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दिग्विजय सिंह को मिली बड़ी राहत, EOW ने जांच के बाद पेश की क्लोजर रिपोर्ट - diggi

RKDF शिक्षण समूह का जुर्माना माफ करने के केस में दिग्विजय सिंह को बड़ी राहत मिली है. EOW ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
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Published : Jun 18, 2019, 12:35 PM IST

भोपाल। RKDF शिक्षण समूह का जुर्माना माफ करने के केस में दिग्विजय सिंह को बड़ी राहत मिली है. EOW को इस मामले में आरोपी दिग्विजय सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, जिसके बाद इस मामले में ईओडब्लू ने इस केस में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है.

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, तत्कालीन तकनीकि शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया और आरकेडीएफ के सुनील कूपर को आरोपी बनाया गया था. EOW ने जिला कोर्ट में मामले में खात्मा लगाने का आवेदन पेश कर दिया है. दरअसल स्थानीय पत्रकार राधावल्लभ शारदा ने EOW में शिकायत की थी, कार्रवाई न होने पर उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट में परिवाद दायर किया था. इसके बाद ईओडब्ल्यू ने प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले की जांच शुरू की थी.

ये है पूरा मामला
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, तत्कालीन तकनीकि शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया और पूर्व आईएएस अधिकारी आर.परशुराम पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरूपयोग कर आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को जुर्माने से बचाया था. शैक्षणिक सत्र 2000-2001 और 2001-2002 में अनाधिकृत तरीके से 12 छात्रों को एडमिशन दिया गया था. इसे लेकर तकनीकि शिक्षा विभाग ने संस्थान को समझौता शुल्क के रूप में 24 लाख रुपए जमा करने के आदेश दिए थे, लेकिन तत्कालीन शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया ने प्रस्तावित 24 लाख रुपए के समझौते शुल्क को घटाकर पांच लाख रुपए का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भेजा था.

दिग्विजय सिंह ने पांच लाख के प्रस्ताव को ढाई लाख कर प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया था. इससे राज्य शासन को 21 लाख रुपए का नुकसान हुआ था. मामले को लेकर EOW ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया, आरकेडीएफ के सुनील कपूर के खिलाफ भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत दिसंबर 2015 में मामला दर्ज किया था. दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के 1999 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे हैं.

भोपाल। RKDF शिक्षण समूह का जुर्माना माफ करने के केस में दिग्विजय सिंह को बड़ी राहत मिली है. EOW को इस मामले में आरोपी दिग्विजय सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, जिसके बाद इस मामले में ईओडब्लू ने इस केस में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है.

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, तत्कालीन तकनीकि शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया और आरकेडीएफ के सुनील कूपर को आरोपी बनाया गया था. EOW ने जिला कोर्ट में मामले में खात्मा लगाने का आवेदन पेश कर दिया है. दरअसल स्थानीय पत्रकार राधावल्लभ शारदा ने EOW में शिकायत की थी, कार्रवाई न होने पर उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट में परिवाद दायर किया था. इसके बाद ईओडब्ल्यू ने प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले की जांच शुरू की थी.

ये है पूरा मामला
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, तत्कालीन तकनीकि शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया और पूर्व आईएएस अधिकारी आर.परशुराम पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरूपयोग कर आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को जुर्माने से बचाया था. शैक्षणिक सत्र 2000-2001 और 2001-2002 में अनाधिकृत तरीके से 12 छात्रों को एडमिशन दिया गया था. इसे लेकर तकनीकि शिक्षा विभाग ने संस्थान को समझौता शुल्क के रूप में 24 लाख रुपए जमा करने के आदेश दिए थे, लेकिन तत्कालीन शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया ने प्रस्तावित 24 लाख रुपए के समझौते शुल्क को घटाकर पांच लाख रुपए का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भेजा था.

दिग्विजय सिंह ने पांच लाख के प्रस्ताव को ढाई लाख कर प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया था. इससे राज्य शासन को 21 लाख रुपए का नुकसान हुआ था. मामले को लेकर EOW ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया, आरकेडीएफ के सुनील कपूर के खिलाफ भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत दिसंबर 2015 में मामला दर्ज किया था. दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के 1999 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे हैं.

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