भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी से मुलाकात कर होशंगाबाद जिले की बनखेड़ी तहसील के ग्राम रामनगर के निवासी छात्र शिवाजी की संदिग्ध मौत को लेकर बनाए जा रहे राजनीतिक दबाव के संबंध में एक पत्र सौंपा है. उन्होंने डीजीपी से कहा है कि आरएसएस और भाजपा के नेता दोषियों को बचाने के लिए पुलिस पर राजनीतिक दबाव बना रहे हैं. जबकि हाईकोर्ट ने आरोपियों की अग्रिम जमानत भी खारिज कर दी है. उन्होंने डीजीपी से कहा है कि पुलिस अदालत में पूरे तथ्य पेश कर दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले और पीड़ित परिवार को न्याय मिले, इसके प्रयास करें.
दिग्विजय सिंह ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि 7 दिसंबर 2019 को बनखेड़ी तहसील के रामनगर गांव के छात्र शिवाजी चौधरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. स्थानीय पुलिस को 12वीं कक्षा के होनहार छात्र का शव रेल पटरी पर क्षत-विक्षत अवस्था में मिला था.
मृतक शिवाजी पालिया पिपरिया गांव के सरस्वती ग्रामोदय विद्यालय का छात्र था. शिवाजी की मौत के बाद उसके पिता हरि राम चौधरी ने स्थानीय सोहागपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. उन्होंने स्कूल प्राचार्य नरेश पटेल और शिक्षत अनिल अग्रवाल पर शिवाजी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे. बाद में पुलिस ने जांच में स्कूल के प्राचार्य भवानी शंकर पाराशर को भी दोषी पाकर आरोपी बनाया था. हरिराम चौधरी का कहना है कि कुछ स्थानीय नेता राजनीतिक दबाव बनाकर आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. जिले के दो विधायक खुलकर प्रताड़ना में शामिल शिक्षकों का साथ दे रहे हैं.
दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा है कि अपने बेटे की मौत से दुखी हरी राम चौधरी ने आरोप लगाया है कि होशंगाबाद विधायक सीता सरण शर्मा ने अपने ज्ञापन देने की जानकारी फेसबुक पर पोस्ट करके एमपी बीजेपी और आरएसएस का उल्लेख किया है. इसमें स्पष्ट है कि उच्च स्तर से आरोपियों को बचाने के प्रयास चल रहे हैं. आरोपी अनिल अग्रवाल फरार है. पुलिस अधीक्षक को दिए पत्र में भाजपा जिला अध्यक्ष लिखते हैं कि अनिल अग्रवाल स्कूल में आचार्य नहीं है. वहीं विधायक लिखते हैं कि आचार्य ने अग्रवाल पर झूठा मामला दर्ज किया गया है.
दोनों जिम्मेदार नेता विरोधाभासी बात लिख रहे हैं. हरीराम चौधरी का आरोप है कि पुलिस द्वारा उच्च राजनीतिक दबाव में आकर आरोपियों का नाम चालान से हटा सकती है. वहीं हाईकोर्ट ने आरोपियों की अग्रिम जमानत रद्द कर दी है. उन्होंने डीजीपी से कहा कि शिवाजी की मौत के मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ पूरे तथ्य अदालत के सामने रखे जाएं और किसी भी आरोपी का नाम कोर्ट के चालान में प्रस्तुत करते समय न हटाया जाए, ताकि दोषियों को सजा और पीड़ितों को न्याय मिल सके.