ETV Bharat / state

शिवराज सरकार के कर्मचारी वर्ग नाराज, उपचुनाव में पड़ेगा असर ?

author img

By

Published : Oct 20, 2020, 10:09 AM IST

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिसमें कर्मचारी वर्ग एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. जहां नियमित कर्मचारियों के अलावा अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, संविदा कर्मचारी, पंचायत सचिव और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं. जिसको लेकर माना जा रहा है कि कर्मचारी वर्ग की यह नाराजगी उपचुनाव को प्रभावित कर सकती है.

employees-will-affect-the-mp-assembly-by-elections
कर्मचारी वर्ग की नाराजगी बढ़ा सकती है शिवराज सरकार की मुश्किल

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर शिवराज सरकार का भविष्य टिका हुआ है. उपचुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं जो चुनाव को प्रभावित करते हुए नजर आ रहे हैं. इसी कड़ी में कर्मचारी वर्ग एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जो चुनाव को प्रभावित कर सकता है. कोरोना काल में शिवराज सरकार द्वारा की गई कटौतियों को लेकर नियमित कर्मचारी तो नाराज हैं ही, इसके अलावा संविदा कर्मचारी, अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और पंचायत सचिव भी अपनी अपनी मांगों को लेकर सरकार से नाराज हैं. इन परिस्थितियों में कर्मचारी वर्ग किसे वोट करते हैं, इस पर सभी की निगाहें हैं. कर्मचारी एक मतदाता के रूप में तो चुनाव प्रभावित कर ही सकते हैं. वहीं एक मतदान कर्मी के रूप में भी चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.

शिवराज सरकार के कर्मचारी वर्ग नाराज, उपचुनाव में पड़ेगा असर ?

पांच माह के कार्यकाल में भाजपा ने हर वर्ग को साधने का प्रयास किया है. चुनाव आचार संहिता लागू होने तक सरकार निर्णय लेती रही हैं. लेकिन लोगों की नाराजगी दूर नहीं हुई. प्रदेश में नियमित वर्ग का कर्मचारी शिवराज सरकार के रवैए से काफी नाराज है. शिवराज सरकार के पदभार ग्रहण करते ही कोरोना लॉकडाउन हो गया था. लॉकडाउन के कारण बिगड़ी अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में लाने के लिए शिवराज सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए, जो उपचुनाव में भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. शिवराज सरकार द्वारा लिए गए तीन फैसलों से कर्मचारी वर्ग काफी नाराज हैं.

  • कमलनाथ सरकार ने 5 प्रतिशत महंगाई भत्ते की घोषणा की थी, शिवराज सरकार ने अस्तित्व में आते ही कोरोना के दाम पर महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी वापस ले ली.
  • हर साल होने वाली वार्षिक वेतन वृद्धि पर भी शिवराज सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया. कर्मचारियों का दबाव बना, तो उन्होंने काल्पनिक वेतन वृद्धि की बात कही. जिसको लेकर कर्मचारी वर्ग खासा नाराज है.
  • सरकार द्वारा दिए गए सातवें वेतनमान के एरियर की राशि तीन किस्तों में दिया जाना था. तीसरी किस्त मई 2020 में लंबित थी. लेकिन शिवराज सरकार ने कोरोना के नाम पर इस पर भी रोक लगा दी.

कर्मचारी विरोधी है शिवराज सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने 15 माह के कार्यकाल में कर्मचारियों के लिए कई अहम फैसले लिए थे,चाहे सातवें वेतनमान के एरियर, महंगाई भत्ते, वेतन वृद्धि, अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण और अध्यापकों के संविलियन को लेकर ही क्यों न हो, कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों के हित का ध्यान रखा. लेकिन जैसे ही शिवराज सरकार आई, तो महंगाई भत्ता, सातवें वेतनमान का एरियर और वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी गई. अतिथि विद्वानों को लेकर जो सड़कों पर आने की बात करते थे, आज सब गायब हैं. सरकार की लगातार कर्मचारी विरोधी नीतियां सामने आ रही है. एक तरफ करोड़ों रुपए प्रचार के नाम पर लुटा रहे हैं. दूसरी तरफ कर्मचारी के डीए, एरियर और वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है. जिससे पता चलता है कि सरकार कर्मचारी विरोधी है.

कर्मचारी हितों की सरकार: भाजपा

भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य श्याम तिवारी का कहना है कि कर्मचारी वर्ग में सरकार के लिए किसी भी तरह की नाराजगी नहीं है. मध्यप्रदेश में जब-जब भाजपा की सरकार रही है, कर्मचारी हितों के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं. अनेक संविदा नियुक्ति नियमित भर्ती की है. युवाओं के रोजगार के लिए पुलिस विभाग में भर्ती निकालने का काम भाजपा की सरकार ने किया. आने वाले समय में कर्मचारियों और आमजन के हितों के लिए सरकार काम करने जा रही है. निश्चित रूप से भाजपा के साथ कर्मचारी हैं, आगे भी रहेंगे, और उनके हितों का ध्यान सरकार रखेगी.

यह भी पढ़ें:- कमलनाथ पर इमरती देवी के बाद अब मायावती का पलटवार, सोनिया गांधी से की कार्रवाई की मांग

उपचुनाव में दिखेगा कर्मचारी की नाराजगी का असर

मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि मध्यप्रदेश में नवंबर माह में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने जा रहे हैं. इन चुनावों में कर्मचारियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी, और 28 सीटों पर इसका सीधा प्रभाव दिखाई देगा. क्योंकि पिछले कुछ समय से कर्मचारियों में बहुत ज्यादा नाराजगी है. सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता, वार्षिक वेतन वृद्धि और सातवें वेतनमान के एरियर पर रोक लगा दी है. यह वह मांगे हैं, जो ज्वलंत हैं. जिनपर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया जा रहा है. लेकिन कोरोना के नाम पर सरकार ने सारी सुविधाओं पर रोक लगा दी है. वहीं सरकार विधायकों की सुख सुविधा और किसानों के लिए खजाना खोल रही है. लेकिन जब कर्मचारियों की परेशानी बढ़ रही है. तब संविदा कर्मचारी,आशा कार्यकर्ता, शिक्षक और अध्यापक सीधे सीधे चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं. उनकी पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों में घर घर होती है. और कहीं न कहीं वह अपनी नाराजगी को भुनाने की कोशिश करेंगे और निश्चित रूप में इसका असर उपचुनाव में दिखाई देगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर शिवराज सरकार का भविष्य टिका हुआ है. उपचुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं जो चुनाव को प्रभावित करते हुए नजर आ रहे हैं. इसी कड़ी में कर्मचारी वर्ग एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जो चुनाव को प्रभावित कर सकता है. कोरोना काल में शिवराज सरकार द्वारा की गई कटौतियों को लेकर नियमित कर्मचारी तो नाराज हैं ही, इसके अलावा संविदा कर्मचारी, अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और पंचायत सचिव भी अपनी अपनी मांगों को लेकर सरकार से नाराज हैं. इन परिस्थितियों में कर्मचारी वर्ग किसे वोट करते हैं, इस पर सभी की निगाहें हैं. कर्मचारी एक मतदाता के रूप में तो चुनाव प्रभावित कर ही सकते हैं. वहीं एक मतदान कर्मी के रूप में भी चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.

शिवराज सरकार के कर्मचारी वर्ग नाराज, उपचुनाव में पड़ेगा असर ?

पांच माह के कार्यकाल में भाजपा ने हर वर्ग को साधने का प्रयास किया है. चुनाव आचार संहिता लागू होने तक सरकार निर्णय लेती रही हैं. लेकिन लोगों की नाराजगी दूर नहीं हुई. प्रदेश में नियमित वर्ग का कर्मचारी शिवराज सरकार के रवैए से काफी नाराज है. शिवराज सरकार के पदभार ग्रहण करते ही कोरोना लॉकडाउन हो गया था. लॉकडाउन के कारण बिगड़ी अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में लाने के लिए शिवराज सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए, जो उपचुनाव में भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. शिवराज सरकार द्वारा लिए गए तीन फैसलों से कर्मचारी वर्ग काफी नाराज हैं.

  • कमलनाथ सरकार ने 5 प्रतिशत महंगाई भत्ते की घोषणा की थी, शिवराज सरकार ने अस्तित्व में आते ही कोरोना के दाम पर महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी वापस ले ली.
  • हर साल होने वाली वार्षिक वेतन वृद्धि पर भी शिवराज सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया. कर्मचारियों का दबाव बना, तो उन्होंने काल्पनिक वेतन वृद्धि की बात कही. जिसको लेकर कर्मचारी वर्ग खासा नाराज है.
  • सरकार द्वारा दिए गए सातवें वेतनमान के एरियर की राशि तीन किस्तों में दिया जाना था. तीसरी किस्त मई 2020 में लंबित थी. लेकिन शिवराज सरकार ने कोरोना के नाम पर इस पर भी रोक लगा दी.

कर्मचारी विरोधी है शिवराज सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने 15 माह के कार्यकाल में कर्मचारियों के लिए कई अहम फैसले लिए थे,चाहे सातवें वेतनमान के एरियर, महंगाई भत्ते, वेतन वृद्धि, अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण और अध्यापकों के संविलियन को लेकर ही क्यों न हो, कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों के हित का ध्यान रखा. लेकिन जैसे ही शिवराज सरकार आई, तो महंगाई भत्ता, सातवें वेतनमान का एरियर और वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी गई. अतिथि विद्वानों को लेकर जो सड़कों पर आने की बात करते थे, आज सब गायब हैं. सरकार की लगातार कर्मचारी विरोधी नीतियां सामने आ रही है. एक तरफ करोड़ों रुपए प्रचार के नाम पर लुटा रहे हैं. दूसरी तरफ कर्मचारी के डीए, एरियर और वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है. जिससे पता चलता है कि सरकार कर्मचारी विरोधी है.

कर्मचारी हितों की सरकार: भाजपा

भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य श्याम तिवारी का कहना है कि कर्मचारी वर्ग में सरकार के लिए किसी भी तरह की नाराजगी नहीं है. मध्यप्रदेश में जब-जब भाजपा की सरकार रही है, कर्मचारी हितों के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं. अनेक संविदा नियुक्ति नियमित भर्ती की है. युवाओं के रोजगार के लिए पुलिस विभाग में भर्ती निकालने का काम भाजपा की सरकार ने किया. आने वाले समय में कर्मचारियों और आमजन के हितों के लिए सरकार काम करने जा रही है. निश्चित रूप से भाजपा के साथ कर्मचारी हैं, आगे भी रहेंगे, और उनके हितों का ध्यान सरकार रखेगी.

यह भी पढ़ें:- कमलनाथ पर इमरती देवी के बाद अब मायावती का पलटवार, सोनिया गांधी से की कार्रवाई की मांग

उपचुनाव में दिखेगा कर्मचारी की नाराजगी का असर

मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि मध्यप्रदेश में नवंबर माह में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने जा रहे हैं. इन चुनावों में कर्मचारियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी, और 28 सीटों पर इसका सीधा प्रभाव दिखाई देगा. क्योंकि पिछले कुछ समय से कर्मचारियों में बहुत ज्यादा नाराजगी है. सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता, वार्षिक वेतन वृद्धि और सातवें वेतनमान के एरियर पर रोक लगा दी है. यह वह मांगे हैं, जो ज्वलंत हैं. जिनपर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया जा रहा है. लेकिन कोरोना के नाम पर सरकार ने सारी सुविधाओं पर रोक लगा दी है. वहीं सरकार विधायकों की सुख सुविधा और किसानों के लिए खजाना खोल रही है. लेकिन जब कर्मचारियों की परेशानी बढ़ रही है. तब संविदा कर्मचारी,आशा कार्यकर्ता, शिक्षक और अध्यापक सीधे सीधे चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं. उनकी पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों में घर घर होती है. और कहीं न कहीं वह अपनी नाराजगी को भुनाने की कोशिश करेंगे और निश्चित रूप में इसका असर उपचुनाव में दिखाई देगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.