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कोरोना का ग्रहण: बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया के हाल बेहाल, सरकार का ध्यान नहीं

राजधानी भोपाल का बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया का हाल कोरोना काल के दौर में बेहाल है. यहां के ज्यादातर मजदूर कोरोना के चलते घर लौट गए हैं. जिसके चलते 90 फीसदी इकाइयां बंद पड़ गई हैं. इस क्षेत्र को 3 साल पहले ही शुरू किया गया था. दूसरी ओर सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.

The condition of Bagoda Industrial Area is disturbed
बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया के हाल बेहाल
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Published : May 8, 2021, 10:28 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल का बगरौदा औद्योगिक क्षेत्र जिसका निर्माण एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एकेवीएन) मध्यप्रदेश ने किया था. भोपाल से बेहद करीब भोजपुर रोड पर तमाम सुविधाओं से युक्त इस औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने से पहले ही खत्म होने की कगार पर है. लगभग 3 साल पहले यहां औद्योगिक प्लांट लोगों ने लिए और लगभग 419 में से 200 औद्योगिक प्लांटो पर औद्योगिक इकाइयों का निर्माण भी हो चुका था. लेकिन 2020 मार्च में कोरोना महामारी के कारण आज तक कई फैक्ट्रियां तो शुरू भी नहीं हो पाई हैं.

बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया के हाल बेहाल

90 फीसदी इकाइयां पड़ी बंद

भोपाल में एक नए औद्योगिक क्षेत्र बगरौदा का निर्माण लगभग 3 साल पहले किया था. इसमें काफी अलग अलग औद्योगिक क्षेत्रों में रुचि दिखाई औद्योगिक प्लांट भी लिए इसमें थिंक गैस और आईसर जैसे बड़े उद्योगों ने भी रुचि ली और अपने संयंत्र स्थापित किए. लेकिन इस औद्योगिक क्षेत्र के शुरू होते ही 2020 में कोरोना ने अपनी दस्तक दे दी, मार्च 2020 से नवंबर 2020 तक इस क्षेत्र में निर्माण कार्य लगभग रुक सा गया था. उसके बाद कोरोना का असर थोड़ा कम हुआ तो उद्योगपतियों ने अपने उद्योगों का काम तेजी से शुरू किया, लेकिन मार्च-अप्रैल 2021 में फिर से एक बार कोरोना की घातक लहर ने भोपाल में दस्तक दी, इसके चलते फिर से यहां पर वीरानी सी छा गई और लगभग छोटी-बड़ी मिलाकर 90 फीसदी इकाइयां बंद पड़ गई.

Lock on industrial area
औद्योगिक क्षेत्र पर ताला

ईटीवी भारत ने लिया इंडस्ट्रियल एरिया का जायजा

ईटीवी भारत की टीम बगरौदा औद्योगिक क्षेत्र पहुंची, यहां इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ़ बगरौदा के कार्यकारी सदस्य अभिषेक निगम से हमने बात की, बातचीत में अभिषेक निगम ने बताया कि लगभग 3 साल से यहां फैक्ट्रियों का निर्माण कार्य चालू है, वह लगभग डेढ़ साल की समय अवधि कोरोना काल के कारण वे लोग ज्यादा कुछ काम नहीं कर सके हैं और अभी भी स्थिति पिछले साल जैसी ही है, न तो ज्यादा प्रोडक्शन है और न ही सेल, उन्होंने बताया कि पिछले साल भी मजदूरों का पलायन मार्च के महीने में ही हो गया था. हालांकि नवबंर में फिर से मजदूर लौट आए, तो वहीं इस बार भी मजदूर कोरोना की दूसरी लहर के चलते लौट चुकी है.

मजदूरों को एक बार फिर सताने लगा लॉकडाउन का डर

सरकार नहीं कर रही सहायता

इस क्षेत्र की औद्योगिक इकाई को सरकार किसी प्रकार की सहायता नहीं दी गई. उल्टे प्लाट धारकों को एकेवीएन द्वारा नोटिस जारी किया गया है कि 3 साल के अंदर आपने अपने फैक्ट्री का निर्माण क्यों नहीं किया ? अभिषेक निगम का कहना है कि कोरोना के चलते उनका लगभग 1 से डेढ़ साल खराब हो गया, इसलिए इस समय का ग्रेस पीरियड उनको दिया जाना चाहिए, इस तरह के नोटिस जारी होने के कारण कुछ प्लांट धारक फैक्ट्री निर्माण ना करते हुए अपने प्लांट को दूसरे लोगों को अंतरित कर रहे हैं.

कुल मिलाकर जो औद्योगिक इकाई लगाने का सपना उन्होंने देखा था, उसको भी वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक इकाई लगाने के लिए जो कर्ज बैंकों से लिया था, उसके लिए भी उनको वसूली के नोटिस और खाते को एनपीए करने की धमकी मिल रही है. ब्याज और क़िस्त जमा कराने के लिए बैंक भी अभी समय देने को तैयार नहीं है. इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब प्रोडक्शन ही नहीं होगा तो सेल नहीं होगी, ऐसे में उद्योगपति बैंक की किस्त कहां से भरेगा ?. इसमें एक दूसरा पहलू यह भी है सरकार इस औद्योगिक क्षेत्र को भी कुछ राहत रूपी ऑक्सीजन दें. इसका कारण यह है कि किसी भी तरह का फेब्रिकेशन का काम बिना ऑक्सीजन के संभव नहीं है. हालांकि अभिषेक निगम का कहना है कि पहले आदमी को बचाने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग होना चाहिए, उन्होंने सरकार से अपील की है कि यह जो समय कट रहा है उसके लिए सरकार और बैंकों को उनके एसोसिएशन के लोगों को सहयोग करना चाहिए. इसके अलावा इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है.

उन्होंने कहा कि काफी समय से प्रशासन से मांग हो रही है कि यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कुछ व्यवस्था की जाए, क्योंकि फैक्ट्रियों में मशीन के चलते कई बार हादसे हो जाते हैं और ऐसे में आसपास कहीं कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है क्षेत्र में फायर ब्रिगेड भी नहीं है.आज कोरोना की विकराल महामारी को देखते हुए यदि सरकार को इस औद्योगिक क्षेत्र को बचाना है, तो सरकार को कुछ रियायत और सुविधाएं इस औद्योगिक क्षेत्र को देना चाहिए नहीं तो बसने से पहले ही यह औद्योगिक क्षेत्र उजड़ जाएगा.

भोपाल। राजधानी भोपाल का बगरौदा औद्योगिक क्षेत्र जिसका निर्माण एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एकेवीएन) मध्यप्रदेश ने किया था. भोपाल से बेहद करीब भोजपुर रोड पर तमाम सुविधाओं से युक्त इस औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने से पहले ही खत्म होने की कगार पर है. लगभग 3 साल पहले यहां औद्योगिक प्लांट लोगों ने लिए और लगभग 419 में से 200 औद्योगिक प्लांटो पर औद्योगिक इकाइयों का निर्माण भी हो चुका था. लेकिन 2020 मार्च में कोरोना महामारी के कारण आज तक कई फैक्ट्रियां तो शुरू भी नहीं हो पाई हैं.

बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया के हाल बेहाल

90 फीसदी इकाइयां पड़ी बंद

भोपाल में एक नए औद्योगिक क्षेत्र बगरौदा का निर्माण लगभग 3 साल पहले किया था. इसमें काफी अलग अलग औद्योगिक क्षेत्रों में रुचि दिखाई औद्योगिक प्लांट भी लिए इसमें थिंक गैस और आईसर जैसे बड़े उद्योगों ने भी रुचि ली और अपने संयंत्र स्थापित किए. लेकिन इस औद्योगिक क्षेत्र के शुरू होते ही 2020 में कोरोना ने अपनी दस्तक दे दी, मार्च 2020 से नवंबर 2020 तक इस क्षेत्र में निर्माण कार्य लगभग रुक सा गया था. उसके बाद कोरोना का असर थोड़ा कम हुआ तो उद्योगपतियों ने अपने उद्योगों का काम तेजी से शुरू किया, लेकिन मार्च-अप्रैल 2021 में फिर से एक बार कोरोना की घातक लहर ने भोपाल में दस्तक दी, इसके चलते फिर से यहां पर वीरानी सी छा गई और लगभग छोटी-बड़ी मिलाकर 90 फीसदी इकाइयां बंद पड़ गई.

Lock on industrial area
औद्योगिक क्षेत्र पर ताला

ईटीवी भारत ने लिया इंडस्ट्रियल एरिया का जायजा

ईटीवी भारत की टीम बगरौदा औद्योगिक क्षेत्र पहुंची, यहां इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ़ बगरौदा के कार्यकारी सदस्य अभिषेक निगम से हमने बात की, बातचीत में अभिषेक निगम ने बताया कि लगभग 3 साल से यहां फैक्ट्रियों का निर्माण कार्य चालू है, वह लगभग डेढ़ साल की समय अवधि कोरोना काल के कारण वे लोग ज्यादा कुछ काम नहीं कर सके हैं और अभी भी स्थिति पिछले साल जैसी ही है, न तो ज्यादा प्रोडक्शन है और न ही सेल, उन्होंने बताया कि पिछले साल भी मजदूरों का पलायन मार्च के महीने में ही हो गया था. हालांकि नवबंर में फिर से मजदूर लौट आए, तो वहीं इस बार भी मजदूर कोरोना की दूसरी लहर के चलते लौट चुकी है.

मजदूरों को एक बार फिर सताने लगा लॉकडाउन का डर

सरकार नहीं कर रही सहायता

इस क्षेत्र की औद्योगिक इकाई को सरकार किसी प्रकार की सहायता नहीं दी गई. उल्टे प्लाट धारकों को एकेवीएन द्वारा नोटिस जारी किया गया है कि 3 साल के अंदर आपने अपने फैक्ट्री का निर्माण क्यों नहीं किया ? अभिषेक निगम का कहना है कि कोरोना के चलते उनका लगभग 1 से डेढ़ साल खराब हो गया, इसलिए इस समय का ग्रेस पीरियड उनको दिया जाना चाहिए, इस तरह के नोटिस जारी होने के कारण कुछ प्लांट धारक फैक्ट्री निर्माण ना करते हुए अपने प्लांट को दूसरे लोगों को अंतरित कर रहे हैं.

कुल मिलाकर जो औद्योगिक इकाई लगाने का सपना उन्होंने देखा था, उसको भी वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक इकाई लगाने के लिए जो कर्ज बैंकों से लिया था, उसके लिए भी उनको वसूली के नोटिस और खाते को एनपीए करने की धमकी मिल रही है. ब्याज और क़िस्त जमा कराने के लिए बैंक भी अभी समय देने को तैयार नहीं है. इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब प्रोडक्शन ही नहीं होगा तो सेल नहीं होगी, ऐसे में उद्योगपति बैंक की किस्त कहां से भरेगा ?. इसमें एक दूसरा पहलू यह भी है सरकार इस औद्योगिक क्षेत्र को भी कुछ राहत रूपी ऑक्सीजन दें. इसका कारण यह है कि किसी भी तरह का फेब्रिकेशन का काम बिना ऑक्सीजन के संभव नहीं है. हालांकि अभिषेक निगम का कहना है कि पहले आदमी को बचाने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग होना चाहिए, उन्होंने सरकार से अपील की है कि यह जो समय कट रहा है उसके लिए सरकार और बैंकों को उनके एसोसिएशन के लोगों को सहयोग करना चाहिए. इसके अलावा इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है.

उन्होंने कहा कि काफी समय से प्रशासन से मांग हो रही है कि यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कुछ व्यवस्था की जाए, क्योंकि फैक्ट्रियों में मशीन के चलते कई बार हादसे हो जाते हैं और ऐसे में आसपास कहीं कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है क्षेत्र में फायर ब्रिगेड भी नहीं है.आज कोरोना की विकराल महामारी को देखते हुए यदि सरकार को इस औद्योगिक क्षेत्र को बचाना है, तो सरकार को कुछ रियायत और सुविधाएं इस औद्योगिक क्षेत्र को देना चाहिए नहीं तो बसने से पहले ही यह औद्योगिक क्षेत्र उजड़ जाएगा.

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