भोपाल। विपक्ष के तमाम विरोध के बाद प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने कुपोषण का दाग मिटाने और आंगनबाड़ियों में अंडे बांटने की तैयारी कर ली है. विभाग पहले चरण में प्रदेश के 89 आदिवासी बाहुल्य विकास खंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों से शुरुआत करने जा रहा है. इन केंद्रों में हफ्ते में 3 दिन बच्चों को एक अंडा दिए जाने की तैयारी है. इस पर हर साल करीब 130 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इमरती देवी के मुताबिक किसी को भी अंडा जबरदस्ती नहीं खिलाया जाएगा जो बच्चे अंडा नहीं खाते हैं उन्हें सरकार फल देने पर विचार कर रही है.
विभागीय मंत्री के मुताबिक विभाग ने फैसला दूसरे राज्यों में कुपोषित बच्चों को अंडे दिए जाने के बाद के परिणामों का अध्ययन करने के बाद ही लिया है. उनके मुताबिक ऐसे कई राज्य हैं जहां कुपोषण से निपटने के लिए बच्चों को अंडे दिए गए और जिसके अच्छे परिणाम सामने आए. यहां तक कि महाराष्ट्र में भी कुपोषित बच्चों को अंडे दिए जाते हैं.
दूसरे राज्यों में भी बंटता है अंडा
उत्तराखंड में हफ्ते में 2 दिन और त्रिपुरा में साल 2012 से हफ्ते में 2 दिन अंडे दिए जा रहे हैं. यही आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में साल 2009 से बच्चों को अंडे दिए जा रहे हैं. कर्नाटक में 8 माह पहले हफ्ते में 2 दिन अंडा दिए जाने की शुरुआत हुई.
मध्यप्रदेश में विभाग महिला स्व सहायता समूह से अंडा खरीदेगा और आदिवासी बाहुल्य इलाकों में बच्चों को अंडा देगा.गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में कुपोषण से निपटने के लिए शिवराज सरकार के समय भी आदिवासी क्षेत्र में बच्चों को अंडा दिए जाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन शिवराज सरकार ने उसे समय लागू नहीं किया था.