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संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत लिये गए निर्णय पर कोई सवाल नहींः विधानसभा अध्यक्ष

विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने पवई विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता कर दी है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने असंवैधानिक बताया है.

संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत लिया निर्णय
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Published : Nov 3, 2019, 9:30 AM IST

Updated : Nov 3, 2019, 10:39 AM IST

भोपाल। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का कहना है कि नियमानुसार निर्णय लिया गया है, जो विधि में उल्लिखित है, उसी के अनुसार ये निर्णय लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के नियम में साफ बताया गया है कि जिस क्षण न्यायालय आप को दो वर्ष की सजा देता है, उसी क्षण विधायक की सदस्यता रद हो जाती है और ये सुप्रीम कोर्ट के नियमों में है. हमने उन्हीं नियमों के आधार पर निर्णय किया है. विपक्ष के कोर्ट की शरण में जाने को लेकर अध्यक्ष ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है, हर व्यक्ति अपने आप में स्वतंत्र है. जब विधानसभा अध्यक्ष से पूछा गया कि आप के निर्णय पर विपक्ष सवाल उठा रहा है तो इसे लेकर उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता.

संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत लिये गए निर्णय पर कोई सवाल नहींः

विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि पवई विधायक के मामले में सजा कोर्ट ने सुनाया है. जिसके बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में उल्लिखित किया गया है कि कोई व्यक्ति जो उप धारा 1 या उप धारा 2 में किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध ठहराया गया है और 2 वर्ष की सजा कोर्ट ने दी हो तो उसकी सदस्यता तत्काल रद हो जाती है. इसके अलावा उसकी सजा पूरी हो जाने के बाद भी 6 वर्ष तक वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा. अध्यक्ष के पास तो बाद में निर्णय आया है, संवैधानिक नियमों के तहत पवई विधायक की सदस्यता कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद ही रद हो गयी है, आगे भी नियमों का पालन करना है, इन नियमों के तहत ही विधानसभा में एक पद रिक्त किया गया है.

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के तहत 2 साल की सजा होने पर विधायक की सदस्यता रद की जा सकती है. इसके अलावा अगले 6 साल तक संबंधित जनप्रतिनिधि को चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता है. ये फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए बताई है. उन्होंने कहा है कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है. इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को योग्यता से संरक्षण हासिल है.

भोपाल। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का कहना है कि नियमानुसार निर्णय लिया गया है, जो विधि में उल्लिखित है, उसी के अनुसार ये निर्णय लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के नियम में साफ बताया गया है कि जिस क्षण न्यायालय आप को दो वर्ष की सजा देता है, उसी क्षण विधायक की सदस्यता रद हो जाती है और ये सुप्रीम कोर्ट के नियमों में है. हमने उन्हीं नियमों के आधार पर निर्णय किया है. विपक्ष के कोर्ट की शरण में जाने को लेकर अध्यक्ष ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है, हर व्यक्ति अपने आप में स्वतंत्र है. जब विधानसभा अध्यक्ष से पूछा गया कि आप के निर्णय पर विपक्ष सवाल उठा रहा है तो इसे लेकर उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता.

संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत लिये गए निर्णय पर कोई सवाल नहींः

विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि पवई विधायक के मामले में सजा कोर्ट ने सुनाया है. जिसके बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में उल्लिखित किया गया है कि कोई व्यक्ति जो उप धारा 1 या उप धारा 2 में किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध ठहराया गया है और 2 वर्ष की सजा कोर्ट ने दी हो तो उसकी सदस्यता तत्काल रद हो जाती है. इसके अलावा उसकी सजा पूरी हो जाने के बाद भी 6 वर्ष तक वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा. अध्यक्ष के पास तो बाद में निर्णय आया है, संवैधानिक नियमों के तहत पवई विधायक की सदस्यता कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद ही रद हो गयी है, आगे भी नियमों का पालन करना है, इन नियमों के तहत ही विधानसभा में एक पद रिक्त किया गया है.

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के तहत 2 साल की सजा होने पर विधायक की सदस्यता रद की जा सकती है. इसके अलावा अगले 6 साल तक संबंधित जनप्रतिनिधि को चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता है. ये फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए बताई है. उन्होंने कहा है कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है. इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को योग्यता से संरक्षण हासिल है.

Intro: मैं निर्णय ले चुका हूं मेरे निर्णय पर प्रश्न नहीं उठ सकता संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत लिया निर्णय = विधानसभा अध्यक्ष

भोपाल | विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के द्वारा पवई से विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इस निर्णय को असंवैधानिक बताया है तो वहीं विधानसभा अध्यक्ष इसे संविधान के दायरे में की गई प्रक्रिया बता रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष का मानना है कि उन्होंने जो निर्णय लिया है वह सुप्रीम कोर्ट की ही गाइडलाइन है साथ ही नरोत्तम मिश्रा के द्वारा पुनर्विचार करने के निर्णय पर उन्होंने इंकार करते हुए कहा है कि मैं निर्णय ले चुका हूं मेरे निर्णय पर प्रश्न नहीं उठ सकता क्योंकि यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष ने लिया है .


Body: विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का कहना है कि मेरे द्वारा नियमानुसार निर्णय लिया गया है जो विधि में उल्लेखित है उसी के अनुसार यह निर्णय लिया है सुप्रीम कोर्ट के जो नियम है उसमें साफ बताया गया है कि जिस क्षण न्यायालय आप को 2 वर्ष की सजा देता है उसी क्षण विधायक की सदस्यता रद्द हो जाती है और यह सुप्रीम कोर्ट के नियमों में है और हमने उन नियमों का हवाला देते हुए निर्णय किया है वहीं विपक्ष के द्वारा न्यायालय की शरण में जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है हर व्यक्ति अपने आप में स्वतंत्र है .


जब विधानसभा अध्यक्ष से पूछा गया कि आप के निर्णय पर विपक्ष सवाल उठा रहा है इसे लेकर उन्होंने कहा कि मैं निर्णय ले चुका हूं मेरे निर्णय पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष ने लिया है .





Conclusion:विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि पवई विधायक के मामले में फैसला न्यायालय के द्वारा लिया गया है उस निर्णय के बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में उल्लेखित किया गया है कि कोई व्यक्ति जो उप धारा 1 या उप धारा 2 में किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध ठहराया गया है और 2 वर्ष की सजा न्यायालय के द्वारा कारावास से दंडित किया गया है उसकी सदस्यता दोष सिद्ध होते ही रद्द हो जाती है जिस दिन न्यायालय ने उसे दोष सिद्ध पाते हुए निर्णय लिया उसी दिन उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी इसके अलावा उसकी सजा पूरी हो जाने के बाद भी 6 वर्ष तक वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा मेरे पास तो बाद में निर्णय आया है संवैधानिक नियमों के तहत तो पवई विधायक की सदस्यता न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद ही रद्द हो चुकी है उसको आगे आप जो भी नियमों का पालन करना है वही हमारे द्वारा किया गया है इन नियमों के तहत ही मैंने विधानसभा में एक पद रिक्त किया है .


उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के तहत 2 साल की सजा होने पर विधायक की सदस्यता रद्द की जा सकती है . इसके अलावा अगले 6 साल तक संबंधित जनप्रतिनिधि को चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता है . यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4 )को असंवैधानिक करार देते हुए बताई है . उन्होंने कहा है कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को योग्यता से संरक्षण हासिल है .
Last Updated : Nov 3, 2019, 10:39 AM IST
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