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कलेक्टर की जनसुनवाई में तलाकशुदा महिला ने मचाया हंगामा - भरण पोषण अधिनियम

भोपाल में कलेक्टर द्वारा किए गए समाधान से असंतुष्ट महिला जनसुनवाई में पहुंची और उसने भरी जनसुनवाई में चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि जनसुनवाई सिर्फ एक ढकोसला है. क्या है पूरा मामला यहां पढ़िए

woman created ruckus during public hearing
जनसुनवाई में महिला ने मचाया हंगामा
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Published : Dec 10, 2019, 6:19 PM IST

भोपाल। कलेक्टर जनसुनवाई में एक तलाकशुदा महिला पहुंची. कलेक्टर के दिए गए समाधान से वो असंतुष्ट थी और भरी जनसुनवाई में उसने चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि जनसुनवाई सिर्फ एक ढकोसला है. दरअसल महिला अपने हक के लिए इधर-उधर भटक रही है. उसके पास इलाज के पैसे नहीं हैं और वो हर तरफ से हारकर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची थी.

घरेलू हिंसा के केस कराया है दर्ज
महिला की शादी मध्यप्रदेश पुलिस की विशेष शाखा में पदस्थ सिपाही महेंद्र तोमर से हुई थी. सिपाही महिला को प्रताड़ित करता था, इसलिए उसने 2 नवंबर 2014 को घरेलू हिंसा का केस दायर किया. कोर्ट ने भरण पोषण अधिनियम के तहत सिपाही महेंद्र तोमर को जून 2015 से महिला को 3500 रुपए हर महीने देने का आदेश दिया था. लेकिन तोमर ने ना तो महिला को राशि दी और ना ही उसके ऊपर कोई कार्रवाई हुई.

जनसुनवाई में महिला ने मचाया हंगामा

मदद के लिए 4 साल से भटकी रही महिला
महिला पिछले 4 साल से मदद के लिए इधर से उधर भटक रही है. उसका आरोप है कि तोमर ने डॉक्टरों के साथ मिलकर उसके इलाज में गड़बड़ी की है. उसका कलेक्टर से आग्रह था कि उसके सही इलाज की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाए. कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने महिला की बात सुनकर उसे हमीदिया अस्पताल भेजने का आदेश दिया.ये सुनकर महिला और भड़क गई और उसने बताया की हमीदिया में भी उसे यहां से वहां भेजा जाता है और उचित इलाज नहीं मिलने के कारण वो बहुत परेशान है.

कलेक्टर ने कोहेफिजा थाने की महिला सब इंस्पेक्टर को निर्देश दिए हैं कि सिविल ड्रेस में महिला पुलिस बुलाकर महिला को कलेक्ट्रेट परिसर से ले जाया जाए. लेकिन महिला जनसुनवाई खत्म होने के बाद भी कलेक्टर का इंतजार करती रही और आखिर में पुलिस के पहुंचने से पहले ही परेशान होकर अपने घर चली गई.

भोपाल। कलेक्टर जनसुनवाई में एक तलाकशुदा महिला पहुंची. कलेक्टर के दिए गए समाधान से वो असंतुष्ट थी और भरी जनसुनवाई में उसने चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि जनसुनवाई सिर्फ एक ढकोसला है. दरअसल महिला अपने हक के लिए इधर-उधर भटक रही है. उसके पास इलाज के पैसे नहीं हैं और वो हर तरफ से हारकर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची थी.

घरेलू हिंसा के केस कराया है दर्ज
महिला की शादी मध्यप्रदेश पुलिस की विशेष शाखा में पदस्थ सिपाही महेंद्र तोमर से हुई थी. सिपाही महिला को प्रताड़ित करता था, इसलिए उसने 2 नवंबर 2014 को घरेलू हिंसा का केस दायर किया. कोर्ट ने भरण पोषण अधिनियम के तहत सिपाही महेंद्र तोमर को जून 2015 से महिला को 3500 रुपए हर महीने देने का आदेश दिया था. लेकिन तोमर ने ना तो महिला को राशि दी और ना ही उसके ऊपर कोई कार्रवाई हुई.

जनसुनवाई में महिला ने मचाया हंगामा

मदद के लिए 4 साल से भटकी रही महिला
महिला पिछले 4 साल से मदद के लिए इधर से उधर भटक रही है. उसका आरोप है कि तोमर ने डॉक्टरों के साथ मिलकर उसके इलाज में गड़बड़ी की है. उसका कलेक्टर से आग्रह था कि उसके सही इलाज की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाए. कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने महिला की बात सुनकर उसे हमीदिया अस्पताल भेजने का आदेश दिया.ये सुनकर महिला और भड़क गई और उसने बताया की हमीदिया में भी उसे यहां से वहां भेजा जाता है और उचित इलाज नहीं मिलने के कारण वो बहुत परेशान है.

कलेक्टर ने कोहेफिजा थाने की महिला सब इंस्पेक्टर को निर्देश दिए हैं कि सिविल ड्रेस में महिला पुलिस बुलाकर महिला को कलेक्ट्रेट परिसर से ले जाया जाए. लेकिन महिला जनसुनवाई खत्म होने के बाद भी कलेक्टर का इंतजार करती रही और आखिर में पुलिस के पहुंचने से पहले ही परेशान होकर अपने घर चली गई.

Intro:भोपाल। कलेक्टर की जनसुनवाई में आज एक महिला अपनी पीड़ा लेकर पहुंची। महिला का पति मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष शाखा में पदस्थ है। वह अपने हक के लिए इधर उधर भटक रही है उसके पास इलाज के पैसे नहीं है और वह हर तरफ से हारकर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची थी। कलेक्टर द्वारा किए गए समाधान से वह असंतुष्ट थी और भरी जनसुनवाई में चिल्ला चिल्ला कर कहा कि जनसुनवाई सिर्फ एक ढकोसला है।
महिला का नाम रेनू गौर है वह भोपाल के पटेल नगर में रहती है उसकी शादी मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष शाखा में पदस्थ सिपाही महेंद्र तोमर से हुई थी। तोमर उसे प्रताड़ित करता था इसलिए उसने 2 नवंबर 2014 में घरेलू हिंसा का केस दायर किया। अदालत ने 125 भरण पोषण अधिनियम के तहत जून 2015 से महिला को मासिक 3500 रुपए की राशि देने का आदेश दिया।Body:तोमर में ना तो महिला को राशि दी और ना ही उसके ऊपर कोई कार्यवाही हुई। महिला पिछले 4 साल से इधर से उधर भटक रही है उसका आरोप है कि तोमर ने डॉक्टरों के साथ मिलकर उसके इलाज में गड़बड़ी की है उसका कलेक्टर से आग्रह था कि उसके सही इलाज की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाए। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने महिला की बात सुनकर उसे हमीदिया अस्पताल भेजने का आदेश दिया यह सुनकर महिला बिफर पड़ी और उसने बताया की हमीदिया में भी उसे यहां से वहां भेजा जाता है और उचित इलाज नहीं मिलने के कारण वह बहुत परेशान है।
रेनू ने बताया की उसके पास पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं और भरी जनसुनवाई में उसे अपनी पीड़ा रो-रो कर कलेक्टर को बताई। उसने बताया कि उसे पिछले 4 वर्षों से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है ना तो उसे भरण-पोषण भत्ता मिलता है और ना ही सही इलाज वे अपने हक के लिए दर-दर भटक रही है।Conclusion:Byte - रेनू गौर (पीड़िता)

महिला को हमीदिया अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 एम्बुलेंस भी कलेक्ट्रेट परिसर में बुला ली गई थी पर महिला जाने को तैयार नहीं हुई उसने बताया कि हम ही अस्पताल में वह कई वर्षों से परेशान हो रही है लेकिन उसे उचित इलाज नहीं मिला। कलेक्टर ने वहां मौजूद कोहेफिजा थाने की महिला सब इंस्पेक्टर को निर्देश दिए ही सिविल ड्रेस में महिला पुलिस बुलाकर महिला को कलेक्ट्रेट परिसर से ले जाया जाए। रेनू सुबह से ही जनसुनवाई में पहुंच गई थी और पूरी जनसुनवाई खत्म होने तक वह कलेक्ट्रेट में ही बैठी रही और रो रो कर अपनी पीड़ा सबको बताती रही। जनसुनवाई खत्म होने के बाद भी कलेक्टर का इंतजार करती रही और अंततः महिला पुलिस के पहुंचने से पहले ही परेशान होकर अपने घर चली गई।
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