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दिग्विजय सिंह ने सीएम को लिखा पत्र, फसल बीमा के प्रावधानों में बदलाव की मांग - महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना

दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री और सीएम शिवराज सिंह को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों में बदलाव की मांग की है.

Digvijay singh demanded change in crop insurance scheme
दिग्विजय सिंह ने फसल बीमा योजना में बदलाव की मांग
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Published : Sep 19, 2020, 5:22 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों में बदलाव की मांग की है. उन्होंने कहा है कि, ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधान में बदलाव करते हुए वन ग्रामों में अधिसूचित फसलों की सीमा 25 हेक्टेयर तक की जाए, जिससे कि प्रदेश के वन ग्रामों में रहने वाले लाखों आदिवासी किसानों को योजना का लाभ मिल सके.’


पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘मध्य प्रदेश में 23 प्रतिशत से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग की है. प्रदेश में अनेक जिले जनजाति बाहुल्य हैं. इन जिलों में बड़ी संख्या में वनग्राम हैं. आदिवासी समाज के लोग वनग्रामों में रहते हैं और खेती करते हैं. कुछ किसान राजस्व ग्रामों में रहते हैं और वनग्रामों की जमीनों पर खेती करते हैं. पिछले दिनों अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान बताया गया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत सिर्फ राजस्व ग्रामों को शामिल किया गया है. वन ग्रामों को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है, जिससे वन ग्रामों में खेती करने वाले जनजाति वर्ग के लाखों किसान फसल बीमा योजना से वंचित रह जाएंगे.

प्रदेश में वन ग्रामों की कुल संख्या 925 है, जिनमें 39 गांव वन अभयारण्य और 27 ग्राम राष्ट्रीय उद्यान में हैं. ग्रामों में रहने वाले लाखों आदिवासी परिवारों को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के समय वनाधिकार अधिनियम के तहत शासन द्वारा पट्टे प्रदान किए गए थे. यही नहीं इन आदिवासी परिवारों के खेतों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कपिलधारा उपयोजना में कुएं खोद कर सिंचाई की व्यवस्था की गई थी.’


उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘यह बड़े आश्चर्य का विषय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा जैसी बहु प्रचारित योजना में आदिवासी समुदाय के साथ भेदभाव किया जा रहा है. मध्य प्रदेश शासन द्वारा 14 जुलाई 2020 को जारी राजपत्र की छाया प्रति भी मैंने संलग्न की है, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा के दायरे में राज्य शासन ने 100 हेक्टेयर से अधिक फसलों वाले पटवारी हल्के को शामिल किया है, जबकि प्रदेश के 600 से अधिक वन ग्रामों में 100 हेक्टेयर से कम रकबे में विभिन्न फसलें ली जाती हैं. इस तरह प्रदेश के 22 जिलों में रहने वाले वनवासी किसान योजना में लाभान्वित होने से वंचित रह जाएंगे.’

उन्होंने निवेदन किया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों में बदलाव करते हुए वन ग्रामों में अधिसूचित फसलों की सीमा 25 साल तक की जाए. इससे प्रदेश के वन ग्रामों में रहने वाले लाखों आदिवासी किसानों को योजना का लाभ मिल सकेगा.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों में बदलाव की मांग की है. उन्होंने कहा है कि, ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधान में बदलाव करते हुए वन ग्रामों में अधिसूचित फसलों की सीमा 25 हेक्टेयर तक की जाए, जिससे कि प्रदेश के वन ग्रामों में रहने वाले लाखों आदिवासी किसानों को योजना का लाभ मिल सके.’


पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘मध्य प्रदेश में 23 प्रतिशत से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग की है. प्रदेश में अनेक जिले जनजाति बाहुल्य हैं. इन जिलों में बड़ी संख्या में वनग्राम हैं. आदिवासी समाज के लोग वनग्रामों में रहते हैं और खेती करते हैं. कुछ किसान राजस्व ग्रामों में रहते हैं और वनग्रामों की जमीनों पर खेती करते हैं. पिछले दिनों अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान बताया गया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत सिर्फ राजस्व ग्रामों को शामिल किया गया है. वन ग्रामों को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है, जिससे वन ग्रामों में खेती करने वाले जनजाति वर्ग के लाखों किसान फसल बीमा योजना से वंचित रह जाएंगे.

प्रदेश में वन ग्रामों की कुल संख्या 925 है, जिनमें 39 गांव वन अभयारण्य और 27 ग्राम राष्ट्रीय उद्यान में हैं. ग्रामों में रहने वाले लाखों आदिवासी परिवारों को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के समय वनाधिकार अधिनियम के तहत शासन द्वारा पट्टे प्रदान किए गए थे. यही नहीं इन आदिवासी परिवारों के खेतों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कपिलधारा उपयोजना में कुएं खोद कर सिंचाई की व्यवस्था की गई थी.’


उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘यह बड़े आश्चर्य का विषय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा जैसी बहु प्रचारित योजना में आदिवासी समुदाय के साथ भेदभाव किया जा रहा है. मध्य प्रदेश शासन द्वारा 14 जुलाई 2020 को जारी राजपत्र की छाया प्रति भी मैंने संलग्न की है, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा के दायरे में राज्य शासन ने 100 हेक्टेयर से अधिक फसलों वाले पटवारी हल्के को शामिल किया है, जबकि प्रदेश के 600 से अधिक वन ग्रामों में 100 हेक्टेयर से कम रकबे में विभिन्न फसलें ली जाती हैं. इस तरह प्रदेश के 22 जिलों में रहने वाले वनवासी किसान योजना में लाभान्वित होने से वंचित रह जाएंगे.’

उन्होंने निवेदन किया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों में बदलाव करते हुए वन ग्रामों में अधिसूचित फसलों की सीमा 25 साल तक की जाए. इससे प्रदेश के वन ग्रामों में रहने वाले लाखों आदिवासी किसानों को योजना का लाभ मिल सकेगा.

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