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कोरोना वायरस तोड़ रहा बेसहारों की कमर, वृद्धाश्रमों पर गहराया संकट - लॉकडाउन

कोरोना वायरस मध्यप्रेदश में दस्तक देने के बाद से ही तबाही मचा रखी है. लॉकडाउन के बीच सब कुछ थम सा गया है. ऐसे में वृद्धाश्रमों पर भी लॉकडाउन का असर दिख रहा है.

Effect of corona virus on old age homes
लॉकडाउन ने तोड़ी वद्धाश्रम की कमर
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Published : Apr 15, 2020, 8:06 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का असर शहर के वृद्धाश्रम पर भी पड़ रहा है, वृद्धाश्रम में कोरोना की वजह से दानदाताओं की कमी आ गई है. पहले यहां आए दिन लोग खाने-पीने का सामान और अन्य मदद के लिए हाथ खोले रहते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से दानदाताओं की संख्या भी नाम मात्र रह गई है. यहां 3 वृद्धाश्रम संचालित होते हैं. लॉकडाउन के शुरुआती 10 दिनों तक यहां सब्जी तक नहीं पहुंची. करुणाधाम आश्रम को संचालित करने वाली सेवा भारती के संगठन मंत्री रामेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद से ही आश्रम में सुरक्षा के तमाम उपाय अपनाने शुरू कर दिए गए हैं.

रामेंद्र सिंह, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, सेवा भारती संस्था

आश्रम में करीब 35 बुजुर्ग हैं

कोरोना संक्रमण के बाद इनके केयरटेकर, खाना बनाने वालों को भी वृद्ध आश्रम में ही रखवाया गया है, ताकि वे बार-बार बाहर न जाएं और संक्रमण से बचा जा सके. इस तरह करीब 55 लोग वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं. सभी बुजुर्गों को मास्क और सैनिटाइजर बांटा गया है.

आश्रम में लगी सब्जी बनी आसरा

लॉकडाउन के बाद वृद्धाश्रम में भी सब्जी की कमी हो गई है, लेकिन इसकी काफी कुछ भरपाई वृद्धाश्रम में लगाई गई सब्जी से हो रही है. लॉकडाउन के पहले ही राशन की व्यवस्था कर ली गई थी, आश्रम प्रबंधन ने सभी दानदाताओं से ऑनलाइन मदद की अपील की थी, लेकिन इक्का-दुक्का लोग ही इसके लिए आगे आए हैं.

इलाज में हजारों रुपये हो रहे खर्च

क्षेत्र संगठन मंत्री रामेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से इलाज का खर्च बढ़ा है, पहले जिला अस्पताल से बुजुर्गों का इलाज और दवा आ जाती थी, लेकिन अब उन्हें हॉस्पिटल ले जाना सुरक्षित नहीं है. इसलिए प्राइवेट डॉक्टर को ही दिखाकर मेडिकल से दवा ली जा रही है, जिस पर हर माह करीब 15000 रुपए खर्च होता है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का असर शहर के वृद्धाश्रम पर भी पड़ रहा है, वृद्धाश्रम में कोरोना की वजह से दानदाताओं की कमी आ गई है. पहले यहां आए दिन लोग खाने-पीने का सामान और अन्य मदद के लिए हाथ खोले रहते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से दानदाताओं की संख्या भी नाम मात्र रह गई है. यहां 3 वृद्धाश्रम संचालित होते हैं. लॉकडाउन के शुरुआती 10 दिनों तक यहां सब्जी तक नहीं पहुंची. करुणाधाम आश्रम को संचालित करने वाली सेवा भारती के संगठन मंत्री रामेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद से ही आश्रम में सुरक्षा के तमाम उपाय अपनाने शुरू कर दिए गए हैं.

रामेंद्र सिंह, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, सेवा भारती संस्था

आश्रम में करीब 35 बुजुर्ग हैं

कोरोना संक्रमण के बाद इनके केयरटेकर, खाना बनाने वालों को भी वृद्ध आश्रम में ही रखवाया गया है, ताकि वे बार-बार बाहर न जाएं और संक्रमण से बचा जा सके. इस तरह करीब 55 लोग वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं. सभी बुजुर्गों को मास्क और सैनिटाइजर बांटा गया है.

आश्रम में लगी सब्जी बनी आसरा

लॉकडाउन के बाद वृद्धाश्रम में भी सब्जी की कमी हो गई है, लेकिन इसकी काफी कुछ भरपाई वृद्धाश्रम में लगाई गई सब्जी से हो रही है. लॉकडाउन के पहले ही राशन की व्यवस्था कर ली गई थी, आश्रम प्रबंधन ने सभी दानदाताओं से ऑनलाइन मदद की अपील की थी, लेकिन इक्का-दुक्का लोग ही इसके लिए आगे आए हैं.

इलाज में हजारों रुपये हो रहे खर्च

क्षेत्र संगठन मंत्री रामेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से इलाज का खर्च बढ़ा है, पहले जिला अस्पताल से बुजुर्गों का इलाज और दवा आ जाती थी, लेकिन अब उन्हें हॉस्पिटल ले जाना सुरक्षित नहीं है. इसलिए प्राइवेट डॉक्टर को ही दिखाकर मेडिकल से दवा ली जा रही है, जिस पर हर माह करीब 15000 रुपए खर्च होता है.

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