भोपाल। ई-टेंडर घोटाले की जांच की आंच अब पांच विभागों के असिस्टेंट इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक जा पहुंची है. पांच विभागों के 9 टेंडरों में की गई गड़बड़ी के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि ये गड़बड़ी करने वालों के हाथ तक कैसे पहुंची, अब EOW की टीम इसी डिजिटल सिग्नेचर को लेकर तथ्य जुटा रही है.
मध्य प्रदेश में हुए हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में अब पांच विभागों के असिस्टेंट और चीफ इंजीनियर EOW की जांच के घेरे में आ गए हैं. इस गड़बड़ी में असिस्टेंट इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक के अफसरों से EOW की टीम पूछताछ कर चुकी है. सभी ने इस गड़बड़ी में शामिल होने से इनकार किया है. फिलहाल, EOW की टीम ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नाम से अलॉट होने वाला डिजिटल सिग्नेचर आखिरकार टेंपरिंग करने वालों के हाथों तक कैसे पहुंचा, इसे खुद अधिकारी ने किसी को दिया था या फिर यह डिजिटल सिग्नेचर चोरी हो गया था, लेकिन अगर डिजिटल सिग्नेचर चोरी भी हुए थे तो फिर इसकी एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई गई.
फिलहाल इस पूरे मामले में EOW की टीम बारीकी से जांच कर रही है, अगर अनजाने में डिजिटल सिग्नेचर टेंपरिंग करने वाले आरोपियों तक पहुंचा है, तो इसमें संबंधित अधिकारी की लापरवाही साबित होगी और अगर अधिकारी ने जानबूझकर डिजिटल सिग्नेचर की दी है तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा.