं, इस संकट से उबरने के लिए भारत आवश्यकता की अनुकूलता से आगे बढ़ रहे हैं, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस्पात और रेलवे के क्षेत्र में आवश्यकता के हिसाब से प्राथमिकता दे रहे हैं. इस संकट से उबरने में हम आगे बढ़ेंगे.

सवाल- केंद्र द्वारा दिए गए पैकेज से स्टील इंडस्ट्री और एमएसएमई को शुरु करने में कितना वक्त लगेगा. क्या ये राशि पर्याप्त है.

जवाब- एमएसएमई सेक्टर और दूसरे प्राइवेट-गवर्मेंट सेक्टर के उद्योगों को 20 अप्रैल से शुरु करने का विचार है, दूसरे राज्यों को मंत्रियों से बात कर उन्हें प्रेरित भी किया है. कई जगहों पर काम शुरु हो गया है. मजदूरों के अपने राज्यों के वापस जाने से उद्योगों में कठिनाई जरुर आई है, लेकिन दूसरे कई 60-70 प्रतिशत एमएसएमई उद्योग शुरु हुए हैं.

सवाल- पीएम मोदी के विपत्ति को अवसर में बदलने की बात को आप कहां देखते हैं.

जवाब- इस राहत पैकेज के जरिए विपत्ति को अवसर में बदलने की कोशिश है, आने वाले समय में जो हानि हुई उसको उबारने की कोशिश है.

सवाल- ऐसे समय में भारत के लिए अच्छा मौका है कि दुनिया की मार्केट को सीज करे और अपने लिए बेहतर मार्केट तैयार करे.

जवाब- हम चाहते हैं कि इसके लिए हमारे लिए दरवाजे खुले रहे हैं, ये संकट देश को उबारने के लिए भी एक रास्ता है, जिस तरह गुजरात कच्छ आपदा से उबरकर दोबारा खड़ा हुआ है, वैसे ही भारत को इस अवसर का लाभ लेना चाहिए. भारत के लिए कई संभावनाएं हैं. आने वाल भविष्य की दृष्टि से भारत के लिए संभावना बनेगी. एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण होगा. इसीलिए पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर राष्ट्र की कल्पना की है. इस संकट की घड़ी में हमने पीपीई के नए मॉडल का उपयोग किया है. इस तरह के कई छोटे उद्योगों को सहयोग करें. स्थानीय स्तर पर इन उद्योगों को बढ़ावा दें.

सवाल- कोरोना से कई एशियाई देशों में कारोबार ठप्प हो गया, भारत जैसे देश में टाटा स्टील जैसे उद्योग में तैयार माल का स्टॉक बढ़ना संकट है.

जवाब- आज का दौर संकट से निपटने के लिए है, इस समय मैन पॉवर का उपयोग करेंगे. जो बड़े-बड़े उद्योग हैं, उनको भी समर्थन देने का विचार है. उद्योगों को आर्थिक पैकेज देने का विचार चल रहा है.

सवाल- छोटे-छोटे समानों के लिए दूसरे देश पर आश्रित हैं, जो अवसर देश में पैदा होना चाहिए, वो नहीं हो पा रहा है, इस गैप को कैसे भरेंगे.

जवाब- इस दिशा में पीएम मोदी विचार करेंगे. इस दिशा में भारतीयों को समर्थन देने के लिए जो भी स्थानीय कच्चा माल जैसे कॉटन की कई संभावना है. एग्रीकल्चर को आगे बढ़ा सकते हैं. पीएम ने देशवासियों से लोकल प्रोडक्ट के उपयोग करने का आह्वान किया है. पीएम मोदी के लोकल फॉर वोकल को स्थानीय स्तर पर लाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे. 70-75 प्रतिशत उद्योग शुरु हो गए हैं. दूसरे राज्यों के सीएम ने भी कहा है कि कठनाइयां हैं, लेकिन उद्योग शुरु कर रहे हैं. मैनपॉवर की कमी है, लेकिन इससे जरूर उभरेंगे.

सवाल- श्रम कानून बदलने से मजदूरों की सेलरी में भी कटौती होगी क्या?

जवाब- श्रम कानून में बदलाव से मजदूरों को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि केंद्र सरकार मजदूरों के लिए जो कानून लाई है, इससे मजदूरों को फायदा होगा, सरकार मजदूरों और मालिक के हिस्से की ईपीएफ राशि तीन महीने तक जमा करेगी. जिसका लाभ पांच करोड़ मजदूरों को होगा.

सवाल- आपके संसदीय क्षेत्र में जो मजदूर वापस आ रहे हैं. क्या उनके लिए मनरेगा के अलावा दूसरा कोई वैकल्पिक व्यवस्था है.

जवाब- मनरेगा के अलावा एग्रीकल्चर की संभावनाए हैं, आज हर मजदूर किसान है. दूसरे जो कई उद्योग हैं, मत्स्य पालन, हार्टिकल्चर जैसे उद्योगों से किसानों को जोड़ा जाना चाहिए. सरकार ने इस पैकेज में भी इसे शामिल किया है. इस संकट से निपटने के साथ किसानों को भी मजबूत करना बहुत बड़ा लक्ष्या है. मनरेगा अपनी जगह है, जिसकी मजदूरी बढ़ाई गई है. इन परिस्थितियों में अपनी योजनाओं को पंचायत स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर पर कैसे बढ़ाया जाए, इस पर सरकार विचार कर रही है. किस तरह दूसरे उद्योगों को सर्मथन देकर काम कर सकें.

सवाल- आपके इलाके में स्वास्थ्य सुविधाएं कैसी हैं.

जवाब- जब मैं स्वास्थ्य मंत्रालय में था, पहली बार भारत के अंदर मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड किया. हमने एमबीबीएस की सीट 55 हजार से बढ़ाकर 75 हजार किया. पीजी, एम्स की सीट बढ़ाई. आयुष्मान भारत योजना से हर व्यक्ति को कैसे जोड़ा जाए, उन्हें इलाज मिले, लाभ मिले, इसके लिए कई योजनाएं चलाई. हेल्थ सेक्टर को ज्यादा से ज्यादा आगे बढ़ाएं, ये पीएम की प्राथमिकता है. जिससे भारत स्वस्थ है. एक स्वस्थ और इंप्लाइमेंट को आर्थिक स्तर पर उठाने का लक्ष्य है, जिस पर पीएम चिंता कर रहे हैं. पीएम ने आत्मनिर्भर सक्षम भारत की कल्पना की है.

भोपाल/नई दिल्ली। पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज की घोषणा के तीन दिन बाद केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने ईटीवी भारत से बातचीत की, जिसमें उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर बात की, पेश है साक्षात्कार के कुछ अंश.

केंद्रीय मंत्री ने की ईटीवी भारत से बात

सवाल- आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद अब सबकी नजरें उद्योगों की तरफ है, आखिर कब खुलेंगे उद्योग धंधे?

जवाब- 12 मई को पीएम मोदी ने राहत पैकेज की घोषणा की है, विशेषकर पूरे देश और दुनिया में जो प्रयास किए जा सकते हैं, वो किए जा रहे हैं. ये पहला अनुभव है कि पीएम मोदी हमेशा देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते रहे हैं. आर्थिक क्षेत्र में उद्योग ऐसा क्षेत्र है, जोकि आर्थिक दृष्टि से देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान है. जिसमें स्टील क्षेत्र सबसे खास है. 2030-31 तक करीब 300 मिलियन टन का लक्ष्य था, उसे पूरा करने की हमारी मंत्रालय ने तैयारी की और हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे.

फरवरी और मार्च तक हमारी उद्योग की स्थिति बहुत अच्छी रही, लेकिन कोरोना से सारे उद्योग और पूरा देश प्रभावित हुआ है, एमएसएमई के सेक्टर भी प्रभावित हुए हैं, पीएम मोदी ने एमएसएमई के जरिए युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी, आज दुख इस बात का है कि कोरोना से पूरा उद्योग जगत, देश और उद्योग धंधे पूरी तरह प्रभावित हुए हैं. हमे अपने मैन पॉवर जो उद्योग धंधे थे, वो बंद करने पड़े.

हमारी जो स्टील क्षेत्र में सेल हैं, उनको हमने 50 प्रतिशत मैन पॉवर कम करने के बाद शुरु किया. 30 अप्रैल के बाद उनको शुरु किया है. आज हम अपनी अपेक्षाओं के हिसाब से उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन ये प्रक्रिया लगातार जारी है. दुनिया और देश में जो हालात हैं, इस संकट से उबरने के लिए भारत आवश्यकता की अनुकूलता से आगे बढ़ रहे हैं, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस्पात और रेलवे के क्षेत्र में आवश्यकता के हिसाब से प्राथमिकता दे रहे हैं. इस संकट से उबरने में हम आगे बढ़ेंगे.

सवाल- केंद्र द्वारा दिए गए पैकेज से स्टील इंडस्ट्री और एमएसएमई को शुरु करने में कितना वक्त लगेगा. क्या ये राशि पर्याप्त है.

जवाब- एमएसएमई सेक्टर और दूसरे प्राइवेट-गवर्मेंट सेक्टर के उद्योगों को 20 अप्रैल से शुरु करने का विचार है, दूसरे राज्यों को मंत्रियों से बात कर उन्हें प्रेरित भी किया है. कई जगहों पर काम शुरु हो गया है. मजदूरों के अपने राज्यों के वापस जाने से उद्योगों में कठिनाई जरुर आई है, लेकिन दूसरे कई 60-70 प्रतिशत एमएसएमई उद्योग शुरु हुए हैं.

सवाल- पीएम मोदी के विपत्ति को अवसर में बदलने की बात को आप कहां देखते हैं.

जवाब- इस राहत पैकेज के जरिए विपत्ति को अवसर में बदलने की कोशिश है, आने वाले समय में जो हानि हुई उसको उबारने की कोशिश है.

सवाल- ऐसे समय में भारत के लिए अच्छा मौका है कि दुनिया की मार्केट को सीज करे और अपने लिए बेहतर मार्केट तैयार करे.

जवाब- हम चाहते हैं कि इसके लिए हमारे लिए दरवाजे खुले रहे हैं, ये संकट देश को उबारने के लिए भी एक रास्ता है, जिस तरह गुजरात कच्छ आपदा से उबरकर दोबारा खड़ा हुआ है, वैसे ही भारत को इस अवसर का लाभ लेना चाहिए. भारत के लिए कई संभावनाएं हैं. आने वाल भविष्य की दृष्टि से भारत के लिए संभावना बनेगी. एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण होगा. इसीलिए पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर राष्ट्र की कल्पना की है. इस संकट की घड़ी में हमने पीपीई के नए मॉडल का उपयोग किया है. इस तरह के कई छोटे उद्योगों को सहयोग करें. स्थानीय स्तर पर इन उद्योगों को बढ़ावा दें.

सवाल- कोरोना से कई एशियाई देशों में कारोबार ठप्प हो गया, भारत जैसे देश में टाटा स्टील जैसे उद्योग में तैयार माल का स्टॉक बढ़ना संकट है.

जवाब- आज का दौर संकट से निपटने के लिए है, इस समय मैन पॉवर का उपयोग करेंगे. जो बड़े-बड़े उद्योग हैं, उनको भी समर्थन देने का विचार है. उद्योगों को आर्थिक पैकेज देने का विचार चल रहा है.

सवाल- छोटे-छोटे समानों के लिए दूसरे देश पर आश्रित हैं, जो अवसर देश में पैदा होना चाहिए, वो नहीं हो पा रहा है, इस गैप को कैसे भरेंगे.

जवाब- इस दिशा में पीएम मोदी विचार करेंगे. इस दिशा में भारतीयों को समर्थन देने के लिए जो भी स्थानीय कच्चा माल जैसे कॉटन की कई संभावना है. एग्रीकल्चर को आगे बढ़ा सकते हैं. पीएम ने देशवासियों से लोकल प्रोडक्ट के उपयोग करने का आह्वान किया है. पीएम मोदी के लोकल फॉर वोकल को स्थानीय स्तर पर लाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे. 70-75 प्रतिशत उद्योग शुरु हो गए हैं. दूसरे राज्यों के सीएम ने भी कहा है कि कठनाइयां हैं, लेकिन उद्योग शुरु कर रहे हैं. मैनपॉवर की कमी है, लेकिन इससे जरूर उभरेंगे.

सवाल- श्रम कानून बदलने से मजदूरों की सेलरी में भी कटौती होगी क्या?

जवाब- श्रम कानून में बदलाव से मजदूरों को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि केंद्र सरकार मजदूरों के लिए जो कानून लाई है, इससे मजदूरों को फायदा होगा, सरकार मजदूरों और मालिक के हिस्से की ईपीएफ राशि तीन महीने तक जमा करेगी. जिसका लाभ पांच करोड़ मजदूरों को होगा.

सवाल- आपके संसदीय क्षेत्र में जो मजदूर वापस आ रहे हैं. क्या उनके लिए मनरेगा के अलावा दूसरा कोई वैकल्पिक व्यवस्था है.

जवाब- मनरेगा के अलावा एग्रीकल्चर की संभावनाए हैं, आज हर मजदूर किसान है. दूसरे जो कई उद्योग हैं, मत्स्य पालन, हार्टिकल्चर जैसे उद्योगों से किसानों को जोड़ा जाना चाहिए. सरकार ने इस पैकेज में भी इसे शामिल किया है. इस संकट से निपटने के साथ किसानों को भी मजबूत करना बहुत बड़ा लक्ष्या है. मनरेगा अपनी जगह है, जिसकी मजदूरी बढ़ाई गई है. इन परिस्थितियों में अपनी योजनाओं को पंचायत स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर पर कैसे बढ़ाया जाए, इस पर सरकार विचार कर रही है. किस तरह दूसरे उद्योगों को सर्मथन देकर काम कर सकें.

सवाल- आपके इलाके में स्वास्थ्य सुविधाएं कैसी हैं.

जवाब- जब मैं स्वास्थ्य मंत्रालय में था, पहली बार भारत के अंदर मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड किया. हमने एमबीबीएस की सीट 55 हजार से बढ़ाकर 75 हजार किया. पीजी, एम्स की सीट बढ़ाई. आयुष्मान भारत योजना से हर व्यक्ति को कैसे जोड़ा जाए, उन्हें इलाज मिले, लाभ मिले, इसके लिए कई योजनाएं चलाई. हेल्थ सेक्टर को ज्यादा से ज्यादा आगे बढ़ाएं, ये पीएम की प्राथमिकता है. जिससे भारत स्वस्थ है. एक स्वस्थ और इंप्लाइमेंट को आर्थिक स्तर पर उठाने का लक्ष्य है, जिस पर पीएम चिंता कर रहे हैं. पीएम ने आत्मनिर्भर सक्षम भारत की कल्पना की है.

Last Updated : May 15, 2020, 8:32 PM IST
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