भोपाल। आर्कियोलॉजी समिति की रिपोर्ट के बाद महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग पर अभी सिर्फ जल चढ़ाने की व्यवस्था की गई है. उस पर जल ही चढ़ाया जाएगा, बाकी जिन वस्तुओं से शिवलिंग के क्षरण की बात सामने आई है. उन्हें वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया जाएगा. यह कहना है संस्कृति एवं पर्यावरण मंत्री उषा ठाकुर का. उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट है उसके हिसाब से ही शिवलिंग का ध्यान रखा जा रहा है. जिस तरह अन्य ज्योतिर्लिंगों में शिवलिंग के ऊपर सिर्फ जल चढ़ाने की व्यवस्था है. वैसी ही व्यवस्था महाकाल मंदिर में भी शुरू कर दी गई है. (Usha Thakur on Shivling Erosion)
गीता प्रेस का विरोध करने वालों को माफ नहीं करेगी जनता: वहीं गीता प्रेस गोरखपुर को मिल रहे अवार्ड पर भी उषा ठाकुर ने इसकी सराहना की है. इसके विरोध में लगातार कांग्रेस के बयान आ रहे हैं. इस पर उषा ठाकुर ने सीधे तौर पर आम जनता से अपील की है. उषा ठाकुर का कहना है कि जो इसका विरोध कर रहे हैं. वह राष्ट्र विरोधी ताकतें हैं और ऐसी ताकतों को देशवासियों को पहचानने की जरूरत है. गीता प्रेस गोरखपुर का योगदान बहुत बड़ा है. हमारे धर्म की तमाम पुस्तकें वही प्रकाशित होती हैं और इस प्रेस ने देश में एक नई अलख जगाने का काम किया है.
जगन्नाथ की शोभायात्रा में शामिल हुईं उषा ठाकुर: उषा ठाकुर भगवान श्री जगन्नाथ की शोभायात्रा के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थी. श्रीकृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति संकीर्तन मंडल के 39वें वार्षिक महोत्सव में उषा ठाकुर ने कहा कि भगवान श्री जगन्नाथ यात्रा के अवसर पर देश और विदेश से असंख्य भक्त जगन्नाथपुरी को पहुंचते हैं. आप और हम भाग्यशाली हैं कि हम भगवान श्री जगन्नाथ को भोपाल में ही ले आए, क्योंकि भगवान तो भाव के भूखे हैं, जहां भाव से याद करेंगे प्रभु की उपस्थिति वहां हो जाएगी. मानस भवन में श्री कृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति संकीर्तन मंडल के 39वें वार्षिक महोत्सव को संबोधित कर रही थीं. महोत्सव में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा रोशनपुरा चौराहे से निकाली गई, जो न्यू मार्केट में भ्रमण करते हुए मानस भवन श्यामला हिल्स पर समापन हुई.
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मंत्री ने गाया हरे रामा-हरे कृष्णा: मंत्री ठाकुर ने भगवान श्री जगन्नाथ की पूजा अर्चना कर राज्य की खुशहाली की कामना की. सभी भक्त जनों के साथ हरे राम हरे कृष्णा भजन गाया. मंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति की अनोखी परंपरा अक्षुण्ण बनी रहे. इसके लिए सनातन धर्म के हर व्यक्ति को सजग और जागरूक रहकर परंपराओं के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना होगा. यदि सुख, शांति और संतुष्टि से जीना है तो सनातन की पावन परंपराओं को अपने जीवन में अंगीकार करना होगा.