भोपाल। मध्य प्रदेश के दवा खरीद घोटाले में अब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की टीम ने कारोबारी अशोक नंदा के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है. अशोक नंदा पर आरोप है कि, उन्होंने साल 2004 से 2008 तक तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक से सांठ-गांठ कर ज्यादातर ऑर्डर हासिल किए और करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया. अशोक नंदा ने शैल कंपनियों के जरिए ना केवल मध्य प्रदेश बल्कि छत्तीसगढ़ के ठेके भी हासिल किए और ब्लैक मनी को व्हाइट कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया.
तीन डमी कंपनियों के जरिए कारोबार
कारोबारी अशोक नंदा मालवा ड्रग हाउस मंडीदीप के नाम से दवाइयों की आपूर्ति करते थे. इसके बाद से अशोक नंदा ये काम 'हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ फार्माकॉन लिमिटेड'के नाम से करने लगे. बताया जा रहा है कि नंदा ने तीन डमी कंपनियों के जरिए 55.63 करोड़ रुपए नेताम इंडस्ट्रीज, 17 करोड़ रुपये नेपच्यून इंडस्ट्रीज और छत्तीसगढ़ फार्मासिटिकल्स के नाम पर भी करोड़ों का कारोबार किया. इन कंपनियों के नाम पर मध्य प्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ में व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य विभाग में दवा और उपकरणों की सप्लाई के ऑर्डर लिए गए.
अस्तित्व में ही नहीं हैं 21 कंपनियां
वहीं अब EOW की जांच में खुलासा हुआ है कि नंदा ने कोलकाता की जिन 21 फर्मों के खातों में रुपए ट्रांसफर किए थे, वो 21 कंपनियां अस्तित्व में ही नहीं हैं. इससे साफ हो गया कि ये सभी शेल कंपनियां हैं और अवैध आय को वैध करने के लिए उपयोग में लाई गई थी. माना जा रहा है कि बारीकी से जांच के बाद जल्द ही करोड़ों के दवा खरीदी घोटाले में भी EOW एफआईआर दर्ज कर सकती है.