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जुलाई में कम बारिश होने से किसान चिंतित, सूखने लगी फसलें

इस साल जुलाई माह में बारिश कम दर्ज की गई है, जिसने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है. कई किसानों की फसल सूखने की कगार पर है, मौसम विभाग की माने तो अगस्त में बारिश हो सकती है.

Due to less rain crops were affected
जुलाई में कम बारिश का असर
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Published : Jul 29, 2020, 8:49 AM IST

भोपाल। प्रदेश में मानसून जून माह में ही पूरी तरह से सक्रिय हो गया था और अच्छी बारिश के आसार भी नजर आ रहे थे, लेकिन जुलाई की शुरुआत में मानसून को लेकर जो अनुमान लगाए गए थे, वो गलत साबित हो गए, कई सालों बाद ऐसा मौका आया है, जब जुलाई का महीना निकल गया और अब तक लोगों को बारिश का इंतजार ही है. जुलाई में काफी कम बारिश हुई है, ऐसी स्थिति में सामान्य से भी कम बारिश दर्ज की गई है. वहीं प्रदेश के कई जिलों में कम बारिश के चलते किसानों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. पर्याप्त बारिश नहीं होने से फसलों को भारी नुकसान हो सकता है.

कम बारिश से खरीफ की फसलों के तबाह होने की आशंका बढ़ गई है, विशेषकर धान की फसल सूखने की कगार पर है, सोयाबीन की फसल का भी उत्पादन घटने का खतरा मंडराने लगा है. हालात ये हैं कि अभी तक प्रदेश में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं 17 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश दर्ज की गई है. मौसम विभाग की माने तो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी आने का सिलसिला अब शुरू हो रहा है, जिसके बाद प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में रुक-रुक कर तेज बौछारें पड़ने का सिलसिला शुरू हो सकता है.

मौसम विभाग के मुताबिक, वर्तमान में दक्षिणी हवा चल रही है, इस वजह से प्रदेश में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से लगातार नमी मिलने लगी है. साथ ही प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में अधिकतम तापमान बढ़ा हुआ है जिसकी वजह से ग्वालियर, चंबल, शहडोल, रीवा, भोपाल, जबलपुर, संभाग के जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बौछारें पड़ने की संभावना बन रही है. वहीं रुक-रुक कर बारिश होने का ये सिलसिला प्रदेश में दो-तीन दिनों तक बना रह सकता है, दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी में बन रहे एक चक्रवात से तीन-चार अगस्त तक प्रदेश में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई जा रही है.

भोपाल। प्रदेश में मानसून जून माह में ही पूरी तरह से सक्रिय हो गया था और अच्छी बारिश के आसार भी नजर आ रहे थे, लेकिन जुलाई की शुरुआत में मानसून को लेकर जो अनुमान लगाए गए थे, वो गलत साबित हो गए, कई सालों बाद ऐसा मौका आया है, जब जुलाई का महीना निकल गया और अब तक लोगों को बारिश का इंतजार ही है. जुलाई में काफी कम बारिश हुई है, ऐसी स्थिति में सामान्य से भी कम बारिश दर्ज की गई है. वहीं प्रदेश के कई जिलों में कम बारिश के चलते किसानों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. पर्याप्त बारिश नहीं होने से फसलों को भारी नुकसान हो सकता है.

कम बारिश से खरीफ की फसलों के तबाह होने की आशंका बढ़ गई है, विशेषकर धान की फसल सूखने की कगार पर है, सोयाबीन की फसल का भी उत्पादन घटने का खतरा मंडराने लगा है. हालात ये हैं कि अभी तक प्रदेश में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं 17 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश दर्ज की गई है. मौसम विभाग की माने तो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी आने का सिलसिला अब शुरू हो रहा है, जिसके बाद प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में रुक-रुक कर तेज बौछारें पड़ने का सिलसिला शुरू हो सकता है.

मौसम विभाग के मुताबिक, वर्तमान में दक्षिणी हवा चल रही है, इस वजह से प्रदेश में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से लगातार नमी मिलने लगी है. साथ ही प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में अधिकतम तापमान बढ़ा हुआ है जिसकी वजह से ग्वालियर, चंबल, शहडोल, रीवा, भोपाल, जबलपुर, संभाग के जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बौछारें पड़ने की संभावना बन रही है. वहीं रुक-रुक कर बारिश होने का ये सिलसिला प्रदेश में दो-तीन दिनों तक बना रह सकता है, दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी में बन रहे एक चक्रवात से तीन-चार अगस्त तक प्रदेश में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई जा रही है.

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