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कोरोना के बाद क्या हम मानसिक बीमारी के लिए तैयार हैं ? - सोशल मीडिया की लत

घरों में कैद होने से जहां लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो वहीं लोगों में मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है. सोशल मीडिया की लत भी तनाव का कारण बनती जा रही है, ऐसे में ईटीवी भारत मध्यप्रदेश ने मनोचिकित्सक से बात की और इस तनाव और मानसिक बीमारियों से बचने के बारे में चर्चा की.

Psychiatrist Satyakant Trivedi
डॉक्टर से चर्चा
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Published : May 30, 2020, 8:13 PM IST

भोपाल। कोरोना वायरस से देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ी हुई है तो वहीं लॉकडाउन के कारण घर में कैद लोगों के में अब मानसिक बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं, जो आने वाले समय के लिए बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ सकती हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी से बातचीत की, डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बहुत जरूरी था, लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो इसका बुरा असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 30 से 40 फीसदी मानसिक बीमारियां बढ़ी हैं.

मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी से चर्चा

जिनके रिश्ते ठीक नहीं वो ज्यादा करते हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल

सोशल मीडिया और मोबाइल का इस्तेमाल वो लोग ज्यादा करते हैं, जिनके रिश्ते घर में अच्छे नहीं होते, क्योंकि सोशल मीडिया पर कोई रोक टोक नहीं होती है, इसलिए इंसान को यहां अच्छा लगता है. वहीं बच्चों के लिए भी गेम ऐसे डिजाइन किए जाते हैं, जिससे वे तुरंत उसकी तरफ अट्रैक्ट हो जाते हैं.

मानसिक दबाव की पहले से तैयारी करनी होगी

मानसिक दबाव की पहले से तैयारी हो करनी होगी क्योंकि मेंटल हेल्थ डिस्टर्ब होगा तो आत्मघात की घटनाएं बढ़ती जाएंगी, इसलिए कोरोना के साथ जीना होगा क्योंकि यह बीमारियों का नया मेहमान है और इसे एडजस्ट करने में अभी थोड़ा समय लगेगा.

अकेले बिल्कुल ना रहें, अपनों से बात शेयर करें

अगर अकेले रहने मन में आ रहा है तो मनोचिकित्सक से मुलाकात करें. इसके अलावा अपने मन की बातें जो है वह परिवार दोस्तों के साथ शेयर करें और मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें. लोगों से ज्यादा-ज्यादा मुलाकात करें 3 से 5 किलोमीटर पैदल चलें, नई चीजें सीखें कुछ नया करने की कोशिश करें, गंभीर रहने की आवश्यकता नहीं है

भोपाल। कोरोना वायरस से देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ी हुई है तो वहीं लॉकडाउन के कारण घर में कैद लोगों के में अब मानसिक बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं, जो आने वाले समय के लिए बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ सकती हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी से बातचीत की, डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बहुत जरूरी था, लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो इसका बुरा असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 30 से 40 फीसदी मानसिक बीमारियां बढ़ी हैं.

मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी से चर्चा

जिनके रिश्ते ठीक नहीं वो ज्यादा करते हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल

सोशल मीडिया और मोबाइल का इस्तेमाल वो लोग ज्यादा करते हैं, जिनके रिश्ते घर में अच्छे नहीं होते, क्योंकि सोशल मीडिया पर कोई रोक टोक नहीं होती है, इसलिए इंसान को यहां अच्छा लगता है. वहीं बच्चों के लिए भी गेम ऐसे डिजाइन किए जाते हैं, जिससे वे तुरंत उसकी तरफ अट्रैक्ट हो जाते हैं.

मानसिक दबाव की पहले से तैयारी करनी होगी

मानसिक दबाव की पहले से तैयारी हो करनी होगी क्योंकि मेंटल हेल्थ डिस्टर्ब होगा तो आत्मघात की घटनाएं बढ़ती जाएंगी, इसलिए कोरोना के साथ जीना होगा क्योंकि यह बीमारियों का नया मेहमान है और इसे एडजस्ट करने में अभी थोड़ा समय लगेगा.

अकेले बिल्कुल ना रहें, अपनों से बात शेयर करें

अगर अकेले रहने मन में आ रहा है तो मनोचिकित्सक से मुलाकात करें. इसके अलावा अपने मन की बातें जो है वह परिवार दोस्तों के साथ शेयर करें और मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें. लोगों से ज्यादा-ज्यादा मुलाकात करें 3 से 5 किलोमीटर पैदल चलें, नई चीजें सीखें कुछ नया करने की कोशिश करें, गंभीर रहने की आवश्यकता नहीं है

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