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एयर पॉल्यूशन से डायबिटीज और हाई बीपी का खतरा, भोपाल एम्स करेगा रिसर्च - वायु प्रदूषण के कारण मधुमेह और हाई बीपी

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर आज के समय में सामान्य रूप से लगभग हर घर के लोगों में पाया जाने लगा है. जिसका कारण बदलती जीवन शैली और खानपान व सुस्त रहने की प्रवृत्ति है लेकिन क्या आपको पता है कि इसका एक मुख्य कारण वायु प्रदूषण भी है. आपको ये सुनकर हैरानी होगी लेकिन आज के समय में अधिकतर बीपी और डायबिटीज के जो मरीज आ रहे हैं उनमें से अधिकांश वह लोग भी शामिल हैं जिनके ना तो परिवार में यह बीमारी है और ना ही उनकी लाइफस्टाइल ऐसी है, कि वह इन बीमारियों से की चपेट में आ जाएं लेकिन बीमारियों से जो ग्रसित हैं उसका एक कारण वायु प्रदूषण भी है.अब इसी पर रिसर्च करने की जिम्मेदारी उठाई है भोपाल एम्स ने.

air pollution effects on diabetes
मधुमेह पर वायु प्रदूषण का प्रभाव
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Published : May 25, 2023, 10:57 PM IST

भोपाल। वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर रिसर्च करने की जिम्मेदारी भोपाल एम्स ने उठाई है. भोपाल एम्स इस रिसर्च की शुरुआत करने जा रहा है जिसमें वायू प्रदूषण से शरीर पर होने वाले प्रभाव और बीपी व डायबिटीज की बीमारी का पता लगाना है. भोपाल एम्स के डायरेक्टर अजय सिंह बताते हैं कि एम्स ने हाल ही में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ एक एमओयू साइन किया था जिसके माध्यम से एम्स भोपाल कई रिसर्च पॉल्यूशन को लेकर भी करेगा. इन्हीं में से एक रिसर्च ये भी किए जा रहा है, कि पॉल्यूशन से इंसान के शरीर पर डायबिटीज और मधुमेह की बीमारी का कितना खतरा बढ़ गया है.

अजय सिंह बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सरकार से अनुमति के लिए पूरी तैयारियां और फाइलें कंप्लीट कर उन्हें भेज भी दी हैं. अब जैसे ही इस पर स्वीकृति मिलती है तो अगले दिन से ही यह रिसर्च प्रारंभ हो जाएगा. अजय सिंह बताते हैं कि फिलहाल इस रिसर्च में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा. उसके बाद ही परिणाम सामने आएंगे लेकिन जैसे ही अनुमति मिलती है तो यह रिसर्च शुरू कर दिया जाएगा.

ऐसे होगा रिसर्च: अजय सिंह बताते हैं कि इस रिसर्च में उन लोगों पर रिसर्च किया जाएगा जो मधुमेह और बीपी से ग्रसित हैं. उनकी डिटेल हिस्ट्री के साथ ही उनके शरीर में ऑक्सीजन लेवल को हर 2 घंटे से चेक भी किया जाएगा. अजय सिंह बताते हैं कि कुछ ऐसे लोगों पर भी रिसर्च किया जाना है जो पहले तो प्राकृतिक हवा वाले शहरों में रह रहे थे फिर उन्हें पॉल्यूशन वाले शहरों में लाकर कुछ दिन रखा जाएगा.

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पॉल्यूशन का बुरा आसर: एम्स डायरेक्टर ने बताया कि वायु प्रदूषण का 2 तरह से असर पड़ता है, एक थोड़े समय के लिए और एक ज्यादा समय के लिए. लेकिन दोनों ही तरह से ये हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन के खतरे को बढ़ाया है. हाइपरटेंशन के वह मरीज सबसे ज्यादा सामने आते हैं जिन्हें जो वायु प्रदूषित क्षेत्र में तो रहते ही हैं, लेकिन साथ में मोटापे से भी ग्रस्त हैं. अजय सिंह बताते हैं कि मधुमेह में, वायु प्रदूषण के कारण शरीर के अंदर बनने वाली इंसुलिन को पॉल्यूटेड एयर खत्म करती है, जिस कारण शरीर में इंसुलिन की कमी आ जाती है और व्यक्ति मधुमेह का शिकार हो जाता है. इन्हीं बातों पर यह पूरा अध्यक्ष रिसर्च किया जाएगा.

पॉल्यूशन से बढ़े मरीज: अमेरिका में हुए एक अध्ययन के अनुसार 2016 में दुनिया भर में प्रदूषण की वजह से 32 लाख मामले नए रूप में सामने आए थे. इसमें डायबिटीज और हाई बीपी का मुख्य कारण वायु प्रदूषण माना गया था. जिसमें ट्रैफिक से होने वाला पॉल्यूशन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से होने वाला पॉल्यूशन और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के कारण मधुमेह और बीपी की बीमारियां बढ़ी.

भोपाल। वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर रिसर्च करने की जिम्मेदारी भोपाल एम्स ने उठाई है. भोपाल एम्स इस रिसर्च की शुरुआत करने जा रहा है जिसमें वायू प्रदूषण से शरीर पर होने वाले प्रभाव और बीपी व डायबिटीज की बीमारी का पता लगाना है. भोपाल एम्स के डायरेक्टर अजय सिंह बताते हैं कि एम्स ने हाल ही में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ एक एमओयू साइन किया था जिसके माध्यम से एम्स भोपाल कई रिसर्च पॉल्यूशन को लेकर भी करेगा. इन्हीं में से एक रिसर्च ये भी किए जा रहा है, कि पॉल्यूशन से इंसान के शरीर पर डायबिटीज और मधुमेह की बीमारी का कितना खतरा बढ़ गया है.

अजय सिंह बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सरकार से अनुमति के लिए पूरी तैयारियां और फाइलें कंप्लीट कर उन्हें भेज भी दी हैं. अब जैसे ही इस पर स्वीकृति मिलती है तो अगले दिन से ही यह रिसर्च प्रारंभ हो जाएगा. अजय सिंह बताते हैं कि फिलहाल इस रिसर्च में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा. उसके बाद ही परिणाम सामने आएंगे लेकिन जैसे ही अनुमति मिलती है तो यह रिसर्च शुरू कर दिया जाएगा.

ऐसे होगा रिसर्च: अजय सिंह बताते हैं कि इस रिसर्च में उन लोगों पर रिसर्च किया जाएगा जो मधुमेह और बीपी से ग्रसित हैं. उनकी डिटेल हिस्ट्री के साथ ही उनके शरीर में ऑक्सीजन लेवल को हर 2 घंटे से चेक भी किया जाएगा. अजय सिंह बताते हैं कि कुछ ऐसे लोगों पर भी रिसर्च किया जाना है जो पहले तो प्राकृतिक हवा वाले शहरों में रह रहे थे फिर उन्हें पॉल्यूशन वाले शहरों में लाकर कुछ दिन रखा जाएगा.

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पॉल्यूशन का बुरा आसर: एम्स डायरेक्टर ने बताया कि वायु प्रदूषण का 2 तरह से असर पड़ता है, एक थोड़े समय के लिए और एक ज्यादा समय के लिए. लेकिन दोनों ही तरह से ये हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन के खतरे को बढ़ाया है. हाइपरटेंशन के वह मरीज सबसे ज्यादा सामने आते हैं जिन्हें जो वायु प्रदूषित क्षेत्र में तो रहते ही हैं, लेकिन साथ में मोटापे से भी ग्रस्त हैं. अजय सिंह बताते हैं कि मधुमेह में, वायु प्रदूषण के कारण शरीर के अंदर बनने वाली इंसुलिन को पॉल्यूटेड एयर खत्म करती है, जिस कारण शरीर में इंसुलिन की कमी आ जाती है और व्यक्ति मधुमेह का शिकार हो जाता है. इन्हीं बातों पर यह पूरा अध्यक्ष रिसर्च किया जाएगा.

पॉल्यूशन से बढ़े मरीज: अमेरिका में हुए एक अध्ययन के अनुसार 2016 में दुनिया भर में प्रदूषण की वजह से 32 लाख मामले नए रूप में सामने आए थे. इसमें डायबिटीज और हाई बीपी का मुख्य कारण वायु प्रदूषण माना गया था. जिसमें ट्रैफिक से होने वाला पॉल्यूशन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से होने वाला पॉल्यूशन और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के कारण मधुमेह और बीपी की बीमारियां बढ़ी.

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