भोपाल। बीएचईएल स्थित इंटक भवन में चल रहे प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने प्रदेश में बनने जा रहे, लव जिहाद के खिलाफ कानून के लिए आए धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने इस मामले को लेकर बीजेपी पर समाज को धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया. साथ ही इस कानून की वैधानिकता पर भी प्रदेश सरकार से सवाल किया.
दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि, 'उनके पास नफरत और झगड़ा फैलाने के अलावा कोई मुद्दा नहीं है. पहले वो हमें कानून की परिभाषा तो बताएं, लव जिहाद का मतलब क्या होता है'. उन्होंने कहा, 'इस कानून से लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है, इस कानून से नफरत फैलेगी'.
ट्रेड यूनियन की हड़ताल में हुए थे शामिल
देशभर में केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों के चल रहे आंदोलन में दिग्विजय सिंह भी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने केंद्र कि मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि, दिल्ली में किसान और मजदूर मिलकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके समर्थन में हमने यहां बैठक की है, जहां भारतीय मजदूर संघ छोड़कर सभी ट्रेड यूनियन ने किसानों और मजदूरों के पक्ष में समर्थन दिया है.
ये भी पढ़ें- फेसबुक ने किया अर्थ का अनर्थ, दिग्विजय सिंह के पोस्ट का गलत अनुवाद
क्या है धर्म स्वातंत्र्य विधेयक का मसौदा
मध्य प्रदेश सरकार ने एमपी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया है. इस कानून के तहत लव जिहाद के आरोपी को 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही इस विधेयक में शादी करवाने वाली संस्था का पंजीयन भी निरस्त किए जाने का प्रावधान है. लव जिहाद के खिलाफ विधेयक लाने की तैयारी कर रही मध्य प्रदेश सरकार अब जबरिया धर्मांतरण कराने के मामले में आरोपी को 10 साल तक की सजा का प्रावधान कर सकती है. इससे पहले पांच साल की सजा का प्रवधान किए जाने पर विचार किया जा रहा था.
ये भी पढ़ें- भोपाल में 10 ट्रेड यूनियन ने की हड़ताल, दिग्विजय सिंह ने शामिल होकर किया समर्थन
क्या होंगे शादी के नियम ?
धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से एक माह पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा. कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा और उनसे लिखित बयान लिए जाएंगे, की विवाह या धर्मांतरण जोर जबरदस्ती से तो नहीं किया जा रहा है. इसके बाद ही कलेक्टर द्वारा अनुमति दी जाएगी. यदि बिना आवेदन प्रस्तुत किए, किसी काजी, मौलवी या पादरी द्वारा धर्म परिवर्तन और विवाह कराया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
ये भी पढ़ें- मध्य प्रदेश : 'लव जिहाद' में 10 साल तक की सजा, विधेयक का मसौदा तैयार
परिजन कर सकेंगे शिकायत
बहला-फुसलाकर या धोखे में रखकर विवाह और धर्मांतरण कराने के मामले में पीड़ित, उसके माता-पिता और परिजन के द्वारा भी शिकायत की जा सकेगी. यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा. इस प्रकार का धर्मांतरण या विवाह आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा, कि वो बगैर किसी दबाव के, बगैर किसी धमकी के, किसी लालच के बिना किया गया है. इस कानून के तहत विवाह को शून्य भी कराया जा सकेगा.