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मध्यप्रदेश के 65 साल, कृषि क्षेत्र में हुआ विकास, औद्योगिक क्रांति में पिछड़ा

मध्यप्रदेश का 1 नवंबर को 65वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा. इन 65 सालों में प्रदेश में कृषि क्षेत्र में तो विकास हुए हैं, लेकिन बड़े उद्योग स्थापित नहीं हो पाए. जिसकी वजह से मध्यप्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आने की कोशिश में जुटा है.

Madhya Pradesh Foundation Day
कृषि क्षेत्र में हुआ विकास, औद्योगिक क्रांति में पिछड़ा
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Published : Oct 31, 2020, 2:14 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश 1 नवंबर को अपना 65वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. पिछले 65 साल के दौरान प्रदेश में कृषि क्षेत्र में तो विकास हुआ, लेकिन औद्योगिक क्रांति के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों से पिछड़ गया. प्रदेश में बड़ी संख्या में बड़े उद्योग स्थापित नहीं हुए. यही वजह है कि इतने साल बाद भी मध्यप्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आने की कोशिश में जुटा है. हालांकि इस दौरान साक्षरता दर 10 फीसदी से बढ़कर 69.32 फीसदी पहुंच गई, जो राष्ट्रीय औसत से कुछ कम है.

कृषि क्षेत्र में हुआ विकास, औद्योगिक क्रांति में पिछड़ा

औद्योगिक क्रांति में पिछड़ा मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के गठन के पहले ग्वालियर और जबलपुर पोल्ट्री फार्म, टेक्सटाइल के लिए प्रसिद्ध थे. 1956 से 61 के बीच भोपाल में बीएचईएल, भिलाई में लौह इस्पात कारखाना, भोपाल में अल्कोहल प्लांट, रतलाम कॉटन सीड और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन, उज्जैन में कॉटन स्पिनिंग मिल, सनावद, ग्वालियर और इंदौर में इंडस्ट्रियल एक्सटेक्ट स्थापित किए गए. इंदौर अपने इनोवेशन के लिए पहले से प्रसिद्ध था. इंदौर के सेठ हुकुमचंद हाथी पर लादकर टेक्सटाइल मशीनें लाए थे. ये मशीनें इंग्लैंड से मंगवाई गई थीं. वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं कि मध्य प्रदेश को विकास की जो गति मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिल सकी. सर्विस सेक्टर और नेचुरल रिसोर्स से हटकर औद्योगिक क्षेत्र में तेज गति से काम नहीं किया गया. यही वजह है कि पुराने कारखाने बंद होते गए और जो नए आए वो ठीक से विकसित नहीं हो पाए. प्रदेश में मालनपुर, मंडीदीप, पीथमपुर के अलावा बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हो सके.

प्रदेश में उद्योग क्रांति की जरूरत

प्रदेश में देश की 6 फीसदी जनसंख्या 9.4 फीसदी भू भाग पर है. इसके बाद भी देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ चार फीसदी है, जो इसकी क्षमता से बहुत कम है. प्रदेश खेती में लगातार बढ़ा, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि में राज्य पिछड़ गया. 1990 के बाद कुछ बड़े कारपोरेट घरानों ने निवेश किया, लेकिन कुछ ही साल में उनका मोहभंग हो गया. 2007 के बाद मध्य प्रदेश में 5 इन्वेस्टर समिट हुए. समिट में हुए ज्यादातर एमओयू जमीन पर नहीं उतर पाए.

सड़क, शिक्षा, ऊर्जा के क्षेत्र में भरपूर हुआ काम

मध्यप्रदेश में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में बेहतर काम हुए. प्रदेश की चर्चा खराब सड़कों और बिजली की कमी के लिए नहीं होती. प्रदेश में विद्युत उत्पादन क्षमता 20551 मेगावाट पहुंच चुकी है. हालांकि बिजली कंपनियों का बढ़ता घाटा चिंता का विषय बना हुआ है. इसी तरह मध्य प्रदेश में 70961 किलोमीटर सड़कों का जाल भी बिछ चुका है. राज्य के गठन के समय साक्षरता दर 10 फीसदी थी जो अब बढ़कर 69.32 फीसदी पहुंच गई है. साक्षरता का राष्ट्रीय औसत 73 फीसदी है.

खेती में हुआ कायाकल्प

प्रदेश में खेती के मामले में जबरदस्त कायापलट हुआ है. पिछले 5 साल में इसमें 18 फीसदी की जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश में सिंचाई का रकबा 11,535 हजार हेक्टेयर हो गया है. राज्य ने लगातार पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड जीता है. 129 लाख मैट्रिक टन गेहूं के उत्पादन और खरीदी के मामले में प्रदेश देश में पहले स्थान पर पहुंच चुका है.

ऐतिहासिक धरोहर है भरपूर लेकिन टूरिज्म में पीछे

मध्यप्रदेश में तमाम ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक सुंदरता होने के बाद भी बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित नहीं हो पाया है. मध्यप्रदेश में राजस्थान जैसे ऐतिहासिक महल हैं. खजुराहो, सांची जैसी कई हेरिटेज साइट हैं. महाकाल नगरी उज्जैन, चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थल हैं, वाटर बॉडी है. इन सबके बाद भी विदेशी पर्यटकों को लुभाने में मध्य प्रदेश दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत पीछे है. 2019 में करीब 30 हजार विदेशी पर्यटक ही मध्य प्रदेश पहुंचे.

एक नजर में मध्य प्रदेश

नवगठित तत्कालीन मध्यप्रदेश में 2 करोड़ 60 लाख जनसंख्या थी जो अब 7 करोड़ 27 लाख हो गई है.

1956 में मध्य प्रदेश की साक्षरता दर 10 फीसदी थी जो अब 69.32 फीसदी है

1956 में इक्का-दुक्का इंडस्ट्री थीं, आज प्रदेश में 363 इंडस्ट्रियल एरिया हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश 1 नवंबर को अपना 65वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. पिछले 65 साल के दौरान प्रदेश में कृषि क्षेत्र में तो विकास हुआ, लेकिन औद्योगिक क्रांति के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों से पिछड़ गया. प्रदेश में बड़ी संख्या में बड़े उद्योग स्थापित नहीं हुए. यही वजह है कि इतने साल बाद भी मध्यप्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आने की कोशिश में जुटा है. हालांकि इस दौरान साक्षरता दर 10 फीसदी से बढ़कर 69.32 फीसदी पहुंच गई, जो राष्ट्रीय औसत से कुछ कम है.

कृषि क्षेत्र में हुआ विकास, औद्योगिक क्रांति में पिछड़ा

औद्योगिक क्रांति में पिछड़ा मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के गठन के पहले ग्वालियर और जबलपुर पोल्ट्री फार्म, टेक्सटाइल के लिए प्रसिद्ध थे. 1956 से 61 के बीच भोपाल में बीएचईएल, भिलाई में लौह इस्पात कारखाना, भोपाल में अल्कोहल प्लांट, रतलाम कॉटन सीड और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन, उज्जैन में कॉटन स्पिनिंग मिल, सनावद, ग्वालियर और इंदौर में इंडस्ट्रियल एक्सटेक्ट स्थापित किए गए. इंदौर अपने इनोवेशन के लिए पहले से प्रसिद्ध था. इंदौर के सेठ हुकुमचंद हाथी पर लादकर टेक्सटाइल मशीनें लाए थे. ये मशीनें इंग्लैंड से मंगवाई गई थीं. वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं कि मध्य प्रदेश को विकास की जो गति मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिल सकी. सर्विस सेक्टर और नेचुरल रिसोर्स से हटकर औद्योगिक क्षेत्र में तेज गति से काम नहीं किया गया. यही वजह है कि पुराने कारखाने बंद होते गए और जो नए आए वो ठीक से विकसित नहीं हो पाए. प्रदेश में मालनपुर, मंडीदीप, पीथमपुर के अलावा बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हो सके.

प्रदेश में उद्योग क्रांति की जरूरत

प्रदेश में देश की 6 फीसदी जनसंख्या 9.4 फीसदी भू भाग पर है. इसके बाद भी देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ चार फीसदी है, जो इसकी क्षमता से बहुत कम है. प्रदेश खेती में लगातार बढ़ा, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि में राज्य पिछड़ गया. 1990 के बाद कुछ बड़े कारपोरेट घरानों ने निवेश किया, लेकिन कुछ ही साल में उनका मोहभंग हो गया. 2007 के बाद मध्य प्रदेश में 5 इन्वेस्टर समिट हुए. समिट में हुए ज्यादातर एमओयू जमीन पर नहीं उतर पाए.

सड़क, शिक्षा, ऊर्जा के क्षेत्र में भरपूर हुआ काम

मध्यप्रदेश में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में बेहतर काम हुए. प्रदेश की चर्चा खराब सड़कों और बिजली की कमी के लिए नहीं होती. प्रदेश में विद्युत उत्पादन क्षमता 20551 मेगावाट पहुंच चुकी है. हालांकि बिजली कंपनियों का बढ़ता घाटा चिंता का विषय बना हुआ है. इसी तरह मध्य प्रदेश में 70961 किलोमीटर सड़कों का जाल भी बिछ चुका है. राज्य के गठन के समय साक्षरता दर 10 फीसदी थी जो अब बढ़कर 69.32 फीसदी पहुंच गई है. साक्षरता का राष्ट्रीय औसत 73 फीसदी है.

खेती में हुआ कायाकल्प

प्रदेश में खेती के मामले में जबरदस्त कायापलट हुआ है. पिछले 5 साल में इसमें 18 फीसदी की जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश में सिंचाई का रकबा 11,535 हजार हेक्टेयर हो गया है. राज्य ने लगातार पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड जीता है. 129 लाख मैट्रिक टन गेहूं के उत्पादन और खरीदी के मामले में प्रदेश देश में पहले स्थान पर पहुंच चुका है.

ऐतिहासिक धरोहर है भरपूर लेकिन टूरिज्म में पीछे

मध्यप्रदेश में तमाम ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक सुंदरता होने के बाद भी बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित नहीं हो पाया है. मध्यप्रदेश में राजस्थान जैसे ऐतिहासिक महल हैं. खजुराहो, सांची जैसी कई हेरिटेज साइट हैं. महाकाल नगरी उज्जैन, चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थल हैं, वाटर बॉडी है. इन सबके बाद भी विदेशी पर्यटकों को लुभाने में मध्य प्रदेश दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत पीछे है. 2019 में करीब 30 हजार विदेशी पर्यटक ही मध्य प्रदेश पहुंचे.

एक नजर में मध्य प्रदेश

नवगठित तत्कालीन मध्यप्रदेश में 2 करोड़ 60 लाख जनसंख्या थी जो अब 7 करोड़ 27 लाख हो गई है.

1956 में मध्य प्रदेश की साक्षरता दर 10 फीसदी थी जो अब 69.32 फीसदी है

1956 में इक्का-दुक्का इंडस्ट्री थीं, आज प्रदेश में 363 इंडस्ट्रियल एरिया हैं.

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