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प्रदूषण रोकने में सहायक ई-रिक्शा, कम खर्च मुनाफा ज्यादा

आज के दौर में इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावण सुरक्षा के लिए क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं, जो प्रदूषण को तो रोकते ही है, साथ ही ई-रिक्शा से कम खर्च में ज्यादा मुनाफा होता है.

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Published : Sep 29, 2020, 3:13 PM IST

E-rickshaw helps in preventing pollution
प्रदूषण रोकने में सहायक है ई-रिक्शा

भोपाल। रफ्तार से भरी जिंदगी से तालमेल बनाने के लिए वाहनों का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है. जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहन जिंदगी की रफ्तार से तालमेल तो बना रहे हैं, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण का भी बड़ा कारण बन रहे हैं, वहीं जीवाश्म ईंधन की महंगाई आम आदमी की जेब पर भी असर डाल रही है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं, जो प्रदूषण को तो रोकते ही है जेब पर पड़ने वाले बोझ को भी कम करते हैं.

प्रदूषण रोकने में सहायक है ई-रिक्शा

कम खर्चीला ई रिक्शा
वैसे तो इलेक्ट्रिक वाहनों में बड़े से लेकर कई छोटे वाहन जैसे स्कूटर, कार, बस आदि भी उपयोग होती है. लेकिन ई-रिक्शा का सबसे ज्यादा उपयोग हो रहा है. इसका कराण है कि ई-रिक्शा एक बार बैटरी चार्ज होने पर 80 से 85 किलोमीटर तक चलाता है, जिसमें मात्र 4 से 5 यूनिट बिजली का खर्च आता है. वहीं जीवाश्म ईंधन जो 90 रुपए लीटर आता है, उससे बामुस्किल वाहन 60 से 70 किलोमीटर तक ही चल पाता है. ऐसे में ई-रिक्शा का विकल्प मुनाफे का धंधा साबित हो रहा है.

सरकारी से मिलता है प्रोत्साहन
ई-रिक्शा को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार तो पहले से ही सब्सिडी दे रही है. अब मध्य प्रदेश की सरकार भी नगरीय प्रशासन विभाग के जरिए सब्सिडी देकर प्रोत्साहन कर रही है. राजधानी भोपाल में देखा जाए तो इलेक्ट्रामिक वाहनों में सबसे ज्यादा ई-रिक्शा का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में सरकार की ये योजना ऑटो चालको के लिए काफी फायदेमंद हो रही है.

केंद्र सरकार द्वारा ई रिक्शा पर दी जाने वाली सब्सिडी

  • एससी/एसटी वर्ग के लिए - 35 हजार तक
  • ओबीसी वर्ग के लिए - 25 हजार तक
  • सामान्य वर्ग के लिए - 15 हजार तक

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी
सरकार का नगरीय प्रशासन विभाग ई-रिक्शा को प्रोत्साहित करने के लिए 15 हजार तक की सब्सिडी देता है. यदि केंद्र और राज्य सब्सिडी को जोड़ दिया जाए तो 30 से 50 हजार रुपए की बचत हो जाती है.

इलेक्ट्रिक वाहनों से पर्यावरण को लाभ
इलेक्ट्रिक वाहनों के एक्सपर्ट रितेश सिंह चौहान बताते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों से सबसे ज्यादा पर्यावरण को लाभ है. पर्यावरण स्वच्छ हो रहा है, अगर ई-रिक्शा में कोई व्यक्ति सवारी करता है, तो ना उसको धुएं की परेशानी होती है और ना ही आवाज. जबकी जीवाश्म ईंधन के वाहनों में पेट्रोल और केरोसिन जैसी बदबू के आलावा ये दोना समस्या आम है.

रिक्शा चालक को हो जाती है अच्छी कमाई
रिक्शा चलाने वाले इरफान बताते हैं कि वे 1 साल से यह गाड़ी चला रहे हैं. पहले उन्हें रोज कम से कम 100 रुपये पेट्रोल के लिए चाहिए होते थे, लेकिन जब से ई-रिक्शा चलाना शुरू किया से इस समस्या से निदान मिल गया. इरफान अभी किराए की गाड़ी चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है, दिन में 600 से 700 रुपए धंधा हो जाता है,जिसमें उनकी तीन सौ से चार सौ की कमाई हो जाती है. जबकी कर्च मात्र 30 से 40 रुपए की बिजली होती है.

आरटीओ देता है पांच लोगों की पासिंग
इन वाहनों को खरीदनें में वाकायदा वाहन का बीमा होता है और परिवहन विभाग भी चार सवारी और एक ड्राइवर सहित पांच लोगों की पासिंग का रजिस्ट्रेशन देता है. जबकी सामान्य ऑटो में तीन सवारियो के साथ एक ड्राइवर की पासिंग होती है. ऐसे में ऑटो चालकों को कम खर्च में एक सवारी ज्यादा मिल जाती है और ये प्रदूषण कम करने के साथ ही सोने पे सुहागा साबित हो रहे हैं.

आज जब दुनिया कल कारखोनों और वाहनों से प्रदूषण फैल रहा है. जरूरत है कि ई-रिक्शा ही नहीं लोगों को अपने सभी वाहनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को प्रथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे लगातार हो रहे प्रदूषण को कम कर सकें, और आनी वाली पीढ़ी के लिए एक शुद्ध पर्यावरण छोड पाएं. कपिल तिवारी ईटीवी भारत मध्य प्रदेश

भोपाल। रफ्तार से भरी जिंदगी से तालमेल बनाने के लिए वाहनों का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है. जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहन जिंदगी की रफ्तार से तालमेल तो बना रहे हैं, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण का भी बड़ा कारण बन रहे हैं, वहीं जीवाश्म ईंधन की महंगाई आम आदमी की जेब पर भी असर डाल रही है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं, जो प्रदूषण को तो रोकते ही है जेब पर पड़ने वाले बोझ को भी कम करते हैं.

प्रदूषण रोकने में सहायक है ई-रिक्शा

कम खर्चीला ई रिक्शा
वैसे तो इलेक्ट्रिक वाहनों में बड़े से लेकर कई छोटे वाहन जैसे स्कूटर, कार, बस आदि भी उपयोग होती है. लेकिन ई-रिक्शा का सबसे ज्यादा उपयोग हो रहा है. इसका कराण है कि ई-रिक्शा एक बार बैटरी चार्ज होने पर 80 से 85 किलोमीटर तक चलाता है, जिसमें मात्र 4 से 5 यूनिट बिजली का खर्च आता है. वहीं जीवाश्म ईंधन जो 90 रुपए लीटर आता है, उससे बामुस्किल वाहन 60 से 70 किलोमीटर तक ही चल पाता है. ऐसे में ई-रिक्शा का विकल्प मुनाफे का धंधा साबित हो रहा है.

सरकारी से मिलता है प्रोत्साहन
ई-रिक्शा को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार तो पहले से ही सब्सिडी दे रही है. अब मध्य प्रदेश की सरकार भी नगरीय प्रशासन विभाग के जरिए सब्सिडी देकर प्रोत्साहन कर रही है. राजधानी भोपाल में देखा जाए तो इलेक्ट्रामिक वाहनों में सबसे ज्यादा ई-रिक्शा का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में सरकार की ये योजना ऑटो चालको के लिए काफी फायदेमंद हो रही है.

केंद्र सरकार द्वारा ई रिक्शा पर दी जाने वाली सब्सिडी

  • एससी/एसटी वर्ग के लिए - 35 हजार तक
  • ओबीसी वर्ग के लिए - 25 हजार तक
  • सामान्य वर्ग के लिए - 15 हजार तक

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी
सरकार का नगरीय प्रशासन विभाग ई-रिक्शा को प्रोत्साहित करने के लिए 15 हजार तक की सब्सिडी देता है. यदि केंद्र और राज्य सब्सिडी को जोड़ दिया जाए तो 30 से 50 हजार रुपए की बचत हो जाती है.

इलेक्ट्रिक वाहनों से पर्यावरण को लाभ
इलेक्ट्रिक वाहनों के एक्सपर्ट रितेश सिंह चौहान बताते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों से सबसे ज्यादा पर्यावरण को लाभ है. पर्यावरण स्वच्छ हो रहा है, अगर ई-रिक्शा में कोई व्यक्ति सवारी करता है, तो ना उसको धुएं की परेशानी होती है और ना ही आवाज. जबकी जीवाश्म ईंधन के वाहनों में पेट्रोल और केरोसिन जैसी बदबू के आलावा ये दोना समस्या आम है.

रिक्शा चालक को हो जाती है अच्छी कमाई
रिक्शा चलाने वाले इरफान बताते हैं कि वे 1 साल से यह गाड़ी चला रहे हैं. पहले उन्हें रोज कम से कम 100 रुपये पेट्रोल के लिए चाहिए होते थे, लेकिन जब से ई-रिक्शा चलाना शुरू किया से इस समस्या से निदान मिल गया. इरफान अभी किराए की गाड़ी चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है, दिन में 600 से 700 रुपए धंधा हो जाता है,जिसमें उनकी तीन सौ से चार सौ की कमाई हो जाती है. जबकी कर्च मात्र 30 से 40 रुपए की बिजली होती है.

आरटीओ देता है पांच लोगों की पासिंग
इन वाहनों को खरीदनें में वाकायदा वाहन का बीमा होता है और परिवहन विभाग भी चार सवारी और एक ड्राइवर सहित पांच लोगों की पासिंग का रजिस्ट्रेशन देता है. जबकी सामान्य ऑटो में तीन सवारियो के साथ एक ड्राइवर की पासिंग होती है. ऐसे में ऑटो चालकों को कम खर्च में एक सवारी ज्यादा मिल जाती है और ये प्रदूषण कम करने के साथ ही सोने पे सुहागा साबित हो रहे हैं.

आज जब दुनिया कल कारखोनों और वाहनों से प्रदूषण फैल रहा है. जरूरत है कि ई-रिक्शा ही नहीं लोगों को अपने सभी वाहनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को प्रथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे लगातार हो रहे प्रदूषण को कम कर सकें, और आनी वाली पीढ़ी के लिए एक शुद्ध पर्यावरण छोड पाएं. कपिल तिवारी ईटीवी भारत मध्य प्रदेश

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