भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच करीब आठ माह बाद स्कूल शिक्षा विभाग एक बार फिर स्कूलों खोलने की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा है. अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो एक दिसंबर से प्रदेश के सभी स्कूल पूरी क्षमता के साथ खोले जाएंगे. इस प्रस्ताव में कक्षा पहली से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने की बात कही गई है. वहीं कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल 21 सितंबर से चल रहे हैं, जिसमें छात्रों की केवल डाउट क्लासेस लग रही है. वहीं कक्षा पहली से आठवीं की कक्षाएं स्कूलों में लग सके इसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा था, हालांकि विभाग के प्रस्ताव सरकार की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं आया है.
स्कूलों के पास नही है पर्याप्त व्यवस्था
कोरोना के बाद 8 माह बाद 1 दिसंबर से अगर स्कूल खुलते हैं तो स्कूलों का मेंटेनेंस, साफ-सफाई, जैसी कई तैयारियां स्कूलों में की जाएंगी. क्योंकि पिछले 8 माह से स्कूल बंद हैं, ऐसे में स्कूलों में ना तो साफ-सफाई है, ना ही फर्नीचर. अगर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कक्षाएं लगाई जाएंगी तो स्कूलों में पर्याप्त बिल्डिंग तक नहीं है. ऐसे में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए स्कूलों को कैसे खोला जाएगा यह बड़ा सवाल है.
अभिभावकों की मंजूरी के बाद ही खुलेंगे स्कूल
जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि छात्रों की पढ़ाई की चिंता करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री को स्कूलों को खोलने के लिए प्रस्ताव भेजा था. जिसमें कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्रों की कक्षाएं लगाने का प्रस्ताव है. जिसमें हफ्ते में 4 दिन स्कूल खोलने की बात कही गई है. जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि अभी इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है इस पर विचार किया जा रहा है अगर प्रस्ताव पास हो जाता है तो 1 दिसंबर से स्कूल खुलेंगे जिसको लेकर विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली है, उन्होंने बताया स्कूलों के प्राचार्यों को निर्देशित किया गया है स्कूलों को इस तरह से तैयार करें कि जब छात्र स्कूल आए तो स्कूल की ओर आकर्षित हो स्कूल में साफ-सफाई से लेकर अन्य तैयारियों का भी खास ख्याल रखा गया है. स्कूलों के लिए बजट भी तैयार किया जा रहा है.
स्कूलों की तैयारियां
वही स्कूलों के प्राचार्यों का कहना है कि विभाग के निर्देशानुसार स्कूल खोले जाएंगे. स्कूल अपने स्तर पर तैयार हैं. जैसी भी गाइडलाइन विभाग की होगी उसका पालन करते हुए स्कूल खोले जाएंगे सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य सुधाकर पाराशर ने बताया कि उन्होंने स्कूल में सभी तरह की व्यवस्था तैयार की हैं.जिसमें हर एक कक्षा के बाहर सेनिटाइजर मशीन लगाई गई है. हर एक कक्षा में सीटिंग अरेंजमेंट के पर्याप्त फर्नीचर की व्यवस्था की है. हालांकि उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में फिलहाल स्कूल अगर खुलते हैं तो यह किसी खतरे से कम नहीं है. क्योंकि अगर किसी भी बच्चे को कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी स्कूल और विभाग को लेनी होगी. उन्होंने कहा अभिभावकों की मंजूरी के बाद ही स्कूल खोले जाएंगे.
इन स्कूलों में नही हैं व्यवस्था
राजधानी के जहांगीराबाद उच्चतर माध्यमिक शाला की प्राचार्य उषा खरे ने बताया उनके स्कूल में फर्नीचर की कमी है, जिसको लेकर उन्होंने विभाग को पत्र लिखा है. अगर स्कूल खुलते हैं तो उन्हें 100 से अधिक कुर्सी टेबल की जरूरत होगी, जिससे वह सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कक्षाओं में सीटिंग अरेंजमेंट कर सकें. उन्होंने कहा कि विभाग के निर्देश मिलेंगे तो गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल खोले जाएंगे. फिलहाल, स्कूल अपने स्तर पर तैयार हैं कुछ कमियां हैं, जिन्हें पूरी करने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने विभाग को पत्र लिखा है.
प्राइवेट स्कूल के अभिभावक नहीं तैयार
प्राइवेट स्कूलों के अभिभावकों की अगर हम बात करें तो वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं. प्राइवेट स्कूल के अभिभावकों का कहना है कि सितंबर माह से स्कूल खुले हैं. लेकिन, केवल शासकीय स्कूलों में बच्चे आ रहे हैं. उसमें भी 10 फीसदी उपस्थिति भी नहीं है और प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस ही लगाई जा रही हैं. उनका कहना है कि कोरोना के बीच अगर स्कूल खुलते हैं तो इससे बच्चों की जान को खतरा है. ऐसे में वे रिस्क लेकर अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे, उन्होंने कहा कि जब कोरोना के बीच संसद के शीतकालीन सत्र को डिले किया जा रहा है, जहां इतनी सुरक्षा है, उसके बावजूद सरकार को संक्रमण का डर है.
शासकीय स्कूलों के अभिभावकों चाहते हैं खुल जाएं स्कूल
शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के चलते आठ माह से ऑनलाइन क्लासेस लग रही हैं, लेकिन बच्चों ने घर में बिल्कुल पढ़ाई नहीं की.ऑनलाइन क्लास से बच्चे नहीं पढ़ पाते. क्योंकि उनके पास पर्याप्त साधन नहीं हैं. ऐसे में स्कूल खोलना एक अच्छा फैसला है. उनका कहना है कि कोरोना तो हर जगह है जब सारी चीजें खुल चुकी हैं तो फिर स्कूल खोलने में क्या दिक्कत है. सरकार सुरक्षा का ध्यान रखे और स्कूलों को खोल दें, जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो. स्कूली बच्चों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई में उन्हें समझ नहीं आता जिन बच्चों की दसवीं, बारहवीं बोर्ड की परीक्षा हैं. वह बच्चे चाहते हैं कि स्कूल खुल जाएं जिससे वे स्कूल में ठीक तरह से पढ़ाई कर सकें. क्योंकि घर में वह पढ़ाई नहीं कर पाते. अगर स्कूल खुल जाएंगे तो बच्चे टीचर से आमने-सामने बैठकर पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे वे अपना रिजल्ट सुधार पाएंगे, बच्चे स्कूल खुलने से खुश नजर आ रहे हैं.
विभाग की तैयारी
सरकार ने स्कूल खोलने की तैयारियां पूरी कर ली हैं और इसके लिए सरकार अभिभावकों की राय भी ले रही है, जिसके लिए अभिभावक स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपनी राय बता रहे हैं. शासकीय स्कूलों के अगर हम बात करें तो यहां अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं. लेकिन प्राइवेट स्कूल के अभिभावकों ने स्कूलों के खुलने पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि जब तक संक्रमण खत्म नहीं हो जाता तब तक ऑनलाइन क्लास ही बच्चों के लिए एक बेहतर विकल्प है. हालांकि अब देखना होगा कि स्कूल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को सरकार मंजूरी देती है या नहीं.