भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज कैबिनेट की बैठक जारी है . यह बैठक वर्चुअली हो रही है. बैठक में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को लेकर मंजूरी मिल सकती है. पिछली कैबिनेट की बैठक में इस पर सहमति बनी थी. यह बैठक वर्चुअली होगी.
क्या हुआ था पिछली बैठक में
22 दिसंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में भी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को लेकर चर्चा हुई थी. लेकिन इस बैठक में लव जिहाद की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाने के लिए लाए जा रहे धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल सकी थी. दरअसल, कैबिनेट की बैठक में कई मंत्रियों के सुझावों के बाद यह प्रस्ताव अगली कैबिनेट की बैठक में रखे जाने की बात हुई थी. जिसके बाद आज होने वाली बैठक धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लेकर बुलाई गई है. वहीं गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विधेयक को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की भी बात कही थी.
धर्म स्वातंत्र्य विधेयक में क्या
प्रस्तावित 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानून की तर्ज पर ही सजा का प्रावधान किया गया है. बहला-फुसलाकर या फिर जबरन धर्मांतरण और विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं और उन्हें वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के पंजीयन निरस्त होंगे. विधेयक का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा.
आरोपी को होगी 10 साल की सजा
इस विधेयक को लेकर पिछले दिनों गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की बैठक में बताया गया था कि इस ड्राफ्ट में उत्तर प्रदेश सरकार के विधेयक की तरह ही 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. हलांकि खुद धर्म बदलने पर रोक नहीं होगी, लेकिन इसके लिए कलेक्टर को 30 दिन पहले जानकारी देनी होगी.
संस्थाओं पर होगी कार्रवाई
बैठक में यह भी तय हुआ था की, ऐसी गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी 5 साल की सजा होगी.
क्या होंगे शादी के नियम
धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से 1 माह पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा. कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा और उनसे लिखित बयान लिए जाएंगे, की विवाह या धर्मांतरण जोर जबरदस्ती से तो नहीं किया जा रहा है. इसके बाद ही कलेक्टर द्वारा अनुमति दी जाएगी. यदि बिना आवेदन प्रस्तुत किए, किसी काजी, मौलवी या पादरी द्वारा धर्म परिवर्तन और विवाह कराया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.