भोपाल। पहला लेंस इम्प्लांट स्थापित करने वाले डॉक्टर गुरदेव सिंह का कोरोना से निधन हो गया है. राजधानी के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुरदीप सिंह का इलाज के दौरान निधन हो गया. वह 62 वर्ष के थे. शहर के नेशनल हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था. वह कोरोना से पीड़ित थे. डॉक्टर गुरदीप विगत दिनों से अस्वस्थ थे. उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन आज सुबह उनका निधन हो गया.
पिता डीन और पत्नी नेत्र चिकित्सक
उनके पिता डॉक्टर संतोख भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन रह चुके थे. डॉ. गुरदीप की पत्नी भी नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. डॉ. गुरदीप सिंह भोपाल के पहले ऐसे नेत्र चिकित्सक थे. जिन्होंने सबसे पहले लेंस इम्प्लांट शुरू किया था. गांधी मेडिकल कॉलेज से उन्होंने आप्थल्मोलॉजी में एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई की चिकित्सक के रूप में उन्होंने वर्धा के सेवाग्राम अस्पताल में एक साल तक काम किया. 1987 में जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे.
करियर में हासिल की कई उपलब्धियां
अपने शुरुआती कैरियर में उन्होंने लेटेस्ट सर्जिकल स्किल पर फोकस किया और कई ख्याति प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों की फेलोशिप भी प्राप्त की. डॉ. गुरदीप ने किरयू नेत्र अस्पताल जापान से एफआईसीओ फेलोशिप, जर्मनी के कारलजूये के सेंट विंसेंट अस्पताल से फॉर्म्स की फेलोशिप भी की. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न के रॉयल विक्टोरिया अस्पताल में विट्रो रेटिनल सर्जरी में प्रशिक्षण लिया. 1986 में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए इंट्रॉक्युलर लेंस लगाने वाले मध्यप्रदेश के पहले चिकित्सक थे.
लेजर सर्जरी पसंदीदा विषय
डॉ. गुरदीप ने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय और राज्य सम्मेलनों में विभिन्न प्रस्तुतीकरण दिए. उन्हें पूरे भारत में अलग-अलग कार्यशाला में अतिथि संकाय और गेस्ट सर्जन के रूप में काम करने के अवसर प्राप्त हुए. विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेत्र विज्ञान पत्रिकाओं में उनके कई प्रकाशन हुए हैं. उनकी रूचि के क्षेत्र में मोतियाबिंद विट्रियो रेटिनल और लेजर सर्जरी पसंदीदा विषय रहे हैं.