भोपाल। कोरोना वायरस के कारण मध्य प्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की खरीदी पहले ही टाल दी गई थी और 1 अप्रैल से गेहूं खरीदी का आदेश दिया गया था. लेकिन सरकार ने 1 अप्रैल से भी गेहूं की खरीदी अनिश्चितकाल के लिए रोक दी है. एक तरफ जहां किसान खेतों में खड़ी गेहूं की फसल मजदूर और हार्वेस्टर ना मिलने के कारण काट नहीं पा रहा था और जैसे तैसे किसान ने अपनी फसल काटकर बेचने के लिए तैयार की, तो अब सरकार द्वारा गेहूं की खरीदी का आदेश वापस ले लिया गया है.
सरकार ने स्पष्ट भी नहीं किया है कि आने वाले समय में कब गेहूं की खरीदी शुरू होगी. ऐसी स्थिति में किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वैसे भी मध्य प्रदेश सरकार पर किसानों का काफी पैसा बकाया है और अब किसान मांग करने लगे हैं कि सरकार पर बकाया राशि उनके खातों में डाली जाए. शिवराज सिंह शासन के समय की सोयाबीन की भावांतर राशि, कमलनाथ सरकार के समय पर गेहूं की बोनस की राशि और प्राकृतिक आपदा का पैसा अभी तक मध्य प्रदेश सरकार किसानों को नहीं दे पाई है. इसलिए भारतीय किसान यूनियन ने तत्काल किसानों के खाते में पैसे डाले जाने की मांग की है.
भारतीय किसान यूनियन के मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि आज मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीदी नहीं हो पाने की स्थिति में किसानों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है. जो किसान एक-दूसरे से उधार लेकर अपना काम चलाते थे, आज वो भी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में हार्वेस्टर और फसलों की कटाई के लिए नकदी की आवश्यकता पड़ रही है.
किसानों की मांग है जिस प्रकार से सरकार शहरी क्षेत्र में कर्मचारियों को ड्यूटी पर जाएं या ना जाएं उन्हें वेतन दे रही है. उसी प्रकार से किसानों को सहयोग राशि प्रदान की जाए. उनका पहले का बकाया भावांतर सोयाबीन का 500 रूपये, गेहूं का 160 रूपये और 75% पूर्व की मुआवजा राशि भी प्रदान की जाए.