भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जोरदार प्रचार अभियान बुधवार शाम को समाप्त हो गया है. प्रदेश में चुनाव लड़ रहे दलों के नेता राज्य में घूम-घूमकर जनसभाएं, रोड शो करते हुए आरोप-प्रत्यारोप और अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के लिए कई वादे किये. मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार शाम छह बजे समाप्त हो गया. जबकि प्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडौरी के नक्सल प्रभावित जिलों में चुनाव प्रचार दोपहर तीन बजे बंद हो गया.
2049 केंद्रों पर होगा मतदान: प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए कुल 2,533 उम्मीदवार मैदान में हैं. जहां सत्ता के लिए मुख्य लड़ाई सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस के बीच है. एमपी में कम से कम 5,60,60,925 मतदाता हैं. जिसमें 2,88,25,607 पुरुष, 2,72,33,945 महिलाएं और 1,373 तीसरे लिंग के व्यक्ति शुक्रवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र हैं. एमपी में एक चरण में शुक्रवार को मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक राज्य के 2,049 मतदान केंद्रों पर चलेगा.
खरगे, प्रियंका, योगी सहित दिग्गजों का जोर: चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, उनकी पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (तीनों भाजपा से) ने अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए मतदाताओं को लुभाने के लिए आखिरी मिनट तक प्रयास किए.
अखिलेश ने लगाया दम: प्रचार के आखिरी दिन समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी रैलियों को संबोधित किया. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन चुनावी सभाओं को संबोधित किया और इंदौर में एक रोड शो किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मंगलवार को जबलपुर में इतनी ही संख्या में सभाओं को संबोधित किया और रोड शो किया.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य ने भी मंगलवार को अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया. चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य लोगों ने राज्य का दौरा किया और सभी 230 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए चुनावी सभाओं को संबोधित किया.
खूब हुए जुबानी हमले: कांग्रेस अध्यक्ष खरगे, उनके पूर्ववर्ती राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी-वाद्रा, एमपी कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य ने अपने 230 उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए जनसभाओं को संबोधित किया. चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में दरार देखी गई और इसके घटक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनाव पूर्व गठबंधन में विफल रहने के बाद एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे. उनके नेता भी जबानी युद्ध या शाब्दिक लड़ाई में उलझे रहे.
पीएम मोदी ने एमपी में की 9 सभाएं: भाजपा के शीर्ष प्रचारक मोदी ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद प्रदेश का नौ दफा दौरा किया और 14 जनसभाओं को संबोधित किया. सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा प्रधानमंत्री के करिश्मे और लोकप्रियता पर भारी भरोसा कर रही है. 'एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी' के नारे इर्द-गिर्द बुना गया था. मोदी, शाह और अन्य भाजपा नेताओं ने राज्य और केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकारों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और सार्वजनिक धन की लूट का आरोप लगाया और अयोध्या में आगामी राम मंदिर और आदिवासी समाज के कल्याण के बारे में भी बात की.
बीमारू राज्य, ओबीसी, बिजली-पानी का उठा मुद्दा: भाजपा ने इस बात पर जोर देने का कोई मौका नहीं छोड़ा कि उसने मध्य प्रदेश को 'बीमारू' (पिछड़े) श्रेणी से बाहर निकाला है, जबकि बिजली कटौती, सड़कों की दयनीय स्थिति और पानी की कमी कांग्रेस के शासन में आम बात थी और लोगों को आगाह किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है. वह राज्य को फिर से बर्बाद कर देगी. कांग्रेस का चुनाव प्रचार जाति सर्वेक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण के वादे पर केंद्रित था, जो राज्य की आबादी का लगभग 48 प्रतिशत है.
12 जून से प्रियंका ने की था शुरूआत: प्रियंका गांधी ने 12 जून को एमपी में अपनी पार्टी के अभियान की शुरुआत करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला और कहा कि प्रदेश में 220 महीने के भाजपा शासन में 225 "घोटाले" हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि पिछले तीन वर्षों में भाजपा सरकार द्वारा राज्य में केवल 21 सरकारी नौकरियां प्रदान की गईं. कांग्रेस के अभियान ने बेरोजगारी, महंगाई को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य में 50 प्रतिशत "कमीशन राज" व्याप्त है.
सपा ने 71, आप ने उतारे 66 प्रत्याशी: चुनाव प्रचार ने अगले साल के आम चुनाव से पहले विपक्षी इंडिया गुट में दरार को सामने ला दिया. जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर वादे के मुताबिक उनकी पार्टी को छह सीटें न देकर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया. एमपी में समाजवादी पार्टी ने 71 उम्मीदवार उतारे हैं. इसी तरह, इंडिया ब्लाक के एक सहयोगी, आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पंजाब समकक्ष भगवंत सिंह मान ने अपने 66 उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए 12 से अधिक रैलियों को संबोधित किया और रोड शो किए.
मायावती ने की 10 रैलियां: विपक्षी ब्लाक का एक अन्य घटक जनता दल (यू) 10 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रहा है. मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने 183 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जबकि उसकी सहयोगी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, (एक आदिवासी संगठन) ने 45 से अधिक उम्मीदवारों को टिकट दिया है. बसपा अध्यक्ष मायावती ने 10 रैलियों को संबोधित किया और केंद्र में सत्ता में रहते हुए मंडल आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने के लिए कांग्रेस पर हमला किया. उन्होंने और अखिलेश यादव ने अलग-अलग चुनावी सभाओं में अब जाति-आधारित सर्वेक्षण की मांग करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि आजादी के बाद जब पार्टी सत्ता में थी तो उसने इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया.
2018 में कांग्रेस ने बनाई थी सरकार: प्रदेश में 2018 के चुनाव के बाद 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने कमलनाथ के नेतृत्व में बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई. हालांकि, मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके प्रति वफादार कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के बाद कमलनाथ शासन का पतन हो गया. जिससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ.